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उपदश (वि०) [ब०व० --ब० स०] लगभग दस । ) देही, कपट-मनु० ८१९३ 2. ईमानदारी की जाँच उपदा [ उप+दा+अङ] 1. उपहार, किसी राजा या या परीक्षण (-धर्माद्यैर्यत्परीक्षणम्--यह चार प्रकार
महापुरुष को दी गई भेंट, नज़राना,-उपदा विविश: | निष्ठा, निलिप्तता, संयम तथा साहस ] का कहा शश्वनोत्सेकाः कोशलेश्वरम् रघु० ४।७०, ५।४१, गया है); (शोधयेत् ) धर्मोपधाभिविप्रांश्च सर्वाभिः ७।३० 2. रिश्वत, घुस ।।
सचिवान पुन: --कालिका प्र० 3. उपाय, तरकोब... उपदानम्, नकम् [ उप+दा+ल्युट, कन् च ] 1. आहुति, अयशोभिर्दु रालोके कोपधा मरणादते--शि० १९।५८
उपहार 2. संरक्षा या अनुग्रह प्राप्त करने के लिए दी 4. (व्या० में) अन्याक्षर से पहला, । सम०----भूतः गई भेंट, जैसे कि रिश्वत ।
बेईमान सेवक,--शुचि (वि०) परीक्षित, निष्ठावान् । उपविश (स्त्री.), उपदिशा [प्रा० स०] मध्यवर्ती उपधातुः [प्रा० स०] 1. घटिया धातु, अर्धधातु-यह गिनती
दिशा, जैसे कि ऐशानी, आग्नेयी, नैऋती और में सात हैं :--सप्तोपधातव: स्वर्णमाक्षिक तारमाक्षिवायवी।
कम् , तुत्थं कांस्यं च रातिश्च सिन्दूरं च शिलाजतु । उपदेवः,-देवता [प्रा० स०] छोटा देवता, घटिया देवता। सोनामाखी, रूपामाखी, तूतिया, कांसा, मर्दाशंख, उपदेशः [उप+दिश् +घञ ] 1. शिक्षण, अध्ययन,
सिंदूर और शिलाजीत । 2. शरीर के अप्रधान स्राव नसीहत, निर्देशन-सूशिक्षितोऽपि सर्व उपदेशेन निपूणो
जो गिनती में छः है-स्तन्यं रजो वसा स्वेदो दन्ताः भवति-माल वि०१, स्थिरोपदेशामपदेशकाले प्रपेदिरे केशास्तथैव च, औजस्य सप्तधातूनां कमात्सप्तोपधातवः प्राक्तनजन्मविद्याः-कु० ११३०, मालवि० २।१०, श० -(दूध, रज, चर्बी, पसीना, दांत, बाल और ओज)। २।३ मनु० ८।२७२, अमरु० २६, रघु० १२१५७ उपधानम् [ उप+धा+ ल्युट ] 1. ऊपर रखना या परोपदेशे पाण्डित्यम-हि० १११०३ 2. विशिष्ट निर्देश, आराम करना 2. तकिया, गद्देदार आसन -- उल्लेख 3. व्यपदेश, बहाना 4. दीक्षा, दीक्षा-मन्त्र विपुलमुपधानं भजलता-भर्त० ३१७९ 3. विशे. देना-चन्द्रसूर्यग्रहे तीर्थे सिद्धक्षेत्रे शिवालये, मन्त्रमात्र- षता, व्यक्तित्व 4. स्नेह, कृपा 5. धार्मिक अनुष्ठान प्रकथनमुपदेशः स उच्यते।
6. श्रेष्ठता, श्रेष्ठ गुण-सोपधानां धियं धीराः स्थेयसी उपदेशक (वि०) [उप+दिश+ण्वल ] शिक्षण प्रदान खट्वयन्ति ये--शि० २७७, (यहाँ 'उपधान' का अर्थ
करने वाला, अध्यापन करने वाला, कः शिक्षक, निर्द- तकिया भी है)। शक, गुरु या उपदेष्टा ।
उपधानीयम् [ उप-धा--अनीयर् ] तकिया। उपदेशनम् [ उप+दिश् + ल्युट ] नसीहत करना, शिक्षण । उपधारणम् [ उप ।-धृ+णिच् + ल्युट ] 1. संचिन्तन, देना।
विचार-विमर्श 2. खींचना, (अंकुड़ी द्वारा) खिचाव । उपदेशिन् (वि०) [ उप-+दिश् --णिनि ] नसीहत करने | उपधिः [ उप+धा-+कि ] 1. धोखादेही, बेईमानी,-अरिष वाला, शिक्षण देने वाला।
हि विजयार्थिनः क्षितीशा विदधति सोपथि सन्धिदूषउपदेष्ट (वि.) [उप-दिश+नच ] नसीहत या शिक्षण
णानि कि० ११४५, दे० 'अनुपधि भी 2. (विधि देने वाला, (पुं०-ष्टा) अध्यापक, गुरु, विशेषकर
में ) सचाई को दवाना, झूठा सुझाव--- मनु० ८।१६५, अध्यात्म गुरु,-चत्वारो वयमृत्विजः स भगवान्कर्मों
3. त्रास, धमकी, बाध्यता, मिथ्या फुसलाहट ---बलोपदेष्टा हरिः-वेणी० ११२३ ।
पधिविनिर्वत्तान व्यवहारान्निवर्तयेत--याज्ञ० १३१, उपदेहः [उप+दिह +घञ्] 1. मल्हम 2. चादर, टक्कन ।
८९ 4. पहिये का वह भाग जो नाभि . और पुट्ठी के उपदोहः [ उप+दुह, +घञ ] 1. गाय के स्तनों का
बीच का स्थान है, पहिया। अग्रभाग 2. दूध दुहने का पात्र ।
उपधिकः [ उपधि+ठन धोखेबाज, प्रवञ्चक-(दे० उपद्रवः [उ : दु+अप् | 1. दुःखद दुर्घटना, मुसीबत, औपधिक अधिक शुद्ध रूप) ।
संकट 2. चोट, कष्ट, हानि-पुंसामसमर्थानामुपद्रवा- उपधूपित (वि.) [ उप+धूप-क्त ] 1. धूनी दिया गया यात्मनो भवेत्कोपः-पंच० ११३२४, निरुपद्रवं स्थानम् 2. मरणासन्न, अत्यन्त पीड़ा-ग्रस्त,-तः मृत्यु ।
-पंच० १ 3. बलात्कार, उत्पीडन 4. राष्ट्र-संकट । उपधुतिः (स्त्री०) [ उप-न-ध+क्तिन् ] प्रकाश की (राजा, दुर्भिक्ष या ऋतु के प्रकोप से) 5. राष्ट्रीय किरण। अशान्ति, विद्रोह 6. लक्षण, अकस्मात् आ टपकने | उपध्मानः [उप+मा+ल्यट] ओष्ठ,-नम् फॅक वाला रोग।
मारना, साँस लेना। उपधर्मः [उप+ +मन् ] उपविधि, एक अप्रधान या तुच्छ : उपध्मानीयः [ उप+मा+अनीयर् ] प और फ से पूर्व
धर्म-नियम (विप० 'पर')-मनु० २।२३७, ४।१४७ । रहने वाला महाप्राण विसर्ग-उपपध्मानीयानामोष्ठी उपधा [उप+घा+ अ] 1. छल, जालसाजी, धोखा-: -सिद्धा.
उप
[ उप +
दहने का पान
दुर्घटना,
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