________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1305 ) वह सूक्त जिससे प्रातः बन का उपक्रम होता है, प्रालेयम् [प्रलय+अण्] प्रलय से सम्बन्ध रखने वाला। - चन्द्रः प्रभातकाल का चन्द्रमा। प्रावर्तिक (वि०) [प्रवृत+ठक] वह क्रम जो किसी कार्य प्रातिकामिन (40) सेवक या दूत / पद्धति में सर्व प्रथम अपनाया जाकर बाद में पश्चवर्ती प्रातिनिधिकः [प्रतिनिधि+ठक्] 1. स्थानापन्न 2. प्रतिता- सभी कार्यों में अपनाया जाय, जिससे.कि कार्य में धिकार, प्रतिनिधित्व / / पद्धति की एकता बनी रहे। प्रातीप्यम प्रतीप - प्यत्र] शत्रता, विरोध / प्रावादुकः [प्र+व+उकज वाद-विवाद में प्रति पक्षी / प्रात्यक्षिक (वि.) [प्रत्यक्ष / ठक] आँखों को दिखाई देने ! प्रासादः [प्र+सद्+घा] 1. महल, भवन 2. राज भवन वाला। 3. मन्दिर 4. चबूतरा 5. वेदिका / सम-गर्भः प्रादेशमात्र (वि.) [प्रदेशमात्र+-अण] जरा सा, विचार महल का आन्तरिक कमरा,--शिखरः महल की मात्र देने के लिए, म(नपुं०) एक बालिस्त की माप, चोटी। पूरी अंगुलियों को फैलाकर अंगूठे के किनारे से तर्जनी प्राहवनीय (वि०) [प्र+आहे+अनीय अतिथि की अंगुली के किनारे तक की माप.-उपविश्य दर्भाग्रे भाँति स्वागत किये जाने के योग्य / प्रादेशमा प्रच्छिनत्ति न नखेन खादिरगृह्यसू० 2 / / प्राहुणः [प्र+आ+पूर्ण क] अतिथि, पाहना। प्राध्य (वि०) [प्रकृष्टोऽध्व अच् समासः] 1. यात्रा पर गया। प्रिय (वि.) प्री+क) 1. प्यारा, अनकल 2. सुखद, हुआ 2. पूर्वोदाहरण, निर्दशन 3. बन्धन / 3. अभिलषित 4. भक्त, अनूरक्त,—यः (पू०) प्रान्तः [प्रकृष्टोऽन्तः] 1. किनारा, गोट 2. कोण / आँख 1. प्रेमी, पति 2. हरिण 3. जामाता,-- या (स्त्री) ओष्ठ आदि का) 3. सीमा 4. अन्तिम किनारा / . 1. पत्नी 2. महिला 3. छोटी इलायची,--यम सम० निवासिन् सीमान्त प्रदेश का रहने वाला (नपुं०) 1. प्रेम 2. कृपा, प्रसाद 3. सुखद समाचार / -भूमौ (अ०) अन्त में, आखिर कार। सम... आलापिन (वि०) मिष्टभाषी, मीठा बोलने प्रापणम [---आपल्यट] व्याख्या, विवरण, चित्रण / / वाला, आसु (वि०) जिसे अपनी जान बहुत प्यारी प्रापिपयिषु (वि.) [प्र+आ +णि +सन्+उ] | हो, जीवन को चाहने वाला, कलह (वि.) झग डाल,-जीविता प्राणों का प्रेम,-संप्रहार (वि०) प्राप्त (वि०) प्र आप+क्त] किसी पूर्वोदाहरण के अनुसार या पूर्वतर्क का अनुगामी / सम... क्रम प्रियंवद (वि०) [प्रियं ददाति .... दा+श] अभीष्ट और (वि०) योग्य, उपयक्त,---भाव (वि.) 1. सुखद वस्तु का दाता। मान 2. सुन्दर / प्रीतिः [प्री+क्तिच्] 1. प्रबल इच्छा 2. संगीत की श्रति / प्राप्तिः (स्त्री०) [+आप्न-क्तिन्] 1. किसी वस्तु का सम० संयोग: मैत्री संबन्ध, संगतिः मित्रों का निरीक्षण करने पर लगाया गया अन्मान 2. (ज्योति० / सम्मिलन / में) ग्यारहवाँ चान्द्रघर / प्रेतः[प्र--इ-+क्त] 1. नरक में रहने वाला 2. इस संसार प्राप्य (अ०) [प्र+आप् -+-ल्पप] प्राप्त करके, उपलब्ध से गया हुआ, मृत 3. पितर / सम० ---अयनः एक करके। सम० कारिन् (वि.) कार्य में नियुक्त विशेष नरक,... पात्रम् और्वदेहिक क्रिया के अवसर होकर ही प्रभावशाली, रूप (वि०) अनायास हो / पर प्रयुक्त किया जाने गाला बर्तन / प्राप्त होने वाला। - प्रेक्षणालम्भम् (नपुं०) (स्त्रियों की ओर) देखना या प्रायणम् (प्र+अय् + ल्युट्] दूध में तैयार किया हुआ भोजन।। (उन्हें) स्पर्श करना। प्रायत्यम् [प्रयत+प्या पवित्रता, स्वच्छता / प्रेक्षा [प्र+इछ्+अ+टाप्] कान्ति, आभा प्रेक्षा क्षिपन्तं प्रायुस (नपुं०) बढ़ी हुई जीवन शक्ति, दोघंतर जीवन / हरितोपलाद्रेः भाग० 3 / 8 / 24 / सम० * पूर्वम् प्रारब्ध (वि०) प्र.+आ+र+क्त] आरंभ किया (अ) देखभाल कर, जान बूझ कर, प्रपञ्चः रंग हुआ, शुरू किया हुआ। सम-कर्मन, कार्य मञ्च पर खेला जाने वाला नाटक / / (वि०) जिसने अपना कार्य आरंभ कर दिया है, प्रेमाई (वि०) [त० त० स०] प्रेम से पसीजा हजा। कर्मन् (नपुं०) यह कार्य जो फल देने लगा है। प्रेयकम् (नपुं) एक प्रकार का चमड़ा कौ० अ० प्रार्जयित (वि०) [ / अर्ज +णिच् - तृच] जो अनुदान 2011 / 29 / देता है। प्रेयरूपकम् (नपुं०) सौन्दर्य, लावण्य नै०५४६६ / प्रार्थ (चरा० आ०) आश्रय लेना, महारा लेना। प्रोच्चल (भ्वा० पर०) यात्रा पर प्रस्थान करने वाला। प्राय (वि०) [प्र-अर्थ /- प्रयत्] 1. चाहने योग्य प्रोच्चाटना [प्र- उत+चटणिच-यच--टाप / 2. वाञ्छनीय। 1. (भूतप्रेतादि को) भगाना 2. विनाश / दम वाजो को पसंद करने वाहार (वि०) तक का अनुगामी। सम... For Private and Personal Use Only