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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २२२ ) सम० -मालिन् (वि.) तरंग मालाओं से विभूषित | --पः 1. अग्नि 2. पितरों की (ब० व० में) एक -(पुं०) समुद्र। श्रेणी । ऊमिका [ ऊर्मि+कन्+टाप् ] 1. लहर 2. अंगूठी (लहर ऊह (भ्वा० उभ०) (ऊहति–ते, ऊहित) 1. टाँकना, की भांति चमकीली) 3. खेद, खोई वस्तु के लिए। अंकित करना, अवेक्षण करना 2. अटकल लगाना, शोक 4. मक्खी का भिनभिनाना 5. वस्त्र में पड़ी अंदाज करना, अनुमान लगाना-अनुक्तमप्यूहति शिकन या चुन्नट । पण्डितो जनः --पंच० ११४३ 3. समझना, सोचना, ऊर्व (वि.) [ऊरु+अ] विस्तृत, बड़ा,-4: वडवानल । पहचानना, आशा करना-ऊहाञ्चके जयं न च-भट्टि. ऊर्वरा [उरु शस्यादिकमृच्छति-ऋ-अच्+टाप्] उपजाऊ १४।७२ 4. तक करना, विचार करना--(प्रेर०) तर्क भूमि। या चिन्तन करवाना, अनुमान या अटकल लगवाना अलु पिन् [ दे० उलुपिन् ] शिशुक, सूंस । -कि०१६।१९, अप--, 1. हटाना, दूर करना---स ऊलूक दे० उलूक । हि विघ्नानपोहति--श० ३।१ 2. तुरन्त अनुकरण ऊष (भ्वा० पर०) (ऊषति) रुग्ण होना, अस्वस्थ होना, | करना, अपवि-, रोकता, हटाना, अभि , अटकल बीमार होना। लगाना अंदाज लगाना 2. ढकना, उप-, निकट लाना, ऊषः [ ऊ+क | 1. रिहाली धरती 2. अम्ल 3. दरार, निवि--, सम्पन्न करना, प्रकाशित करना (दे० नियूंढ) तरेड़ 4. कर्णविवर 5. मलय पर्वत 6. प्रभात, पौ फटना, परिसम्--, इधर-उधर छिड़कना, प्रति--, 1. विरोध कुछ लोगों के मतानुसार (—षम् ) भी। करना, बाधा डालना, रुकावट डालना 2. मुकरना ऊषकम् [ ऊष+कन् ] प्रभात, पौ फटना। (दे० प्रत्यूह) प्रतिवि---, शत्र के विरुद्ध सैनिक मोर्चा ऊषणम्-णा [ ऊ+ल्युट, स्त्रियां टाप् च] 1. काली मिर्च, लगाना, वि-, युद्ध के अवसर पर सेना की व्यवस्था 2. अदरक । करना ... सूच्या वजेण चवेतान् व्यूहेन व्या योधयेत् ऊपर (वि०) [ऊप+रा+क] नमक या रेहकणों से - मनु०७।१९१, सम् -, एकत्र करना, इकट्ठे होना। युक्त,-रः, रम् वंजर भूमि जो रिहाल हो--शि० ऊहः [ ऊह +धा ] 1. अटकल, अंदाज 2. परीक्षण, १४१४६ । निर्धारण 3. समझ-बूझ 4. तर्कना, युक्ति देना 5. ऊववत् =दे० (वि०) ऊपर । अध्याहार (न्यूनपद की पूर्ति) करना । सम०-अपोहः ऊष्मः [ ऊष्+मक ] 1. ताप 2. ग्रीष्म ऋतु। पूरी चर्चा, अनुकूल व प्रतिकूल स्थितियों पर पूरा ऊष्मण,--ण्य (वि०) [ ऊष्म+न ] [ ऊष्मन् । यत् ] गर्म, सोच-विचार,--भामि० २।७४ दे० 'अपोह' ।। भाप निकालने वाला। कहनम् [ ऊह+ल्युट ] अनुमान लगाना, अटकलवाजी। ऊष्मन् (पुं०) [ ऊप+मनिन् ] 1. ताप, गर्मी 2. ग्रीप्म- ऊहनी [ ऊहन-|-डोप ] झाड़ , वुहारी। ऋतु, निदाघ 3. भाप, वाष्प, उच्छ्वास 4. सरगरमी, हिन (वि.) [ऊह -- इनितर्क करने वाला, अनुमान जोश, प्रचण्डता 5. (व्या० में) श, ष, स् और है की। लगाने वाला,-नो 1. संघात, संचय 2. क्रम, क्रमबद्ध ध्वनियाँ । सम०--उपगमः ग्रीष्म ऋतु का आगमन, । समुदाय (तु. 'अक्षौहिणी') ऋ (अव्य०) (क) बुलाना (ख) परिहास और (ग)। करना, अवाप्त करना, अधिगत करना, भेंट होना, निन्दा या अपशब्दव्यंजक विस्मयादिबोधक अव्यय ।। 4. चलायमान करना, उत्तेजित करना। ऋi (भ्वा० पर०) (ऋच्छति. ऋत-प्रेर० अर्पयति, | iii (स्वा० पर०) (ऋगांति, ऋण) 1. चोट पहुँचाना, इच्छा० अरिरिषति) 1. जाना. हिलना-डलना-अम्भ- घायल करना 2. आक्रमण करना--प्रेर० --(अर्पयति, इछायामच्छामच्छति-शि० ४।४४ 2. उठाना, अपित) 1. फेंकना, दालना, स्थिर करना या जमाना उन्मुख होना। -~-रघु० ८1८७ 2. रखना, स्थापित करना, स्थिर ii (जु० पर०) (इयति, ऋत) (बहुधा वेद में प्रयुक्त) करना, निर्देश देना या (आंख आदि का) फेरना 1. जाना 2. हिलना-डुलना, डगमग होना 3. प्राप्त 3. रखना, सम्मिलित करना, देना, बैठा देना, जमा For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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