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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( २६१ विषयों में आसक्ति, यः 1 आवेश, संवेग 2. कलियुग ! Fatति ( वि०) कषाय + इतच् ]1. हलके रंग वाला, लाल रंग का रंगीन - अमुनैव कषायितस्तनी--कु० ४ | ३४, शि० ७ ११2. ग्रस्त । कषि ( वि० ) [ कर्षाति हिनस्ति कष् + इ] हानिकारक, अनिष्टकर, पीडाकर । कबे (से) रुका [ कष् ( स ) + एरक्, उत्वम्, कन् +टाप् ] ड़ की हड्डी मेरुदण्ड कष्ट (वि० ) [ कष् + क्त ] 1. बुरा, अनिष्टकर, रोगी, गलत -- रामहस्तमनुप्राप्य कष्टात् कष्टतरं गता - रघु० १५।४३, अर्थात् अधिक बुरी अवस्था हो गई (दुर्दशाग्रस्त हो गई ) 2. पीडामय, संतापकारी – मोहादभूत्कष्टतरः प्रबोध: - रघु० १४।५६, कष्टोऽयं खलु भृत्यभावः -- रत्न० १, चिन्ताओं से भरा हुआ - मनु० ७/५०, याज्ञ० ३।२९, कष्टा वृत्तिः पराधीना कष्टो वासो निराश्रयः, निर्धनो व्यवसायश्च सर्वकष्टा दरिद्रता । चाण० ५९३. कठिन - स्त्रीषु कष्टोऽधिकारः - विक्रम ० ३।१ 4. दुर्धर्ष ( शत्रु की भाँति ) मनु० ७ १८६, २१० 5. अनिष्टकर, पीडाकर, हानिकर 6. गर्हित, - ष्टम् 1. दुष्कर्म, कठिनाई, संकट, व्यथा, यन्त्रणा, पीडा - कष्टं खल्वनपत्यता श० ६, घिगर्थाः कष्टसंश्रयाः - पंच० १।१६६ 2. पाप, दुष्टता 3. कठिनाई, प्रयास, कष्टेन किसी न किसी प्रकार - ष्टम् ( अव्य० ) हाय ! - हा धिक् कष्टं, हा कष्टं जरयाभिभूतपुरुषः पुत्रैरवज्ञायते - पंच० ४७८, सम० - आगत ( वि० ) कठिनाई से आया हुआ, पहुँचा हुआ, कर ( वि० ) पीड़ा कर दुःखदायी – तपस् (वि०) घोर तपस्या करने वाला - श० ७ - साध्य कठिनाई से पूरा किये जाने के योग्य – स्थानम् बुरा स्थान, अरुचिकर या कठिन जगह । कष्टि ( स्त्री० ) [ कप् + क्तिन् ] 1. परख, जांच 2. पीडा, कष्ट । कसू i ( भ्वा० पर० – कसति, कसित) हिलना-डुलना, जाना, पहुँचना, निस्-, ( प्रेर0) 1. निकालना, बाहर खींचना 2. मोड़ना, बाहर हाँक देना, निर्वासित करना, निष्कासन करना -- निरकासयद्रविमपेतवसुं वियदालयादपरदिग्गणिका - शि० ९।१० येनाहं जीवलोकानिष्कासयिष्ये - मुद्रा० ६, प्र, खोलना, प्रसार करवाना - घनमुक्तां बुलवप्रकाशितः (कुसुमैः ) - घट० १९, वि-, खुलना, प्रसृत होना ( आलं० भी ) विकसति हि पतंगस्योदये पुण्डरीकम् - मा० ११२८, शि० ९।४७, ८२ ७।५५, निजहृदि विकसन्तः - भर्तृ० २०७८ ( प्रेर० ) खोलना, प्रसार करवाना - चन्द्रो विकासयति कैरवचक्रबालम् -- भर्तृ० २।७३, शि० १५ | १२, अमरु ८४ । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ) ii ( अदा० आ० – कस्ते, कंस्ते) 1. जाना 2. नष्ट करना । कस्तु (स्तु) रिका, कस्तूरी [ कसति गन्धोऽस्याः कस् + ऊर् + ङीष्, तुद्, कन्+टाप् ह्रस्वः ] मुश्क, कस्तूरी - कस्तूरिकातिलकमालि विधाय सायम् - भामि० २४, ११२१, चौर० ७ 1 सम० - मृगः कस्तूरीमृग - ( वह हरिण जिसकी नाभि से कस्तूरी नामका सुगन्धित द्रव्य निकलता है) । कलारम् [ के जले ह्लादते - क + ह्लाद् + अच् पृषो० दस्य र: ] श्वेत कमल - कलारपद्मकुसुमानि मुहुविधुन्वन् - ऋतु० ३।१५ । कवः [ के जले ह्वयति शब्दायते स्पर्धते वाक +ह्वे+ क] एक प्रकार का सारस । कांसीयम् [ कंसाय पानपात्राय हितम् - कंस +छ+ अण् ] जस्ता । कांस्यः (वि० ) [ कंसाय पानपात्राय हितं कंसीयं तस्य विकारः - यन्त्र छलोपः ] कांसे या जस्त का बना हुआ मनु० ४/५, स्यम् 1. कांसा, या जस्ता मनु० ५।११४, याज्ञ० १ १९० 2. कांसे का बना घड़ियाल – स्यः, स्यम् जल पीने का वर्तन (पीतल का ) प्याला-- शि० १५।८१ । सम० – कारः ( स्त्री० री) कसेरा, ठठेरा, - ताल: झाँझ, करताल, भाजनम् पीतल का बर्तन, मलम् ताम्रमल, तांबे का जंग । काकः [कै + कन् ] 1. कौवा - काकोऽपि जीवति चिराय बलि च भुङ्क्ते - पंच० १ २४2. ( आलं० ) घूर्णित व्यक्ति, नीच और ढीठ पुरुष 3. लंगड़ा आदमी 4. केवल सिर को भिगोकर स्नान करना (जैसा कि कौवे करते हैं), की कौवी, कम् कौवों का समूह । सम० -- अक्षिगोलकन्याय दे० 'न्याय' के नीचे, - अरिः उल्लू, उदरः साँप, काकोदरो येन विनीतदर्पः - कविराज, - उलुकिका, उलूकीयम्, कौवे और उल्लू की नैसर्गिक शत्रुता ( काकोलूकीय - पंचतन्त्र के तीसरे तंत्र का नाम है), चिचा गुंजा या धुंधची का पौधा ( रत्ती), छवः, -छदिः खंजनपक्षी 2. अलकें — दे० नी० 'काकपक्ष', जातः कोयल, -- तालीय ( वि० ) जो बात अकस्मात् अप्रत्याशित रूप से हो दुर्घटना - अहो नु खलु भोः तदेतत् काकतालीयं नाम - मा० ५, काकतालीयवत्प्राप्तं दृष्ट्वापि निधिमग्रतः - हि० प्र० ३५, कभी कभी क्रियाविशेषण के रूप में प्रयुक्त होकर 'संयोग से अर्थ को प्रकट करता है - फलन्ति काकतालीयं तेभ्यः प्राज्ञा न बिभ्यति - वेणी० २।१४ – न्याय दे० 'न्याय' के नीचे, तालुकिन् (वि०) घृणित, निंद्य, दन्तः ( शा० ) कौवे का दाँत, ( आलं० ) असंभव बात जिसका अस्तित्व न हो, ● गवेषणम् असंभव बातों की खोज करना ( व्यर्थ और For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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