SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 197
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( १८८ ) उतरेण ( अव्य० ) [ उत्तर + एनप् ] ( संबं०, कर्म० के साथ अथवा समास के अन्त में ) उत्तर की ओर, के उत्तर दिशा की ओर -- तत्रागारं धनपतिगृहानुत्तरेणास्मदीयम् - मेघ्० ७७ अने० पा०, मा० ९।२४ । उत्तरे: ( अव्य० ) [ उत्तर + एद्युस् ] अगले दिन, आगामी दिन, कल । उत्तर्जनम् [ उद् + तर्ज, + ल्युट् ] जबरदस्त झिड़की । उत्तान (वि० ) [ उद्गतस्तानो विस्तारो यस्मात् ब० स० ] 1. पसारा हुआ, फैलाया हुआ, विस्तार किया हुआ, प्रसृत किया हुआ - उत्तर० ३1२३, 2. (क) चित लेटा हुआ - मा० ३, उत्तानोच्छून मंडूक पाटितोदर संनिभे - काव्य० ७, (ख) सीधा, खड़ा 3. खुला 4. स्पष्ट, निष्कपट, खरा स्वभावोत्तानहृदयं श० ५, स्पष्टवक्ता 5. नतोदर 6. छिछला । सम० - पादः एक राजा, ध्रुव का पिता, जः ध्रुव (उत्तानपाद का पुत्र), ध्रुव तारा - शय (वि० ) पीठ के बल सोता हुआ, चित लेटा हुआ-कदा उत्तानशयः पुत्रकः जनयिष्यति मे हृदयाह्लादम् - का० ६२, (यः, या) छोटा बच्चा दूध पीता या दुधमुँहा बच्चा, शिशु । उत्तापः [ उद् + तप् + अ ]1. भारी गर्मी, जलन 2. कष्ट, पीडा 3. उत्तेजना, जोश । उतारः [ उद् + तु +घञ्ञ ]1. परिवहन, वहन 2. घाट उतरना 3. तट पर लगना, तट पर उतारना 4. मुक्ति पाना 5. वमन करना । उतारकः [ उद् +तू+ णिच् + ण्वुल् ] 1. उद्धारक, बचाने वाला 2. शिव । उतारणम् [ उद् + तु + णिच् + ल्युट् ] उतारना, उद्धार करना, बचाना, - णः विष्णु । उलाल (वि० ) [ अत्या० स०]1. बड़ा, मजबूत 2. प्रबल, घोर - शि० १२।३१३. दुर्धर्ष, भयानक, भीषण- उत्तालास्त इमे गभीरपयसः पुण्याः सरित्सङ्गमाः – उत्तर० २ ३० शि० २०६८, मा० ५।११, २३, 4. दुष्कर, कठिन 5. उन्नत, उत्तुंग, ऊँचा- शि० ३१८, -ल: लंगूर । उत्तुङ्ग (वि० ) [ प्रा० स०] उच्च, ऊँचा, लंबा - करप्रेचे यामुत्तुङ्गः प्रभुशक्ति प्रथीयसीम् - शि० २२८९, हेमपीठानि २।५ । उत्तुषः [ उद्गतः तुषोऽस्मात् - ब० स०] - भूसी से पृथक् किया हुआ या भुना हुआ (लाजा) अन्न । उसेजक (वि० ) [ उद् + तिज् + णिच् + ण्वुल् ] 1. भड़काने वाला, उकसाने वाला, उद्दीपक-क्षु, काम आदि । उत्तेजनम् - ना [ उद् + तिज् + णिच् + ल्युट्, युज् वा ] 1. जोश दिलाना, भड़काना, उकसाना- समर्थः लोक -मुद्रा० ४, महावी० २, 2. ढकेलना, हाँकना 3. भेजना, प्रेषित करना 4. तेज़ करना, धार लगाना, ( शस्त्रादिक) चमकाना 5. बढ़ावा देना, प्रोत्साहन देना । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उत्तोरण (वि० ) [ ब० स०] उठी हुई या खड़ी मेहराबों आदि से सजा हुआ — उत्तोरणं राजपथं प्रपेदे - कु० ७ ६३, रघु० १४।१० । उत्तोलनम् [ उद् + तुल् + णिच् + ल्युट् ] ऊपर उठाना, उभारना । उत्त्यागः [ उद्----त्यज् + घञ्ञ ] 1. तिलांजलि देना, छोड़ देना 2. फेंकना, उछालना 3. सांसारिक वासनाओं से संन्यास | उत्तासः [ उद् + स् + घञ्ञ ] अत्यन्त भय, आतंक | उत्थ (वि० ) [ उद् + स्था + क ] ( केवल समास के अन्त में प्रयुक्त) 1 से पैदा या उत्पन्न, उदय होने वाला, जन्म लेने वाला दरीमुखोत्थेन समीरणेन कु० १२८, ६।५९, रघु० १२८२ 2. ऊपर उठता हुआ, ऊपर आता हुआ । उत्थानम् [ उद्+ स्था + ल्युट् ] 1. उदय होने या ऊपर उठने की क्रिया, उठना -- शनैर्थयुत्थानम् - भर्तृ० ३1९, 2. ( नक्षत्रादिकका ) उदय होना- रघु० ६३१ 3. उद्गम, उत्पत्ति 4. मृतोत्थान 5. प्रयत्न, प्रयास, चेष्टा - मेदश्छेदकृशोदरं लघुभवत्युत्थानयोग्यं वपुः श० २५, यद्युत्थानं भवेत्मह मनु० ९।२१५, (धन के लिए) प्रयत्न, सम्पत्ति-अभिग्रहण 6 पौरुप 7. हर्प, प्रसन्नता 8. युद्ध, लड़ाई 9. सेना 10. आँगन, यज्ञमंडप 11. अवधि, सीमा, हृद 12. जागना, – एकादशी देवउठनी कार्तिक सुदी एकादशी, विष्णुप्रबोधिनी । उत्थापनम् [ उद् + स्था | णिच् + ल्युट् पुक् ] 1. उठाना खड़ा करना, जगाना 2. उभारना, उन्नत करना, 3. उत्तेजित करना, भड़काना 4. जगाना, प्रबुद्ध करना ( आलं ० भी ) 5. वमन करना । उत्थित (भू० क० कृ० ) [ उद् + स्था + क्त ] 1. उदित, या ( अपने आसन से ) उठा हुआ बचो नियम्योस्थितमुत्थितः सन्- रघु० २६१, ७ १०, ३।६१, कु० ७ ६१, 2. उठाया हुआ, ऊपर गया हुआ - शि० ११ ३, ३. जात, उत्पन्न, उद्गत, उदितवचः रघु० २०६१ फूट पड़ा (जैसा कि आग ) 4. बढ़ता हुआ, वर्धनशील (बल में ), प्रगति करता हुआ 5. सीमा-बद्ध 6. विस्तत, प्रसूत - ० ४१४ | सम० -- - अंगुलिः फैलाई हुई हथेली । उत्थितिः (स्त्री० ) [ उद् + स्था + क्तिन्] उन्नति, ऊपर उठना । उत्पक्ष्मन् (वि० ) [ ० स०] उलटी पलकों वाला - उत्पक्ष्मणोर्नयनयोरुपस्वभिम् श० ४।१५, विक्रम ०२ । उत्पतः [ उद् + न् + अच्] पक्षी । उत्पतनम् [ उद् + त् + ल्युट् ] 1. ऊपर उड़ना, उछलना 2. ऊपर उठना या जाना, चढ़ना । उत्पताक ( वि० ) [ उत्नोलिता पताका यत्र - व. स०] झंडा For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy