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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १७१ ) इ (क) (अदा० पर०) (एति, इतः) 1. जाना, की ओर | जाना, निकट आना-शशिनं पुनरेति शर्वरी--रधु० ८।५६ 2. पहुँचना, पाना, प्राप्त करना. चले जाना -निर्बुद्धिः क्षयमेति-मच्छ० १११४, नष्ट हो जाता है, बर्वाद होता है, इसी प्रकार वशं, शत्रुत्वं, शूद्रताम् आदि, (ख) (भ्वा० उभ०)= दे० अय् (ग) (दिवा. आ०) 1. आना, आ धमकना 2. भागना घूमना 3. शीघ्र जाना, बार बार जाना। अति-1. परे चले जाना, पार करना, ऊपर से चले जाना-जवादतीये हिमवानधोमुखैः - कि० १४१५४,--स्थातव्यं ते नयनविषयं यावदत्येति भानु:-मेघ० ३४, दृष्टि से ओझल हो जाता है 2. आगे बढ़ जाना, पीछे छोड़ देना, पछाड़ देना, सत्यमतीत्य हरितो हरीश्च वर्तन्ते वाजिनः-श०१, त्रिस्रोतसः कान्तिमतीत्य तस्थी-कु० ७.१५, शि० २।२३ 3. पास से निकल जाना, पीछे छोड़ देना, भूल जाना, उपेक्षा करनाश० ६१६, रघु० १५३७ 4. बिताना, बीतना (समय का)--अत्येति रजनी या तु--रामा०, अतीते दशरात्रे, दे० 'अतीत', अधि—1. याद रखना, चिन्तन करना, खेद पूर्वक याद करना (संब० के साथ) ---रामस्य दयमानोसावध्येति तद लक्ष्मणः--भट्टिः० ८।११, १८१३८, कि० १११७४ 2. ('अधीते' इस अर्थ में सदैव 'आत्मनेपद') शिक्षा प्राप्त करना, अध्ययन करना, पढ़ना-उपाध्यायादधीते-सिद्धा०, सोऽध्यष्ट वदान्-भट्टि० २२, (--प्रेर० अध्यापयति, इच्छा०--अधिजिगासते) अनु--, 1. अनुसरणकरना, पीछे चलना-प्रयता प्रातरन्वेतु-रघु. १०९० 2. सफल होना 3. अनुगमन (व्या० या रचना में) 4. आज्ञा मानना, अनुरूप होना, अनुकरण करना, अन्वा-, पीछे जाना, अनुसरण करना, अन्तर्-- 1. बीच में जाना, हस्तक्षेप करना 2. रोकना, बाधा डालना 3. छिपाना, गुप्त रखना, परदा डालना-दे० 'अन्तरित', अप-1 चले जाना, बिदा होना, पीछे हटना, लोट पड़ना, अपेहि -दूर हो जाओ, दूर हटो 2. वंचित होना, मुक्त होना--दे० 'अपेत' 3. मरना, नष्ट होना, अभि-, 1. जाना, पहुँचना, निकट जाना --अस्मानतुमितोऽभ्येति--भट्टि० ७८४ 2. अनुसरण करना, सेवा करना 3. प्राप्त करना, मिलना, भुगतना, ( अच्छी बुरी बातें) भोगना, अभिप्र.-, की ओर जाना, इरादा करना, अर्थ रखना, उद्देश्य बना कर-कर्मणा यमभिप्रेति स संप्रदानम्-पा० ११४१३२ अभ्या --- पहुँचना, अभ्युद्--, 1. उठना, ऊपर जाना 2. (आलं०) फलना-फूलना, समृद्ध होना, अभ्युप1. निकट जाना, पहुंचना आपहुंचना-व्यतीतकालस्त्वहमभ्युपेत:-रघु० ५।१४, १६।२२, 2. विशिष्ट } दशा को पहुँच जाना, प्राप्त करना-सत्यं न तद्यच्छलमभ्युपैति-हि० ३।६१, 3. जिम्मेवारी लेना, सहमत होना, स्वीकार करना, (कोई काम करने की) प्रतिज्ञा करना;-मन्दायते न खल सहदामभ्युपेतार्थकृत्या:---मेघ० ३८ 4. मानलेना, अपना लेना, स्वीकार करना, 5. आज्ञा मानना, अघीनता स्वीकार करना, अव-, जानना, ज्ञान प्राप्त करना, जानकार होना-अवेहि मां किङ्करमष्टमूर्तेः- रघु० २।३५, कु. ३३१३, ४।९, आ-, आना, निकट खिसकना, उद्-1. (तारे आदि का) उदय होना, (आलं. भी) आना, ऊपर उठना-उदेति पूर्व कुसुमं ततः फलम्श० ७३०, उदेति सविता ताम्र:-आदि 2. उठना, उछलना, पैदा किया जाना 3. फलना-फूलना, समृद्ध होना, उप-, 1. पहुंचना, निकट खिसकना, पास जाना- योगी परं स्थानमुपैति चाद्यम-भग०८१२८ 2. निकट जाना, में से निकलना, प्राप्त करना, (किसी दशा को) पहुंच जाना,-उपैति सस्यं परिणामरम्यताम्-कि० ४।२२, 3. आ पड़ना, निर्-, बिदा होना, प्रस्थान करना, परा-, 1. चले जाना, दौड़ जाना, भाग जाना, वापिस मुड़ना,-यः परति स जीवतिपंच० ५।८८ 'भागने वाला अपनी जान बचा लेता है', तु०, 'जान बचाने के लिए भागना, 2. पहुँचना, प्राप्त करना-कि० ११३९ 3. इस संसार से कूच करना, मरना, दे० परेत, परि-,1. परिक्रमा करना, प्रदक्षिणा करना,-चरणन्यास भक्तिनम्रः परीया:-- मेघ० ५५, मनु० २।४८, 2. घेरना, चारों ओर चक्कर लगाना-हुतवहपरीतं गृहमिव-श० ५.१०, विषवल्लिभिः परीताभिर्महौषधि:-रघु० १२१६१, इसी प्रकार 'कोपपरीत' 3. पास जाना, (चीजों का) चिन्तन करना 4. बदलना, रूपान्तरित होना, प्र-1. निकल जाना, विदा होना,-धीराः प्रेत्यास्माल्लोकादमता भवन्ति-- केन० 2. (अतः) जीवन से विदा लेना, मरना, प्रेत्य -मर कर-न च तत्प्रेत्य नो इह-भग० १७।२८ मनु० २१९,२६, प्रति-, 1. वापिस जाना, लोट जाना, -प्रतीयाय गुरोः सकाशम्-रघु०५।३५, भट्टि० ३.१९ 2. विश्वास करना, भरोसा करना-कः प्रत्येति संवेयमिति–उत्तर० ४, 3. ज्ञान प्राप्त करना, समझना, जानना---प्रतीयते घातुरिवेहितं फलै:-कि० २२०, शि० ११६९ 4. विख्यात होना, प्रसिद्ध होना-सोऽयं वटः श्याम इति प्रतीत:-रघु० १३.५३ 5. प्रसन्न होना, संतुष्ट होना-रघु० ३।१२, १६।२१ (प्रेर.प्रत्याययति) विश्वास दिलाना, भरोसा पैदा करना -- बलवत्तु दूयमानं प्रत्याययतीव मे हृदयम् श० ५।२१, ताः स्वचारित्र्यमुद्दिश्य प्रत्याययतु मैथिली-रघु. १५।७३, प्रत्पद् -, स्वागत या सत्कार करने के लिए For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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