________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1353 ) समिधाधानम् 1. यज्ञाग्नि पर समिधाएं रखना 2. ब्रह्म- सम्प्रयुक्त (वि.) [ सम्+प्र+युज्+क्त ] प्रेरित, चारी के लिए विहित दैनिक अग्निहोत्र / | प्रोत्साहित / समीक्षा [सम् + ईक्ष् +अङ-टाप् ] 1. देखने की इच्छा, [ सम्प्रयोगः (वि०) [ सम् +-+-युज्+घञ्] (ज्योति०) दिदक्षा 2. आध्यात्मिक ज्ञान। चन्द्रमा और नक्षत्रों का संयोग। समीरणः [सम् + ई-णिच+ल्यूट पांच की संख्या / | सम्प्रसादः [सम्+प्र+सद्+घञ मानसिक शान्ति / समुच्चयालङ्कारः एक अलंकार का नाम / सम्प्राप्त (वि.) [सम्+प्र+आप+क्त] पहुँचा हुआ, समुच्चयोपमा समुच्चयालंकार से बनी उपमा / प्रकट हुआ, अधिगत / समुच्छ्यः [सम् + उत्+श्रि+अच] 1. संचय 2. युद्ध, | सम्प्लवः [सम्+प्लु+ अप्] 1. अव्यवस्था 2. अवनति __लड़ाई 3. वृद्धि विकास / ____3 तुमुल 4. अन्त, समाप्ति / समुच्छित (वि०) [सम् + उत् + थि+क्त ] 1. खूब | सम्भिन्न (वि.) [सम्+भिद्+क्त ] 1. ठोस, भरा हुआ उठाया हुआ 2. हिलोरें लेता हुआ। ___2. द्रोही, देशद्रोही। समुत्कट (वि०) ऊँचा, समुन्नत / सम्भवः [सम्+भिद्+घा] 1. मुट्ठी भींचना, घुसा समुत्थानम् |सम+उत+स्था+ल्यट] 1. उद्योग | तानना 2. विद्रोह 3. बगावत, देशद्रोह। ----महा० 12 / 23 / 10 2. (मंडा) लहराना 3. (पेट | सम्भोगवेश्मन् रखैल का घर। की) सूजन। सम्भवः [ सम्+भू+अप्] 1. शक्य बात 2. संपति, धन समुदायवाचक (वि०) वस्तुओं के संग्रह को प्रकट करने .. महा० 13164 / 113. ज्ञान ईशोप० 13 / वाला (शब्द)। सम्भविष्णु (वि०)[सम् +भू+इष्णुच] उत्पादक रचयिता। समुदायशब्दः 'संग्रह' की अभिव्यक्ति करने वाला शब्द। सम्भावित (वि०) [ सम्-भू---णिच्+क्त] जिसके समुखत (वि.) [सन् + उत्-हिन्+क्त ] गहन, प्रचण्ड, J घटने की आशा हो-त्वयि सम्भावितवत्ति पौरुषम समुद्यत (वि.) [सम्+उत्। यम+क्त ] 1. उठाया | कि० 27 / हुआ, समुन्नत 2. तैयार, तत्पर 3. निष्पन्न / संभावितम् अनुमान / समुद्रः अत्यन्त ऊंची संख्या / सम्भ (जुहो० उभ०) उठाना-दक्षिणं दक्षिणः काले सम्भत्य समुद्रदयिता नदी, दरिया। स्वभुजं तदा--महा० 697682 / समुद्र पत्नी सम्भृत (वि.) [सम्-+-भृ+क्त ] 1. सम्मानित 2. ऊंची समुद्र योषित) (ध्वनि)। समुपष्टम्भः [सम्+उप+स्तंम् + धन ] सहारा, 423 सम्भृतश्रुत (वि.) ज्ञान से युक्त / टेक। सम्भतसंभार (वि०) सर्वथा उद्यत, पूरी तरह तैयार। सम्पातः [ सम् +पत्+घा ] संप्रेषण (जैसा कि 'दूत- सम्भूतस्नेह (वि.) अनुराग से युक्त, अनुरक्त / संपात' में)। सम्भ्रान्तमनस् (दि०) घबराये हुए मन वाला। सम्पद् (स्त्री०) [सम् +पद्+क्विप् ] अधिग्रहण / सम्मतिः [ सम् + मन्+क्तिन् ] सम्मान देना / सम्पन्नम् [सम्+पद्+क्त] पर्याप्त (श्राद्ध के पश्चात् | सम्मतिपत्रकम् न्यायाधिकरण का निर्णय-शुक्र०२।३०४ / संतोष का चिह्न)। सम्मित (वि.) [सम्+मा-|-क्त ] 1. समान महत्त्व का सम्परेत (वि.) [सम् +पर+इ+क्त ] मृत / -----पुराणं ब्रह्मसम्मितम्-भाग० 1 / 3 / 40 2. भाग्यलेख सम्पुट, [सम् +पुद+क] गोलार्द्ध / -महा० 5 / 68 / 1 / / सम्पूर्णकाम (वि०) जिसकी कामना पूरी हो गई हो। सम्मुखीन (वि.) [सम्मुख+खञ् ] योग्य, उपयुक्त / सम्पूर्णफलभाज् (वि.) पूरा फल पाने वाला। सम्मछनम् [ सम्-मुर्छ+ल्युट् ] मिश्रण / सम्पर्क: [ सम् +पृच्+घञ्] योगफल / सम्मदः [ संमृद्+घञ्] (लहरों को) टक्कर / सम्पृक्त (वि.) [सम् +पच्+क्त ] मित्र बना हुआ। सम्यग्ज्ञानम् सही ज्ञान, सच्ची जानकारी। सम्प्रज्ञात: [सम्+प्र+जा+क्त ] योग की एक समाधि | सम्यग्दृष्टिः अन्तर्दृष्टि, अन्तरवलोकन / जिसमें मनन का विषय स्पष्ट रहता है (विप०) | सरः [स-+-अच् ] (काव्य०) ह्रस्व स्वर / असंप्रज्ञात)। सरस (वि०) काव्यरस से परिपूर्ण कल्याणिनी सरससम्प्रतिपत्तिः [सम् ++पद्+क्तिन् ] प्रत्युत्पन्नमतित्व / / चित्रपदा गुणाढ्याम् --शिवानन्द० 100 / सम्प्रदायप्रद्योतकः वैदिक परम्परा को दर्शाने वाला---सम्प्र- | सर्गः [ सज+घन 11. शस्त्रास्त्रों का उत्पादन,-सर्गाणां दायप्रद्योतको अनुग्राहकश्चेति पातञ्जलाः / चान्ववेक्षणम् महा० 12159 / 44 2. शब्द के अन्त सम्प्रदायविगमः परम्परा का लोप / में महाप्राणता (विसर्ग भी)। For Private and Personal Use Only