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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1355 ) सात्म्यम् समता, बराबरी। 5. पहचान / सम० . धर्म: (अलं०) (उपमान और सात्त्विकः [ सत्व+ठन ] शरद् शृतु को रात्रि / उपमेय) का समान गुण,-बाचिन् (वि०) समानता सात्वतः 1. भक्त 2. पांचरात्र शाखा से संबंध रखने वाला, को कहने बाला,-शासनम् वह आज्ञा जो सब पर सात्वतर्षभः कृष्ण का विशेषण / लागू हो। साधक (वि०) [ सा+वल ] उपसंहारात्मक, उप- | सामिष (वि०) मांसयुक्त / संहार परक / सामुदायिक (वि.) [समुदाय +ठन्] समूह से संबंध रखने साधनम् [सा+ल्युट ] 1. उपकरण, अभिकरण | वाला, सामूहिक / / 2. तैयारी 3. संगणना। साम्परायः 1. सहायक 2. आवश्यकता, 3. संकट / साधनीभ (भ्वा० पर०) साधन होना, उपाय होता। साम्पराधिक (वि.) [संपराय+ठक] 1. पारलौकिक, साघनीय (वि.) [साधु+अनीय) 1. सिद्ध करने योग्य, 2. दाहकर्म संबंधी- रा०४।३।४०। . कार्य को संपन्न करने के लिए उपयोगी 2. प्राप्त करने | साम्यम् सिम - व्या] 1. माप 2. समय / योग्य / सायः [सो+धा] 1. समाप्ति, अन्त 2. सध्या 3. बाण / साधितव्यापक (वि०) सिद्ध करने योग्य वस्तु में अन्तहित / सम०-अशनम् सायंकाल का भोजन, धर्तः 1. शठ तत्त्व के लिए तर्कशास्त्र का पारिभाषिक शब्द / 2. चन्द्रमा, मण्डनम् सूर्यास्त / साधर्म्यसमः झूठमूठ का आक्षेप (तर्क०)। सायम्प्रातः (30) सवेरे शाम / साधारणः न्याय में एक नियम जो मध्यवर्ती हो और सर्वत्र सायंसवनम् सायंकालीन धर्मानुष्ठान / समान रूप से लागू हो। सायुध (वि०) सशस्त्र / साधारणपक्षः समान घटक, मध्यवर्ती तथ्य / सारः . रम सिघन अच् वा] 1. क्रम, गति 2. मख्यअंश साधारणीभू (भ्वा० पर०) समान होना।। 3. गोबर 4. मवाद, पस। सम०--गात्र (वि.) साधु (वि०) [साध् + उन्] 1. अच्छा, उत्तम 2. योग्य, सबल अंगों वाला,-गुणः प्रधानगुण या धर्म गुर उचित 3. भला, गुणी 4. सही 5. सुखद। सम० (वि.) बोझल, बोझ के कारण भारी,--फल्ग --कृत (वि.) उचित रूप में किया हुआ,-देवी सास, (वि.) बढ़िया और घटिया, उपयोगी और व्यर्थ, —मत (वि.) सुविचारित, शील (वि०) धर्मात्मा, -मार्गणम् गूदे या वसा का ढूंढना। -----संमत (वि.) भले व्यक्तियों को मान्य / सारनी संगीत का एक विशेष राग। सान्तराल (वि.) [ब० स०] अन्तराल या अवकाश सहित।। सारणिकानः लुटेरा, डाकू। सान्तानिकः [सन्तान+ठा ] सन्तान का इच्छुक-नाहं त्वां सारथिः इस+अथिण, सह रथेन सरथः (घोटकः तत्र भस्मसात् कुर्या स्त्रियं सान्तानिकः सति भाग० नियक्तः) इन वा 1. रथवान् 2. पथप्रदर्शक / 9 / 14 / 9 / सारसाक्षम् एक प्रकार का लाल / सान्द्रस्पर्श (वि०) जो छूने में मृदु हो, चिपचिपा हो। सारसाक्षी कमल जैसी सुन्दर आँखों वाली महिला, पद्मसान्द्रानन्द: आध्यात्मिक सुख-सान्द्रानन्दावबोधात्मकमन- लोचना। पमितम् - नारा० 111 / सारसनम् वक्षस्त्राण, कवच / सामग्यम् [समग्र-प्या कल्याण, कुशलक्षेभ-अयि लक्ष्मण | सार्थहीन (वि.) समूह से छुटा हुआ, यूथ भ्रष्ट / सीतायाः सामग्र्यं प्राप्नयााहे.--रा० 3157120 / सार्धधाषिक (वि.) डेढ़ वर्ष तक रहने वाला / सामन् (नपुं०) [सो---मनिन] आवाज, शब्द, ध्वनि स्वर: | सार्धवत्सरम् डेढ़ वर्ष / सामशब्देन लोके अभिधीयते-मो० सू० 71217 पर| सालङ्कार (वि.) सुभूषित, अलंकारों से युक्त / शा० भा० / सम० कलम मित्र के स्वर में, | सावधारण (वि०) सीमित, नियन्त्रित / -प्रधान (वि०) पूर्णतः कृपाल या मित्रसदश, सावशेषजीवित (वि०) जिसका जीवन अभी शेष है, जिसने -विधानम् 1. एका व्राह्मण का मूल पाठ 2. साम का ___अभी, और जीना है। प्रयोग। साक्षष्टम्भवास्तु वह भवन, जिसके दोनों ओर दो खली सामन्तचक्रम् अधीनस्थ राजाओं का भण्डल / पाचवीथियां (खुले दालान) हों। सामन्तवासिन् (वि०) पड़ोसी। सावित्रीसूत्रम् यज्ञोपवीत / सामयिकम समय-ठन] 1. समानता 2. संपत्ति विषयक | साश्चर्यचर्य (वि०) आश्चर्ययुक्त आचरण वाला / सासहि (वि.) (सह+यड़। 1. सहनशील 2. जो प्रतिपक्षी सामान्यम् [समान-व्य] 1. सामान्य बक्ष 2. एक का मुकाबला कर सके 3. जीतने वाला। अर्थालंकार 3. सार्वजनिक कार्य 4. साधारण लक्षण | सास्थि (वि०) हड्डियों से युक्त / लेखपत्र / For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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