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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सम---अनुरागः वार्तालाप करने में आनन्द प्राप्त | बुरी आदत, बुरी प्रथा,--अर्थ (वि.) निरर्थक, अर्थकरना, अन्तरम् 1. वार्तालाप के मध्य में-स्मर्त- हीन, -- अर्थनम्, -- ना कष्ट देना, दुःखी करना, सताना, व्योस्मि कथान्तरेषु भवता--- मृच्छ० ७१७ 2. दूसरी - अर्थयति (ना० पा०, पर०) 1. घृणा करना, तिरकहानी,...--आरम्भः कहानी का आरम्भ,-उदयः कहानी स्कार करना 2. कष्ट देना, सताना--भर्त० ३।१००, की शुरुआत,-उद्घातः 1. प्रस्तावना के पांच भेदों में से नै० ८७५,-अथित (वि.) 1. घृणित, उपेक्षित, तिरदूसरा प्रकार जब कि चुपके से सुनने के बाद प्रथम पात्र स्कृत-कथितस्यापि हि धर्यवृत्तर्न शक्यते धैर्यगुणः सूत्रधार के शब्दों या भाव को दोहराता हुआ रंगमंच प्रमाटुंम्- भर्तृ० २।१०६ 2. सताया गया, पीडित पर आता है--दे० सा० द० २६०, उदा० रत्न, किया गया- आः कथितोऽहमेभिर्वारं वारं वीरसंवादवेणी० या मुद्रा० 2. किसी कहानी का आरम्भ - आकु- विघ्नकारिभिः-उत्तर० ५ 3. तुच्छ, नीच 4. बुरा, मारकथोद्घातं शालिगोप्यो जगुर्यश:-रघु० ४१२०, दुष्ट, · अर्यः कंजूस-मदु० ४।२१०, २२४, याज्ञः - उपाख्यानम् वर्णन करना, बयान करना,-छलम् 1. १२१६१, भावः लोलुपता, सूमपन,--अश्वः बुरा घोड़ा कथा के बहाने 2. मिथ्या वृत्तांत बनाते हुए,-नायकः, -आकार (वि०) विकृतरूप, कुरूप, -- आचार (वि.) -पुरुषः (कहानी का) नायक,--पीठम् कथा या दुराचारी, दुष्ट, दुश्चरित्र (- र.) दुराचरण,- उष्ट्र: कहानी का परिचयात्मक भाग,---प्रबन्धः कहानी, बुरा ऊंट,-उष्ण (वि०) गुनगुना, थोड़ा गरम बनावटी कहानी, कपोलकल्पित कहानी,---प्रसङ्ग: 1. (–णम्) गुनगुनापन, रयः बुरा रथ या गाड़ी-युधि वार्तालाप, बातचीत या बातचीत के दौरान में-- नाना कद्रथवीम बभंज ध्वजशालिनम् ---भट्रि० ५।१०३, कथा प्रसंगावस्थितः हि० १,--मिथः कथाप्रसङ्गेन --वद (वि.) 1. दुर्वचन कहने वाला, अयथार्थ या विवादं किल चक्रतुः-कथा०२२, १८१, नै० ११३५, अस्पष्ट वक्ता-येन जातं प्रियापाये कददं हंसकोकिलम् 2. विषचिकित्सक-कथाप्रसङ्गेन जनरुदाहृतात्-कि० भट्रि०६७५, वाग्विदां वरमकद्वदो नप:-शि० १४११ ११२४ (यहाँ शब्द 'प्रथम अर्थ' को भी प्रकट करता 2. दुष्ट, घृणायोग्य। है),-प्राणः अभिनेता,- मुखम् कहानी का परिचया- कवकम् [ कदः मेघ इव कायति प्रकाशते - कद+के+क ] त्मक भाग,---योगः बातचीत के मध्य,---विपर्यासः शामियाना, चंदोआ। कहानी का मार्ग बदलना,--शेष,—अवशेष (वि.) कदनम् [ कद् + ल्युट ] 1. विनाश, हत्या, तबाही 2. युद्ध जिसका केवल 'वृत्तांत' हो बाकी रह गया है अर्थात् 3. पाप। 'मृत' (कथाशेषतां गतः---मृत, मृतक) (-षः) कदम्बः, -. कदम्बकः [ कद् +अम्बच् ] 1. एक प्रकार का कहानी का बचा हुआ भाग। वृक्ष (बादलों की गरज के साथ इसकी कलियों का कथानकम् | कथ् + आनक बा०] छोटी कहानी-उदा० खिलना प्रसिद्ध है)--कतिपयकूसमोदगमः कदम्बः वेतालपञ्चविंशति । ---उत्तर० ३२०, मा० ३१७, उत्तर० ३४१ मेघ. कथित (भ. क. कृ०) कथ+क्त ] 1. कहा हुआ, २५, रघु० १२।९९ 2. एक प्रकार का पास 3. हलदी, वणित, बयान किया हुआ 2. अभिहित, वाच्य । सम० - कम् 1. समुदाय--छायाबद्धकदम्बकं मृगकुलं रोम–पदम् पुनरुक्ति, दोहराना, ('पूनरुक्ति'--वाक्य में न्थमभ्यस्यतु-श० २।६ 2. कदंब वृक्ष का फूलएक प्रकार का रचना विपयक दोष है जब कि एक शब्द पथकदम्बकदम्बकराजितम्-कि० ५।९। सम०-अनिल: का विना किसी विशिष्ट अभिप्राय के दोबारा प्रयोग (कदंब पुष्पों की सुगन्ध से युक्त) सुगन्धित वायु; ते किया जाता है) काव्य० ७, सा० द० ५७५, एत। चोन्मीलितमालतीसुरभयः प्रौढ़ा: कदम्बानिला:-काव्य. क i (दिवा० आ०-कद्यते) हतबुद्धि हो जाना, घबरा १ 2. बसंत,-कोरकन्यायः न्याय के नी० दे०,-वायुः जाना, मन में दु:खी होना, i (म्वा० आ० . कदते, सुगंधित पवन- अनिलः । भ्वा० पर० भी) 1. चिल्लाना, रोना, आँसू बहाना | कवरः [कं जलं दारयति नाशयति----क+६+अच ] 1. 2. शोक करना 3. बुलाना 4. मारना, प्रहार करना । आरा 2. अंकुश, ---रम् जमा हुआ दूध । -दे० कंद। कदलः,-कदलकः [ कद्+कलच, कन् च | केले का पेड़, कद् (अव्य०)। कद् -क्विप् ] (समास में 'कु' के स्थान -ऊरुद्वयं मगदृशः कदलस्य काण्डो-अमरु ९५,-ली में प्रयुक्त होने वाला अव्यय) बुराई, अल्पता, ह्रास, 1. केले का वृक्ष-कि यासि बालकदलीव विकम्पमानानिरर्थकता, तथा दोप आदि को प्रकट करने वाला मृच्छ० ११२०, यास्यत्यूरुः सरसकदलीस्तम्भगौरश्चलअव्य० । सम०- अक्षरम् 1. बुरा अक्षर 2. बुरी त्वम् - मेघ० ९६, ७७, कु० ११३६, रघु० १२।९६, लिखाई, ... अग्निः थोड़ी आग,-- अध्वन् बुरा मार्ग, याज्ञ० ३.८ 2. एक प्रकार का मग 3. हाथी के द्वारा - अन्नम् बुरा भोजन,-अपत्यम् बुरा बच्चा, अभ्यासः । वहन की जा रही ध्वजा 4 ध्वजा या झंडा । For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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