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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १४२ ) भी) दस भार या गाड़ी भर की तोल (८०,००० | आजीविका [ आ+जीव् ।-अनकन्+टाप, अत इत्वम् ] तोला)। पेशा, जीवन निर्वाह का साधन, वृत्ति। आचूषणम् | आ+चूष + ल्युट ] 1. चूसना, चूस लेना 2. | आजुर--आज (स्त्री०) {आ|-ज्वर+क्विप, आ+जू+ चूस कर बाहर निकाल देना, (आयु० में) सिंगी क्विप् च 1. बेगार, बिना पारिश्रमिक प्राप्त किये काम लगाना । करना 2. बेगार में काम करने वाला 3. नरक वास । आच्छादः [ आ-छद् : णिच् +धा ] कपड़ा, पहनने का ! आज्ञप्तिः (स्त्रो०) [आ-+-ज्ञा-|-णिच् +-क्तिन, पुकागमः, वस्त्र। ह्रस्वश्च ] आदेश, हुकुम, आज्ञा । आच्छादनम् [आ+छद्+णिच् + ल्युट्]1. ढकना, छिपाना | आज्ञा [आ+ज्ञा | अङटाप् | 1. आदेश, हुकुम---तथेति 2.ढक्कन, म्यान 3. कपड़ा, वस्त्र - भूषणाच्छादनाशनः शेषामिव भर्तुराज्ञाम्- कु०३१२२ 2. अनुज्ञा, अनुमति । .-याज्ञ० १४८२, 4. छाजन । सम० अनुग,-अनुगामिन, अनुयायिन्,-अनुवतिन् आच्छुरित (वि०) [आ+छुर्+क्त ] 1. मिश्रित, ----अनुसारिन,-संपादक, वह (वि०) आज्ञाकारी, मिलाया हुआ 2. खुरचा हुआ, खुजलाया हुआ,--तम् आज्ञानुवर्ती, कर, कारिन (वि.) आज्ञा मानने 1. नखों को आपस में एक दूसरेसे रगड़ कर एक प्रकार वाला, आदेश का पालन करने वाला, आज्ञाकारी, का शब्द पैदा करना, नखवाद्य 2. ठहाका मार कर (-रः) सेवक, - करणम,—पालनम् आज्ञा मानना, हंसना, अट्टहास । आदेश का पालन करना,-पत्रम् हक्मनामा, लिखित आच्छरितकम् [ आच्छरित+कन् ] 1. नाखून की खरोच आदेश, -प्रतिघातः,--भंगः आज्ञा न मानना, आज्ञा के 2. अट्टहास । विरुद्ध कार्य करना -- नाजाभङ्ग सहन्ते तवर नृपतआच्छेदः ---दनम् [आ+छिद्+घञ -+ल्यूट वा] 1. काट यस्त्वादृशाः सार्वभौमाः-मुद्रा० ३।२२। देना, अपच्छेदन 2. जरा सा काटना । आज्ञापनम् आ-ज्ञा--णिच्--ल्युट्, पुकागमः ] 1. आदेश आच्छोटनम् [ आ+स्फुट् + ल्युट्– पृषो०] अंगुलियाँ देना, हुक्म देना 2. जतलाना । चटकाना। आज्यम् [ आज्यते--आ+अङ्ग्+क्यप् ] 1. पिघलाया आच्छोदनम् | आ| छिद्+ ल्युट् पृषो० इत ओत् ] शिकार हुआ घी, मन्त्रोहमहमेवाज्यम्---श०१ (यह बहुधा करना, पीछा करना। 'घत' से भिन्न समझा जाता है-सपिविलीनमाज्यं आजकम् [ अजानां समूहः अज- वुञ्] रेवड़, बकरों स्वाद घनीभूतं घृतं भवेत्) । सम० पात्रम् - स्याली का झुंड। पिघले हुए घी को रखने का बर्तन,- भुज् (पुं०) 1. आजगवम् [ अजगव+अण् ] शिव का धनुष । अग्नि का विशेषण 2. देवता । आजननम् [ आ-जन्- ल्युट ] ऊंचे कुल में जन्म होना, | आञ्चनम |आ+अञ्चल्यट] सींग, तीर या किसी ऐसे प्रसिद्ध या विख्यात कुल । ही और शस्त्र को थोड़ा खींच कर शरीर से बाहर आजानः [आ+जन् । घा] जन्म, कुल,-नम् जन्मस्थान । निकालना। आजानेय (वि०) (स्त्री०-यो) [आजे विक्षेपेऽपि आनेयः | आञ्छ (भ्वा० पर०)[आञ्छति, आञ्छित 1. लंबा करना, अश्ववाहो यथास्थानमस्य ---ब. स.] 1. अच्छी नस्ल | विस्तार करना, 2. विनियमित करना, (हड्डी या का (जैसे घोड़ा) 2. निर्भय, निश्शंक,–यः · अच्छी टांग आदि को) ठीक बैठाना । नस्ल का घोड़ा-शक्तिभिभिन्नहृदयाः स्खलन्तोऽपि पदे आञ्छनम् [ आञ्छ् + ल्युट ] (हड्डी या टांग का) ठीक पदे, आजानन्ति यतः संज्ञामाजानेयास्ततः स्मृताः बैठाना । -----शब्दक। आजनम् [अञ्जनस्येदम्-अण]1. मरहम, विशेषतः आंखों आजिः [ अजन्त्यस्याम्, अज् + इण् ] 1. युद्ध, लड़ाई, के लिए 2. चर्बी,-नः मारुति या हनुमान्,...दाशरथि संघर्ष ते तु यावन्त एवाजी तावान् स ददशे परैः-रघु० बलैरिवाञ्जननीलनलपरिगतप्रान्तै:--का० ५८ । १२।४५, 2. कुश्ती या दौड़ की प्रतियोगिता 3. रण- आजनी [अञ्जनस्येदम् -- अण, स्त्रियां डीप ] आंखों में क्षेत्र-शस्त्राण्याजो नयनसलिलं चापि तुल्यं मुमोच | डालने का मरहम या अंजन । सम०–कारी लेप या —विक्रम० ३९। उबटन आदि तैयार करने वाली स्त्री। आजीवः,-वनम् [आ+जी+घन, ल्युट वा] 1. | आञ्जनेयः [ अंजना-दक् | हनुमान् । जीविका, जीवननिर्वाह का साधन, भरण-भवत्या- | आटविकः [ अटव्यां चरति भवो वा--ठक् ] 1. वनवासी जीवनं तस्मात् —पंच० ११४८,तु० रूपाजीव, अजाजीव, जंगल में रहने वाला पुरुष 2. मार्गदर्शक, अगुआ । शस्त्राजीव आदि शब्दों की 2. पेशा, वृत्ति,-वः जैन- | आटिः [आ+अट् + इण् ] 1. एक प्रकार का पक्षी भिक्षुक । (शरारि)। For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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