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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( असंस्थित ( वि० ) [ न० त०] 1. अव्यवस्थित, क्रमरहित 2. असंगृहीत । असंस्थितिः (स्त्री० ) [ न० त०] 1. अव्यवस्था, गड़बड़ । असंहत ( वि० ) [ न० त०] 1. न जुड़ा हुआ, असंयुक्त, बिखरा हुआ, 2. त: पुरुष या आत्मा ( सां०द० में ) । असकृत् ( अव्य० ) [ न० त०] एक बार नहीं, बार-बार, बहुधा -- असकृदेकरथेन तरस्विना - रघु० ९।२३, मेघ० ९२,९३, । सम० समाधिः - बारंबार चितन, मनन, - गर्भवासः बारंबार जन्म । असक्त (वि० ) [ न० त०] 1. अनासक्त, बेलगाव, उदासीन - असक्तः सुखमन्वभूत् रघु० १ २१, 2. न फँसा हुआ श० २११२, 3. सांसारिक भावनाओं तथा संबंधों के प्रति अनासक्त, क्तम् ( अव्य० ) 1. अनासक्तिपूर्वक, 2 अनवरत बिना रुके । असक्य ( वि० ) [ न० ब० ] जंघारहित । असखिः [ न० त०] शत्रु, विरोधी । असगोत्र ( वि० ) [ न०त०]ज एक ही गोत्र या कुलका न हो । असडकुल (वि० ) ( न० त०] जहाँ भीड़-भड़क्का न हो, खुला हुआ, चौड़ा (जैसे कि सड़क ) -ल: चौड़ी सड़क असख्य ( वि० ) [ न० ब० ] गिनती से परे, गणनारहित, अनगिनत मनु० १८०, १२१५, ता-त्वम् अनंतता । असख्यात (वि० ) [ न० त०] गणनारहित, अनगिनत । असल्येय ( वि० ) [ न० त०] अनगिनत - यः शिव की उपाधि । असङ्ग ( वि० ) [ न० ब०] 1. अनासक्त, सांसारिक बंधनों से मुक्त 2. बाधारहित, निर्वाध अकुण्ठित 3. असंयुक्त अकेला, निलिप्त, --गः [ न० त०] 1. अनासक्ति --- मनु० ६।७५, 2. पुरुष या आत्मा ( सां० द०) । असङ्गत ( वि० ) [ न०त०] 1. न जुड़ा हुआ, न मिला हुआ 2. अनुचित, बेमेल 3. उजड्ड, अशिष्ट, अपरिष्कृत | असङ्गति: ( स्त्री० ) [ न०त०] 1. मेल का न होना 2. असं बद्धता, अनौचित्य 3. (सा० शा० ) एक अलंकार जिसमें कार्य और कारण की स्थानीय अनुकूलता न पाई जाय जहाँ कारण और कार्य के प्रतीयमान संबंध का उल्लंघन हो । असङ्गम ( वि० ) [ न० ब० ] न मिला हुआ, मः 1. वियोग, अलगाव 2. असंबद्धता । असङ्गिन् ( वि० ) [ न० त०] 1. न मिला हुआ, असंबद्ध 2. सांसारिक विषयों में अनासक्त । असंज्ञ (वि० ) [ न० ब० ] संज्ञाहीन, - ज्ञा वियोग, असहमति, असामंजस्य । असत् (वि० ) [ न० त०] 1. अविद्यमान, जिसका अस्तित्व न हो - असति त्वयि कु० ४।१२, मनु० ९१५४, 2. सत्ताहीन, अवास्तविक, आत्मनो ब्रह्मणा Sभेदमसन्तं कः करिष्यति 3. बुरा ( विप० सत् ) १२७ ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सदसद्वयक्तिहेतवः - रघु० १1१०, 4. दुष्ट, पापी, निद्य जैसे विचार 5. अव्यक्त 6 गलत, अनुचित, मिथ्या, असत्य - - इति यदुक्तं तदसत् ( प्रायः विवादास्पद रचनाओं में प्रयुक्त ) – (पुं०-न्) इन्द्र, ( नपुं० त् ) 1. अनस्तित्व असत्ता 2. झूठ, मिथ्यात्व - तो दुश्चरित्रा स्त्री असती भवति सलज्जा - पंच० १।४१८ । सम० - अध्येत (पुं०) वह ब्राह्मण जो पाखंडयुक्त रचनाओं को पढ़ता है, जो अपनी वेदशाखा की उपेक्षा करके दूसरी शाखा का अध्ययन करता है शाखारंड कहलाता है- स्वशाखां यः परित्यज्य अन्यत्र कुरुते श्रमम् शाखारंड: स विज्ञेयो वर्जयेत्तं क्रियासु च । - आगम: 1. धर्मविरुद्ध शास्त्र या सिद्धांत 2. अनुचित साधनों से ( धन की प्राप्ति 3. बुरा साधन - आचार ( बि०) दुराचारी, बुरा आचरण करने वाला, दुष्ट - रः ) अशिष्ट आचरण, - कर्मन्, – क्रिया 1. बुरा काम 2. बुरा व्यवहार, -- कल्पना 1. गलत कार्य, 2. मिथ्या प्रपंच- प्र (ग्रा) हः 1. बुरा दांव 2. बुरी राय, पक्षपात 3 बच्चों जैसी इच्छा, चेष्टितम् क्षति, आघात प्राणिष्वसच्चेष्टितम् - श० ५/६ - दृश् (वि०) बुरी दृष्टि वाला -- पथ: 1. बुरा मार्ग 2. अनिष्ट आचरण या सिद्धांत; - नाशो हन्त सतामसत्पथजुषामायुः समानां शतम्-भा० ४ | ३६, – परिग्रहः बुरे मार्ग को ग्रहण करना, - प्रतिग्रहः 1. बुरी वस्तुओं का उम्हार 2. ( तिल आदि ) अनुपयुक्त उपहार ग्रहण करना या अनुचित व्यक्तियों से लेना, -भाव: 1. अनस्तित्व, अभाव 2. बुरी राय या दुर्गति 3. अहितकर स्वभाव, वृत्ति, व्यवहार ( वि० ) अनिष्टकर आचरण करने वाला, दुष्ट - त्तिः ( स्त्री० ) ) 1. नीच या अपमानजनक पेशा 2. दुष्टता, शास्त्रम् 1. गलत सिद्धांत, 2. धर्मविरुद्ध सिद्धांत - संसर्गः बुरी संगति-हेतुः बुरा या आभासी कारण, दे० 'हेत्वाभास' । असतायी दुष्टता । असता [ न० त०] 1. अनस्तित्व 2. जो सचाई न हो 3. दुष्टता, बराई । -- अव ( वि० ) [ न० ब० ]1. शक्तिहीन, सत्तारहित 2. जिसके पास कोई पशु न हो, त्वम् [ न० त०] 1. अनस्तित्व, 2. अवास्तविकता, असत्यता । असत्य ( वि० ) [ न० त० ] 1. झूठ, मिथ्या 2. काल्पनिक, अवास्तविक - त्यः झूठा, -त्यम् मिध्यात्व, झूठ बोलना, झूठ | सम० – बाविन् ( वि०) झूठ बोलने वाला, - संध (वि०) अपनी प्रतिज्ञा पर दृढ़ न रहने वाला, झूठा, कमीना, धोखेबाज ; धे जने सखी पदं कारिता-श० । असदृश (वि० ) [ स्त्री० शी ] [ न० त०] 1. असमान, बेमेल 2. अयोग्य, अनुपयुक्त, असंबद्ध, संयोगकारिन् For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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