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उषित (वि० ) [ वस् ( उ ) + क्त ] 1. बसा हुआ 2. जला हुआ। उषीर दे० उशीर ।
उष्ट्र: [ उष् + ष्ट्रन, कित्] 1. ऊँट, -- अथोष्ट्रवामीशतवाहितार्थम् - रघु० ५/३२, मनु० ३।१६२, ४१२०, ११। २०२ 2. भैंसा 3. ककुद्मान् साँड, -द्री ऊँटनी । उष्ट्रिका [ उष्ट्र + कन् + टाप् इत्वम् ] 1. ऊँटनी 2. ऊँट की शक्ल की मिट्टी की बनी मदिरा रखने की सुराही -- शि० १२।२६ ।
उष्ण (वि० ) [ उष् + नक् ] 1. तप्त, गर्म अंशुः करः आदि 2. तीक्ष्ण, स्थिर, फुर्तीला - आददे नातिशीतोष्णो नभस्वानिव दक्षिणः -- रघु० ४१८, ( यहाँ 'उष्ण' का अर्थ 'गर्म' भी है) 3. रिक्त, तीखा, चरपरा 4. चतुर, प्रवीण 5. क्रोधी, ष्णः, ष्णम् 1. ताप, गर्मी 2. ग्रीष्म ऋतु 3. धूप । सम० अंशुः, करः, गुः, दीधितिः,
-रश्मिः, रुचिः गर्म किरणों वाला, सूर्य- रघु० ५/४ ८/३०, कु० ३।२५ – अधिगम:, आगमः, - उपगमः गर्मी का निकट आना, ग्रीष्म ऋतु – उदकम् गर्म या तप्त पानी, काल:, गः गर्म ऋतु वाष्पः । 1. आँसू 2 गर्म भाप, वारण:- णम् छाता छतरी, यदर्थ - मम्भोजमिवोष्णवारणम्, - कु० ५५२ । sore (fao) [ उष्ण + कन् ] 1. तेज, फुर्तीला, सक्रिय 2. ज्वरग्रस्त, पीड़ित 3. गर्मी पहुँचाने वाला, गर्म करने वाला, - - कः 1. ज्वर 2. निदाघ, ग्रीष्म ऋतु । उष्णालु (वि० ) [ उष्ण + आलुच् ] गर्मी न सह सकने योग्य, दग्ध, संतप्त, उष्णालुः शिशिरे निषीदति तरोर्मूलालवाले शिखी -- विक्रम ० २।२३ । foot [ अल्प + कन्, नि० उष्ण आदेश:, टाप् + इत्वम् ] माँड ।
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ऊः [ अवतीति- अव् + क्विप् ऊठ् ] 1. शिव 2. चन्द्रमा -- ( अव्यय ० ) 1. आरम्भ-सूचक अव्यय 2. ( क ) बुलावा (ख) करुणा ( ग ) तथा संरक्षा को प्रकट करने वाला विस्मयादि द्योतक अव्यय । ऊढ ( वि० ) [ वह + क्त संप्र० ] 1. ढोया गया, ले जाया गया
( वोझा आदि ) 2 लिया गया 3. विवाहित, ढः विवाहित पुरुष, -ढा विवाहिता लड़की । सम० कंकट (वि) कवचधारी, भार्य (वि०) जिसने विवाह कर लिया है, वयसः नवयुवक । ऊढिः (स्त्री० ) [ वह + क्तिन्] विवाह । ऊतिः (स्त्री० ) [ अव् + क्तिन् ] 1. बुनना, सीना 2. संरक्षा 3. उपभोग 4. क्रीड़ा, खेल ।
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उष्णिमन् (पुं० ) [ उष्ण + इमनिच् ] गर्मी । उष्णीषः, षम् [ उष्णमीपते हिनस्ति - इप् +क तारा०] 1. जो सिर के चारों ओर बाँधी जाय 2. अतः पगड़ी, साफा, शिरोवेष्टन, मुकुट – वलाकापाण्डुरोष्णीषम् - मृच्छ० ५1१९ 3. प्रभेदक चिह्न । उष्णोषिन् (वि० ) [ उष्णीष + इनि] शिरोवेष्टन पहने हुए या
राजमुकुट धारण किए हुए का० २२९ - - (पुं०) शिव । उष्मः, -- उष्मकः [उप् + मक्, कन् च] 1. गर्मी 2. ग्रीष्म ऋतु 3. क्रोध 4. सरगरमी, उत्सुकता, उत्कण्ठा । सम० -- अग्वित ( वि०) क्रुद्ध, भास् (पुं०) सूर्य, - स्वेदः बफारा, भाप से स्नान ।
उष्मन् (पुं० ) [ उष् + मनिन्] 1 ताप, गर्मी - अर्थोष्मन्
-भर्तृ० २१४०, मनु० ९।२३१, २२३, कु०५/४६, ७११४ 2. वाष्प, भाप - कु० ५।२३ 3. ग्रीष्म ऋतु 4. सरगरमी, उत्सुकता 5. ( व्या० में ), श् ष् स् और ह, अक्षर दे० 'ऊष्मन्' ।
उस्रः [वस् | रक्, संप्र०] 1. ( प्रकाश की ) किरण, रश्मि सर्वेरुत्रैः समग्रस्त्वमिव नृपगुणैर्दीप्यते सप्तसप्तिः -- मालवि० २।१३, रघु० ४।६६ कि० ५।३१2. साँड़ 3. देवता,त्रा 1 प्रभात काल, पौ फटना 2. प्रकाश 3. गाय ।
उह
(भ्वा० पर० ) ( ओहति, उहित) 1. चोट मारना, पीड़ित करना 2. मार डालना, नष्ट करना-अप या व्यप के साथ - दे० 'ऊह्' ।
उह उहह (अव्यय) बुलाने या पुकारने के लिए प्रयुक्त किया जाने वाला विस्मयादि द्योतक अव्यय । उह्नः [ वह + रक् संप्र०] साँड |
ऊधस् ( नपुं० ) [ उन्द् + असुन्, ऊब आदेशः ] ऐन, ऑडी
( बहुव्रीहि समास में बदल कर 'उधन्' हो जाता है) । ऊधन्यम्, ऊधस्यम् [ऊधस् (न्) + यत् ] दूध ( औड़ी से
उत्पन्न ) ऊत्रस्यमिच्छामि तवोपभोक्तुम् रघु० २।६६ । ऊन (वि० ) ! ऊन् अच् 1. अभावग्रस्त, अधूरा, कम. किंचिदून मन: शरदामयुतं ययौ - रघु० १०१ अपूर्ण. अपर्याप्त 2. ( संख्या, आकार या अंश में) अपेक्षाकृत कम ऊनवि निवनेत् याज्ञ० ३१, दो वर्ष से कम आयु का 3. अपेक्षाकृत दुर्बल, घटिया - ऊनं न सत्त्वेवधिको बबाधे रघु० २।१४ 4. घटा कर ( संख्याओं के साथ इसी अर्थ में) एकोन एक घटा कर, विंशतिः एक घटाकर बीस = १९ ।
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