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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1306 ) प्रोतधन (वि.) [ब० स०] बादलों में डूबा हुआ। / विश्वास पात्र स्त्री, पनोरमा सिद्धान्त कौमुदी पर प्रोतशूल (वि.) [ब० स०] शलाका पर रक्खा हुआ। एक टीका। प्रोत्तान (वि.) [प्र+उत्+घञ ] फैलाया हुआ। प्रौडिः [प्र+वह +क्तिन् ] औत्सुक्य, उत्कटता, (चरित्र प्रोत्ताल (वि.) [प्रकर्षणोत्ताल:--प्रा० स०] ऊँचे स्वर | की) गहराई। से बोलने वाला। प्रोक्त (वि०) अर्थ सम्पन्न, अर्थ युक्त / प्रोवर (वि०) [ब० स० ] बड़े पेट वाला। प्लक्ष द्वारम् (नपुं०) पाश्वद्वार, भवन के पक्ष का द्वार / प्रोद्वीचि (वि.) [प्रा० स०] लहराता हुआ, घटबढ़ -म०.पु० 264 / 15 / होता हुआ। | प्लवः [प्ल+अच ] 1. एक जलचर 2. एक संवत्सर का प्रोन्नमित (वि.) [प्र+ उत्+नम्-+णिच्+क्त] उठाया नाम / सम-कुम्भः तैराक की सहायता के लिए हुआ, उभारा हुआ। घड़े जैसा बर्तन। प्रोर्ण (अदा० उभ०) अच्छी तरह ढक लेना, चादर लपेट | प्लायित (वि०) [प्लु+णिच् +तृच् ] मल्लाह, लेना। प्रौढ (वि.) [प्र-+-ऊळ - वह +क्त ] 1. विशाल, बड़ा प्लुतमेक (पुं०) एक प्रकार का संगीत माप / 2. व्यस्त, घिरा हुआ। सम०--प्रियः साहसी और / नाविक। फणभरः [फणं बिभर्तीति-भ+अच] साँप / / फलि: (पुं०) [फल+5] एक प्रकार की मछली। फणितल्पगः (पुं०) विष्णु का विशेषण / | फल्गुवाक मिथ्यापन, झूठपना / फणिर्जकः (पुं०) तुलसी का एक भेद, सफेद मरवा / फालिका (स्त्री०) ग्रास, टुकड़ा--मृदुव्यंजनमांसफालिकाम् फवण्डः (पुं०) हरी प्याज। ___- नै०१६।८२। फलम् [फल+अच्] 1. क्षतिपूर्ति, प्रतिपूर्ति 2. स्कन्धास्थि, फाल्गुनेयः [फल्गुनी+ठक्] अर्जुन का पुत्र, अभिमन्यु / अंसफलक 3. उपज 4. फल 5. परिणाम 6. कृत्य फिटसूत्रम् व्याकरण का एक ग्रन्थ जिसके रचयिता शान्त7. उद्देश्य, प्रयोजन 8. उपयोग, लाभ 9. सन्तान, | नवाचार्य थे। 10 (तलवार का) फलक 11. तीर की नोक / सम० ट्रिका (स्त्री०) एक प्रकार का बुना हुआ कपड़ा। -अधिकारः परिश्रम का दावा,---अपूर्वम् यज्ञ का फुत्कृतिः (स्त्री०) [फुत्कृ + क्तिन्] फूंक मारना, 'सीसी' अदष्ट परिणाम,--उपयोगः फल का आनन्द लेना, शब्द करना। -~ग्रन्थः 'ग्रहों का मानवकुल पर प्रभाव' विषयक फुलिङ्गः (पुं०) [आं० फिरङ्ग] उपदंश, गर्मी का रोग। ज्योतिष का एक ग्रन्थ,-भावना परिणाम का अधि- | फुल्लवदन (वि.) [ब० स०] प्रसन्नमुख, खुश दिखाई ग्रहण,-भुज् (पुं०) बन्दर, * मुलम् (नपुं०) फल देने वाला। और जड़ें,-वतिः (स्त्री०) कपड़े की बनी बत्ती फेजकः (पुं०) एक प्रकार का पक्षी। जिसे चिकना करके अनीमा के लिए गुदा में रक्खा / फेनधर्मन (वि०) क्षणभंगुर, क्षणस्थायी, बुलबुले की भांति जाता है.-स्थापनम 'सीमन्तोन्नयन' नामक सस्कार / / अस्थिर...महा० 33512 / फलकम् [फल-कन्] 1. तख्ता, फट्टा 2. टिकिया 3. कुल्हा | फेनायितम् [ना० धा... फेन+क्यच्- क्त ] मुख के 4. हाथ की हथेली 5. लाभ 6. बाण का मुंह 7. आर्तव, पार्ववर्ती भाग से की गई हाथी की कड़कयुक्त गर्जन, ऋतुस्राव 8. लकड़ी का पटड़ा 9. (कपड़ा बुनने के चिघाड़ मात० 2113 / लिए) वृक्ष की छाल सन आदि / सम-परि- फेलकः अंडकोप, फोता, मुष्क / धानम् वस्त्रों के रूप में वक्षछाल धारण करना / For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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