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( १६९ )
आस्माक (वि.) (स्त्री०-की), आस्माकीन (वि०) कहा हुआ,--तः ढोल,-तम् 1. नई पोशाक, नया
[अस्मद् +अण, खज, अस्माक आदेशः] हमारा, हम वस्त्र 2. भावहीन या निरर्थक भाषण, असम्भावना की सब का--आस्माकदन्तिसान्निध्यात्-शि० २।६३, | दढोक्ति----उदा० एष वंध्यासुतो याति-सुभा० । सम० ८1५० ।
-लक्षण (वि०) =आहितलक्षण । आस्यम् [अस्यते ग्रासोऽत्र-अस्+ज्यत्] 1. मुंह, जबड़ा | आहतिः (स्त्री०) [आ+हन्+क्तिन्] 1. हत्या करना 2.
-~-आस्यकुहरे विवृतास्य: 2. चेहरा, आस्यकमलम् 3. प्रहार, चोट, मारना, पीटना 2. यष्टि, छड़ी। मुख का वह भाग जिससे वर्णोच्चारण में काम लिया आहर (वि.) [आ+ह+अच्] (समास के अन्त में) लाने जाता है, 4. मह, विवर-व्रणास्यम, अङ्कास्यम् आदि । वाला, ले आने वाला, ग्रहण करन वाला, पकड़ने सम-आसवः लार, लुआब,-पत्रम् कमल,-लाङ्गलः __ वाला—समित्कुशफलाहरैः-रघु० १।४९,-रः 1. 1 कुत्ता, 2 सूअर, लोमन् (नपुं०) दाढ़ी।
ग्रहण करना, पकड़ना 2. पूरा करना, सम्पन्न करना आस्यन्दनम् [आ+स्यन्द् + ल्युट्] बहना, रिसना ।
3. यज्ञ करना। आस्यन्धय (वि०) [आस्य धयति-ध+ख मुम् मुखचुम्बन | आहरणम आ+हल्यट] 1. ले आना, (निकट) लाना करने वाला।
-समिदाहरणाय प्रस्थिता वयम्-श०१2. पकड़ना, आस्या-[आस् क्यप्] दे० आसना।
ग्रहण करना 3. हटाना, निकालना 4. सम्पन्न करना, आस्त्रम् [अस्र + अण्] रुधिर । सम०-पः खून पीने वाला, (यज्ञादिक) पूरा करना 5. विवाह के समय दुलहिन राक्षस ।
को उपहार के रूप में दिया जाने वाला धन, दहेज, आस्रवः [आ-+ --अप्] 1. पीडा, कष्ट, दुःख 2. बहाव, -सत्त्वानुरूपाहरणीकृतश्री:--रघु० ७।३२ ।।
स्रवण 3. (मवाद आदि का) बहना, निकलना, | आहवः [आ+हे+अप्] 1. युद्ध, संग्राम, लड़ाई-एवं 4. अपराध, अतिक्रमण 5. उबलते हुए चावलों का विधेनावचेष्टितेन-रघु० ७।६७, हत्वा स्वजनमाहवे झाग।
----भग० ११३१ 2. ललकार, चुनौती, आह्वान, काम्या आत्रायः [आ---स+घञ] 1. घाव 2. बहाव, निकास लड़ने की इच्छा 3. यज्ञ-तत्र नाभवदसौ महाहवे 3. लार 4. पीड़ा, कष्ट
----शि० १४।४४ । आस्वादः [आ+स्वद् । घञ ] 1. चखना, खाना-चूताङकु- | आहवनम् [आ+हु+ल्युट्] 1. यज्ञ-द्रष्टुमाहवनमग्रजन्म
रास्वादकषायकण्ठ:- कु० ३।३२, हि० १३१५२ 2. नाम् –शि० १४१३८ 2. आहुति । स्वाद लेना- ज्ञातास्वादो विवृतजघना को विहातुं | आहवनीय (स० कृ०) [आ+हु+अनीयर] आहुति देने के समर्थः- मेघ० ४१, सुखास्वादपरः-हि. ४७६ योग्य,-यः गार्हपत्याग्नि से ली हुई अभिमन्त्रित अग्नि, 3. सुखोपभोग करना, अनुभव करना, वत् (वि०) तीन अग्नियों में से एक (पौर्व)जो यज्ञ में प्रज्वलित की स्वादिष्ट, रसीला--आस्वादवद्भिः कवलस्तृणानाम् जाती है। दे० 'अग्नित्रेता' शब्द 'अग्नि' के नीचे । ---रघु० २१५ ।
आहारः [आह+घञ] 1. लाना, ले आना, या निकट आस्वादनम् [आ स्वद् -1-गिच्-ल्युट्] चखना, खाना।
लाना 2. भोजन करना 3. भोजन-वृत्तिभकरोत आह (अव्य.) आ+हन +3] 1. निम्नांकित भावनाओं -पंच. १, भोजन किया। सम-पाकः भोजन का
को द्योतन करने वाला विस्मयादिद्योतक अव्यय-(क) पचना,-विरहः भोजन की कमी, भूखों मरना,-सम्भवः झिड़की (ख) कठोरता (ग) आज्ञा (घ) फेंकना, -शरीर का रस, लसीका। भेजना 2. 'कहना' 'बोलना' अर्थ को प्रगट करने वाली | आहार्य (स० कृ०) [आ-++ ण्यत्] 1. ग्रहण करने या सदोष क्रिया के वर्तमान काल के प्रथम पुरुष के एक पकड़ने के योग्य 2. लाने या ले आने के योग्य 3. वचन का अनियमित रूप (भारतीय वैयाकरणों कृत्रिम, नैमित्तिक, बाह्य-आहार्यशोभारहितैरमायः के मतानुसार यह रूप '' घातु का है तथा पाश्चात्य ----भट्टि० २।१४, न रम्यमाहार्यमपेक्षते गुणम्-कि० विद्वान् इसको 'अह' से बना हुआ मानते हैं, संस्कृत ४।२३, कु० ७।२० पर मल्लि० भी, 4. साभिप्राय, भाषा में इस धातु के वर्तमान रूप—आह, आहतुः, अभिप्रेत,-उदा० रूपक में उपमेय या उपमान का आहुः आत्थ, और आहथुः है)।
आरोप जिसके विषय में वक्ता पूर्ण रूप से जानकार आहत (भू० क० कृ०) [आ+हन्+क्त] 1. जिस पर होता है। 5. श्रृंगार या आभषा से संप्रेषित या प्रभाप्रहार या आघात किया गया हो, पीटा गया (ढोल वित, अभिनय के चार प्रकारों में से एक। आदि) 2. रौंदा गया-पादाहतं यदुत्थाय मूर्धानमधि- आहावः [आ+हे.-घा] 1. पशुओं को पानी पिलाने के रोहति-शि०२१४६ 3. घायल, मारा हुआ 4. गुणित | लिए कुएं के पास बनी कुंड 2. संग्राम, युद्ध 3. आह्वान, (गणित में) 5. लुढ़काया हुआ (पासा) 6. मिथ्या | ललकार 4. अग्नि ।
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