________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
मनु० ८४१९, आयाधिकं व्ययं करोति-अपनी आम- | 2. स्नेह 3. सामर्थ्य, शक्ति 4. हद, सीमा 5. युक्ति, दनी से अधिक खर्च करता है, 4. नफा, लाभ 5. उपाय 6. महिमा, प्रताप 7. आचरण की स्थिरता। अन्तःपुर का रक्षक । सम०-व्ययौ (द्वि० व०) आय | आयथातथ्यम् [अयथातथ+ष्या] अयोग्यता, अनुपयुक्तता और व्यय ।
अनौचित्य-शि० २।५६ । आयःशूलिक (वि.) (स्त्री०-की) [ अयःशूल+ठक] आयमनम् [आ+या+ल्युट] 1. लम्बाई, विस्तार 2,
सक्रिय, परिश्रमी, अथक,-क: जो अपने उद्देश्य की नियंत्रण, निग्रह 3. (धनुष की भांति) तानना। सिद्धि के लिए सबल 'उपायों का सहारा लेता है आयल्लकः [आयन्निव लीयते अत्र ली+ड (बा.) संज्ञायां (तीक्ष्णोपायेन योऽन्विच्छेत्स आयःशूलिको जनः) तु० कन् धैर्य का अभाव, प्रबल लालसा। काव्य० १०, अयःशूलेन अन्विच्छति इति आयः | आयस (वि.) (स्त्री०-सी) [आयसो विकारः अण्] लोह शूलिकः।
निर्मित, लोहा धातुनिमित--आयसं दंडमेव वा-मनु. मायत (भू. क. कृ.) [आ+यम्+क्त] 1. लम्बा
८१३१४, सखि मा जल्प तवायसी रसज्ञा--भामि. -शतमध्यधं (योजनम्) आयता-महा० 2. विकीर्ण,
२१५९,-सी कवच, बख्तर,-सम् 1. लोहा, मूढ़ बुद्धअतिविस्तृत 3. बड़ा, विस्तृत, गम्भीर 4. खींचा हुआ, मिवात्मानं हैमीभूतमिवायसम्–कु० ६।५५, स चकर्ष आकृष्ट 5. संयत, नियन्त्रित,-तः आयताकार (रेखा- परस्मात्तदयस्कान्त इवायसम् रघु० १७१६३, 2. लौहगणित में)। सम०-अक्ष (वि.) (स्त्री०-सी) निर्मित वस्तु 3. हथियार ।। -क्षिण,- नेत्र,-लोचन (वि.) बड़ी आंखों | आयस्त (भू० क० कृ०) [आ+यस्+क्त] 1. पीड़ित, वाला,-अपांग (वि.) लम्बी कोर की आँखों वाला, दुःखी 2. चोट खाया हुआ 3. क्रुद्ध, नाराज 4. तीक्ष्ण । -आयतिः (स्त्री०) दीर्ष निरंतरता, बहुत देर बाद | आयानम् [आ+या+ ल्युट्] 1. आना, पहुंचना 2. नैसर्गिक आने वाला भविष्य-शि० १४१५,-च्छदा केले का मनोभाव, स्वभाव। पौधा (पेड़), लेख (वि.) दीर्घवक्राकार-कु० ११ आयामः [आ+यम्+घञ] 1. लम्बाई-तिर्यगायामशोभी ४७,-स्तूः (पुं०) चारण, भाट ।
–मेघ० ५७, 2. प्रसार, विस्तार-कि० ७१६, 3. आयतनम् [आयतन्तेऽत्र आयत्-+ल्युट्] 1. स्थान, आवास,
फैलाना, विस्तार करना 4. निग्रह, नियंत्रण, रोकथाम घर, विश्रामस्थल (आलं. भी)-शूलायतना:-मुद्रा०
-प्राणायामपरायणा:--भग०४।२९, प्राणायामः परं ७, जल्लाद, स्नेहस्तदेकायतनं जगाम-कु० ७५,
तपः-मनु० २।८३ । उसमें केन्द्रित हो गया, रघु० ३।३६, सर्वाविनयाना
आयामवत् (वि.) [ आयाम+मतुप ] विस्तारित, लम्बा मेककमप्येषामायतनम्-का० १०३, (अतः) आश्रय, --विक्रम० ११४, शि० १११६५ । घर 2. यज्ञ अग्नि का स्थान, वेदी 3. पवित्र स्थान, आयासः [आ+यस्+घञ] 1. प्रयत्न, प्रयास, कष्ट, पुण्यभूमि-जैसा कि --देवायतनं, महायतनम् आदि कठिनाई, श्रम-बहुलायास-भग० १८१२४, तु० में 4. मकान बनाने का स्थान ।।
'अनायास' 2. थकावट, थकन, स्नेहमूलानि दुःखानि आयतिः (स्त्री०) [आ+या+डति] 1. लम्बाई, विस्तार
देहजानि भयानि च, शोकहर्षों तथायासः सर्वस्नेहात् 2. भावी समय, भविष्यत्, भंगः--का० ४४-भूयसी। प्रवर्तते । महा। तव यदायतायतिः-शि० १४१५, रहयत्यापदुपेतमा- | आयासिन् (वि.) [आ+यस्+णिनि] 1. परिश्रान्त, यतिः-कि० २११४, 3. भावी फल या परिणाम थका हुआ 2. प्रयास करने वाला, प्रबल उपयोग करने
-आयति सर्वकार्याणां तदारवं च विचारयेत् --मनु० वाला-मनस्तु तद्भावदर्शनायासि-श० २११, ५।१ । ७.१७८, कि० १११५, २।४३, 4. महिमा, प्रताप 5. आयुक्त (भू० क० कृ०) [आ+युज्+क्त] 1. नियुक्त, हाथ फैलाना, स्वीकार करना, प्राप्त करना 6. कर्म कार्यभार-युक्त (संबं० या अधि०) भट्टि० ८११५, ---यथामित्रं ध्रुवं लब्ध्वा कृशमप्यायतिक्षमम्-मनु० 2. संयुक्त, प्राप्त,-क्तः मंत्री, अभिकर्ता या कमिश्नर । ७२०८ (कर्मक्षमम्-कुल्लूक) 7. नियन्त्रण, (मन आयुधः-धम्-[आ+युध+घञ] हथियार, ढाल, शस्त्र का) निग्रह ।
(यह तीन प्रकार के है-(क) प्रहरण-खङ्गादिक आयत्त (भू० क० कृ०) [आ+यत्+क्त] 1. अधीन, (ख) हस्तमुक्त-चक्रादिक (ग) यंत्रमुक्त--बाणा
आश्रित, सहारा लिए हुए (अधिक के साथ या समास दिक;-न मे त्वदन्येन विसोढमायुधम् --रघु० ३१६३। में)-दैवायत्तं कुले जन्म मदायत्तं तु पौरुषम-वेणी० सम--अ (आ)गारम् शस्त्रागार, हथियार गोदाम ३॥३३, भाग्यायत्तमतः परम्--श० ४।१६, 2. वश्य, -अहमप्यायुधागारं प्रविश्यायुधसहायो भवामि-वेणी. विनीत।
१, मनु० ९।२८०,-जीविन् (वि.) शस्त्रास्त्र से आयत्तिः (स्त्री०) [आ+यत्-न-क्तिन्] 1. आश्रय, अधीनता | जीवन-निर्वाह करने वाला, (-पुं०) योद्धा, सिपाही ।
विचारयेत्-म
आयुक्त (भू
(संबं० या आ
For Private and Personal Use Only