________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1329 ) 3. वक्तृता, वक्तव्य, अभिव्यक्ति 3. शब्द की वाक्य / वनम् [वन्+अच्] 1. जंगल 2. वृक्षों का झुंड 3. पर शक्ति / 4. फव्वारा 5. जल 6. लकड़ी का पात्र 7. प्रकाश मनः [ वज्+रन् ] 1. बिजली, इन्द्र का शस्त्र 2. रत्न की किरण 8. पर्वत / सम-आश (वि.) केवल की सूई 3. रत्न, जवाहर 4. एक प्रकार का कुश जल पीकर जीने वाला, उपल: गोवर के उपल, पास 5. एक प्रकार का सैन्य व्यह। सम० अंशुकम् गोहे, ओषधिः जंगली जड़ी बूटी,-भषणी कोयल, घारी दार कपड़ा,- अङ्कित (वि.) 'वज्रायुध के .- हासः काश नाम का घास / चिह्न से मुद्रित,-आकार (वि०), आकृति (वि.) वन्दनकम् सम्मानपूर्ण अभिवादन / वज की शक्ल वाला-कोट: एक प्रकार का कीड़ा, | वन्य (वि.) [वन+यत् ] 1. जंगली 2. लकड़ी का --पञ्जरः सुरक्षित आश्रयगृह,--मुखः 1. एक प्रकार बना हुआ, - न्यः (पुं०) बन्दर-जघ्नुर्वन्याश्च का कीड़ा 2. एक प्रकार की समाधि / नेताः -रा० 31287 / 29 / सम०-वृत्ति (वि.) वनकम् [वज+कन् ] हीरा, जवाहर / जंगली उपज पर ही रहने वाला। बटः [वट् + अच्] 1. बड़ का पेड़ 2. गंधक 3. शतरंज | वपनम् [वप् + ल्युट ] 1. बीज बोना 2. हजामत करना की गोट / सम० बलः,-पत्रम्,-पुटम् बड़ का 3. वीर्य 4. क्षुर, उस्तरा 5. करीने से रखना, व्यवस्थित पता। करना। वडवा [बल+वा+क+टाप] 1. घोड़ी 2. एक नक्षत्र- बपा [वप्+अच्+टाप्] 1. चर्बी 2. बिल, विवर पंज जिसे 'घोड़ी के सिर' के प्रतीक से व्यक्त किया 3. दीमकों द्वारा बनी नमी 4. उभरी हुई मांसल जाता है। नाभि। बणिज् (पुं०) [ पण् + इजि, पस्य वः] 1. व्यापारी, वपुष्मत् (वि.) [वपुस्+मत् ] 1. शरीर धारी 2.हृष्ट सौदागर 2. तुला राशि / सम० कटकः काफला, पुष्ट 3. क्षतविक्षत, खण्डित / -वहः ऊंट, वीथी बाजार। वप्रः-प्रम् [वप्नरन् ] 1. फसील, परिवार, परकोटा बत [ 'मतप'] अधिकरण अर्थ में तथा 'योग्य' अर्थ में 2. ढलान 3. समुच्चय 4. भवन की नींव / वप्रा वाटिका की क्यारी। पर शा० भा०। वमथुः [बम् + अथच् ] खांसी। वतु (अ०) विस्मयादि द्योतक अव्यय / 'सुनो' 'बस' वमनः [वम् + ल्युट् ] 1. रूई का छीजन 2. सन, सूतली, 'चुप' अर्थ को प्रकट करता है। पटआ। वत्सः [ वद्+सः] 1. बछड़ा 2. लड़का, पुत्र 3. सन्तान, / वयोबाल (वि०) अवयस्क वालक, थोड़ी आयु का बच्चा 4. वर्ष, 5. एक देश का नाम / सम०-अनु बालक / सारिणी लघु और दीर्घ मात्रा का मध्यवर्ती क्रम भंग | वयनम् [ वय+वनन् ] (वेद०) कर्म, कार्य-विश्वानि देव या अन्तर, पदम् तीर्थ, घाट, उतार। वयुनानि विद्वान्—ईश० 18 / / वत्सायितः [वत्स+क्यच+णिच+क्त ] बछड़े के रूप वर (वि.) [+अप] उत्तम, श्रेष्ठ, बडिया, अनमोल, में संवर्तित - वत्सायितस्त्वमथ गोपमणायितस्त्वम् --र: 1. वरदान 2. उपहार, पारितोषिक 3. इच्छा -नारा। 4. प्रार्थना 5. दान 6. दूल्हा 7. जामाता। सम० यवनम् [वद्+ल्यूट ] 1. चेहरा 2. मुख 3. सूरत अरणिः माता-रा० 7 / 23 / 22, -आवहः बैल, 4. सामने का पक्ष 5. पहेली राशि 6 त्रिकोण का -इन्द्री पुराना गौड देश,-प्रेषणम् विवाह संस्कार शिखर / सम० आमोदमविरा मुख में मधुरगंध से का एक भाग जिसके अनुसार दुल्हे के मित्र किसी युक्त सुरा,---उदरम् जवड़ा, -- पङ्कजम् मुखारविन्द, विशेष परिवार में दुलहन की खोज के लिए जाते हैं कमल जैसा मुख,-पवनः श्वास, सांस / --पुरुषाः श्रेष्ठजन, लक्षणम् विवाह में संस्कार बधः [हन्-+अप, वधादेशः ] 1. भग्नाशा 2. (बीज० में) को बातें। गुणनफल 3. हत्या, कतल / सम० राशिः जन्माङ्ग वरासिः [ब० स० ] खड्गधारी, तलवार रखने वाला। में छठा घर / वराहपुराणम् अठारह पुराणों में से एक / वधिकः, कम् कस्तूरी, मुश्क / वरिवसित (वि.) [वृ+असुन्व रिवस्+तृच ] पूजा वधुकाल: वह समय जब कि कन्या दुलहिन बनती है। करने वाला-न तच्चित्र तस्मिन् वरिवसितरि वधूवरम् नवविवाहित दम्पति / -शिव० वध्यवासस् [प० त०] लालरंग के वस्त्र जो प्राणदण्ड | वरिवस्यति (ना० धा० पर०) अनुग्रह करना, कृपा प्राप्त पुरुष को फांसी देने के समय पहिनाये जाते हैं। / करना / For Private and Personal Use Only