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आभिषेचनिक (वि.) (स्त्री०—की) [ अभिषेचन+ घञ -तारा०] 1. कच्चा, अनपका, अपक्व (विप०
ठा ] राजतिलक से संबन्ध रखने वाला- आभिषेच- 'पक्व') आमान्तम् ---मनु० ४।२२३ 2. हरा, अपरि
निकं यत्ते रामार्थमुपकल्पितम्-रामा०, महावी. ४। पक्व 3. आवे में न पकाया हआ (बर्तन आदि) 4. आभिहारिक (वि.) (स्त्री०----की) [ अभिहार+ठन। अनपचा,-मः 1. रोग, बीमारी 2. अजीर्ण, कब्ज उपहार के रूप में देय, कम् भेंट, उपहार ।
3. भूसी से अलग किया हुआ अनाज । सम०--आशयः "आभीक्ष्ण्यम् [अभीक्ष्णस्य भावः-व्यञ ] अनवरत अनपचे भोजन का (पेट में) स्थान, उदर का ऊपरी आवृत्ति, बहुलमाभीक्ष्ण्य-पा० ३।२।८१ ।
भाग, पेट,- कुंभः कच्ची मिट्टी का घड़ा-हि० ४) आभीरः [आ समन्तात् भियं राति-रा+क तारा० ] ग्वाला, ६६,—गंधि (नपुं०) कच्चे मांस या शव के जलने
-आभीरवामनयनाहृतमानसाय दत्तं मनो यदुपते तदिदं की दुर्गध, ज्वरः एक प्रकार का बुखार-तु०-स्वेद्यगहाण--उद्भट 2. (ब० व.) एक देश तथा उसके मामज्वरं प्राज्ञः कोऽम्भसा परिषिञ्चति-शि०२।५४, निवासी,-री 1. ग्वाले की पत्नी 2. आभीरजाति की -त्वच् (वि०) कोमल त्वचा वाला,--पात्रम् बिना स्त्री। सम-पल्लिः ,-पल्ली (स्त्री०),--पल्लिका तपाया हुआ बर्तन,--विनाशं व्रजति क्षिप्रमामपात्रमि
ग्वालों का आवासस्थान, ग्वालों के रहने का गाँव।। वांभसि-मनु० ३.१७९,-रक्तम् पेचिश,-रसः आभील (वि०) [ आभियं लाति ददाति-ला+क]| आमाशय में बनने वाला भोजन का अम्ल,-बातः कब्ज, भयानक, भीषण,-लम् चोट, शारीरिक पीडा।
-शल: अजीर्ण की पीड़ा, गुर्दे का दर्द । आभुग्न (वि.) [ आ+भुज्+क्त ] कुछ मुड़ा हुआ या |
| आमञ्जु (वि०) [प्रा० स०] प्रिय, मनोहर । झुका हुआ।
आमंडः [प्रा० स०] एरंड का पौधा । आभोगः [आ+भुज+घन 11. घेरा, परिधि, विस्तार, आम (मा) नस्यम् [ अमनस्+प्या ] पीडा, शोक । विस्तारण (दीर्धीकरण), परिसर, पर्यावरण-अक
आमन्त्रणम-णा [आ+मन्त्र+णिच+ल्युट, युच् वा] 1. थितोऽपि ज्ञायत एव यथायमाभोगस्तपोवनस्येति ....श.
संबोधित करना, बलाना, आवाज देना 2. बिदा लेना, १, गगनाभोगः–नभो विस्तार 2. लंबाई-चौड़ाई,
बिदा होना 3. अभिवादन 4. निमन्त्रण --- अनिन्द्यामन्त्रपरिमाणांडाभोगात्-मेघ० ९२, विस्तृत गाल से
णादते---याज्ञ० ११११२ 5, अनुमति 6. समालाप, 3. प्रयत्न 4. साँप का विस्तृत फण (जिसे वरुण छतरी
--अन्योन्यामन्त्रणं यत्स्याज्जनान्ते तज्जनान्तिकम् के रूप में प्रयुक्त करता है) 5. उपभोग, तृप्ति-विष
सा० द०६, 7. संबोधन कारक। याभोगेषु नवादरः-शान्ति ।
आमन्द्र (वि.) [आ+मन्द्र+अच् ] कुछ गम्भीर स्वर आभ्यन्तर (वि०) (स्त्री० -री) [ अभ्यन्तर+अण् ] वाला, गड़गड़ाहट करने वाला-आमंद्राणां फलमभीतरी, आन्तरिक, अंदरूनी।।
विकलं लप्स्यसे गजितानां-मेघ० ३४,-नः जरा आम्यवहारिक (वि०) (स्त्री० --की) [अभ्यवहार+
•गंभीर स्वर, गड़गड़ाहट । ठक | भोज्य, खाने के योग्य (आहारादिक)।
आमयः [आ+मी+करणे अच-तारा०, आमेन वा आभ्यासिक (वि.) (स्त्री०-को) [अभ्यास---ठक] 1.
अय्यते इति आमयः ] 1. रोग, बीमारी, मनोव्यथा अभ्यासजनित 2. अभ्यास करने वाला, दोहराने वाला 3.
--दमिय:-- महावी० ४।२२, आमयस्तु रतिरागनिकटस्थ, पड़ोस में रहने वाला, संलग्न (आभ्याशिक)।
संभवः-रघु०१९।४८, शि०२११०, 2. हानि, क्षति । आभ्युवयिक (वि.) (स्त्री० ----की) [अभ्युदय+ठक ] / अ
आमयाविन (वि०) [आमय+विन् नि० ] बीमार, मंदा1. मङ्गलोन्मुख, समृद्धिजनक-अनाभ्युदयिकं श्रमणक
ग्निपीडित, अग्निमांद्य रोग से ग्रस्त,। , दर्शनम्-मच्छ०८,2. उन्नत, गौरवशाली, महत्त्वपूर्ण, आमरणान्त, -तिक (वि.) (स्त्री...की) [प्रा० स० -कम् श्राद्ध या पितरों को भेंट या उपहार. हर्ष ---आमरणे अन्तो यस्य - ब० स०] मत्यु पर्यंत रहने का अवसर।
वाला, आजीवन आमरणान्ताः प्रणयाः कोपास्तत्क्षणआम् (अव्य०) [अम्+णिच् बा० ह्रस्वाभावः-ततः भङगुरा:-हि० ११११८, अन्योन्यस्याव्यभीचारी भवे
क्विप] निम्नांकित भावनाओं को प्रकट करने वाला दामरणान्तिक:--मनु० ९।१०१, विस्मयादि द्योतक अव्यय-(क) अंगीकरण, स्वीकृति | आमदः [आ+मृद्घा ] 1. कुचलना, मसलना, निचो
-'ओह'-'हाँ'-आं कुर्मः---मालवि० १ (ख) ड़ना 2. विषम व्यवहार। प्रत्यास्मरण-आं ज्ञातम्-श०३-ओह-अब पता आमर्शः [आ+मश्+घञ ] 1. स्पर्श करना, रगड़ना 2. लगा (ग) निश्चयेन 'निश्चय ही 'अवश्य ही'-आं सलाह, परामर्श । चिरस्य खलु प्रतिबुद्धोऽस्मि (घ) उत्तर।
आमर्षः,-र्षणम् [आ-+-मष-+घञ, स्युट् वा] क्रोध, आम (वि.) [आम्यते ईषत् पच्यते-आ+अम्+कर्मणि कोप, असहनशीलता दे० 'अमर्ष ।
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