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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1327 ) लावनी करना। सम०-इप्सु (वि०) खेती काटने | लिङ्गालिका चुहिया, छोटी मूसी। का इच्छुक / लिपिः [ लिप् + इक ] 1. लेप 2. लेख 3. अक्षर, वर्णमाल। लवङ्गः [लू+अङ्गच्] लौंग का पौधा,-नम् लौंग / 4. बाहरी सूरत / सम० --कर्मन् (नपुं०) आलेख, सम-कालिका लौंग। चित्रण,-संनाहः कलाई पर पहनी जाने वाली पहुंची, लवणः [लू+ल्युट्, पृषो० णत्वम् ] 1. नमकीन स्वाद रक्षाबन्धन / 2. एक राक्षस का नाम 3. एक नरक का नाम, | लिप्तम् [ लिप्+क्त ] 1. लिपा हुआ, सना हुआ, 2. खाया ---णम् 1. नमक 2. कृत्रिम नमक / सम०-पाटलिका | हुआ, 3. बलगम, कफ। सम०-वासित लिपी हुई नमक की थैली,-शाकम नमकीन सब्जी। सुगन्ध से सुगन्धित,--हस्त (वि.) सने हुए हाथों लवणित (वि०) [लवण+इतच ] नमकीन, लवणयुक्त / वाला। लसवंश (वि.) [ब० स०] जिसकी किरणें चमकती है।। लञ्चिलकेश: जिसने अपने बाल छंटवा कर छोटे करा लाक्षारसः महावर या अलक्त का रस-लाक्षारससवर्णाभा- लिए हैं। ललिता त्रिशती स्तोत्र। लुञ्ज (चुरा० उभ०) बोलना, चमकना। लाङ्गलम् [ ल +कलच् पृषो० वृद्धिः ] 1. हल 2. हलकी लुण्ठनम् [ लुण्ठ् + ल्युट्] 1. लूटना 2. विरोध करना, शक्ल का शहतीर 3. ताड़ का वृक्ष 4. वृक्ष से फल बाधा डालना। एकत्र करने का बाँस 5. एक फूल का नाम / लुप् (ब्या० में) लुप्त होना, मिटना, भूलचूक होना। लागला नारियल का पेड़। लुम्बिनी बुद्ध का जन्मस्थान / लाडली केवांच का वृक्ष, गजपीपल-निवृत्तगहसङ्गतिध- लुस्तम् धनुष का किनारा / मत एव तन्व्यास्तवस्तनद्वयमियद्वपुः पथिक जातमुद्यौ- लतातः चींटा, मकौड़ा। वन इतीव वदति स्फुट कुसमहस्तमुद्यम्य सा भ्रमद्- लन (वि०) [लू+क्त ] 1. कटा हुआ 2. तोड़ा हुआ भ्रमरमण्डलक्वणितपेशला लागाली--जानकी० 11 // 3. (फूल आदि) एकत्र किये हुए। सम०-पापः, 95 / ---दुष्कृतः जिसका पापों से छुटकारा हो चुका है, -विष (वि०) जिसकी पंछ में विष लगा हो। लागलविक्षेयः पूछ हिलाना। लेखः [ लिख+घा 11. लेख, लिखित दस्तावेज़ 2. परलाजपेयाः चावल का मांड / मात्मा, देवता 3. खरोंच / सम०-अनुजीविन् लाभः [ लभ+घञ ] 1. गड़ा हुआ धन-मनु० 10 // भगवान् का सेवक, प्रभुः इन्द्र-लब्धं न लेखप्रभु 115 2. फायदा, आय / सम-विद् (वि०) जो / णापि पातुं नै० 221118,- स्खलितम् लिपिकार यह समझता है कि लाभ क्या चीज़ है-लेभे लाभ से की गई अशुद्धि / विदां वरः-रा० च। लेखिका थोड़ा आघात, सहलाना / लालाषः अपस्मार, मिर्गी / लेखित (वि.) [ लिख +णिच्+क्त ] लिखाया गया। लावः लवा नामक पक्षी, बटेर / लेला (केवल करण कारक-लेलया के रूप में प्रयुक्त) लावाणक: एक द्वीप का नाम / कांपना, हिलना। लासनम् पकड़ना, ग्रहण करना-तोमराशलासनैः लेलितकः गंधक। –महा० 7 / 142 / 45 / लग (वि.) [लिङ्ग+ अण् ] शब्द के लिङ्ग से संबंध लासिक (वि०) [लस+ठक् ] नाचने वाला-शि० रखने वाला,--ङ्गम अठारह पुराणों में से एक पुराण 13166 / का नाम / सम०-धूमः अज्ञानी पुरोहित / लिखित (पुं० [लिख+तुच ] चित्रकार / लोक: [ लोक+घा ] 1. संसार, विश्व का एक भाग लिगः / लिग+कुः] 1. हरिण 2. मूर्ख, बुद्धू 3. ऋषि, 2. पृथ्वी, भूलोक 3. मनुष्य जाति 4. प्रजा 5. समूह मुनि। 6. क्षेत्र 7. दृष्टि 8. वास्तविक स्थिति, प्रकाश लिङ्गम् [लिका+अच् ] 1. चिल निशान 2. प्रतीक, -इच्छामि कालेन न यस्य विप्लवस्तस्यात्मलोकाव विशिष्टता 2. रोग का लक्षण 4. शारीरिक सत्ता रणस्य मोक्षम्--भाग०८।३।२५ 1. विषय, भोग्य -योगेन धृत्युद्यमसत्त्वयुक्तो लिङ्ग व्यपोहेत् कुशलो- वस्तु-उपपत्त्योपलब्धषु लोकेषु च समो भव-महा० ऽहमाख्यम्-भाग० 5 / 5 / 13 / सम० आयताः बीर 12 / 288 / 11 / सम०-अनुग्रहः मनुष्य जाति की शवों का संप्रदाय,--पीठम् "शिवलिङ्ग' मूर्ति जिस पर समृद्धि,-अनुवृत्तम् लोकमत के अनुसार, जनसाधारण विराजमान है वह चौकी,-शास्त्रम् लिङ्ग ज्ञान पर की आज्ञाकारिता,-अभिलक्षित (वि.) जिसे जनता ध्याकरण का एक अन्य। चाहे, जनप्रिय, उपकोशमम् लोगों में दुरी अफ़ लागलचालनम् पंछ हिलाना। For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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