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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १२१ ) स्वनियोगमशुन्य कुरु (नाटकों में प्रायः प्रयुक्त) | शिलाजीत,--कुद्र, कुट्टक (वि०) पत्थर पर रखकर अपना कार्य सम्पन्न करो। चीज तोड़ने वाला (ट्टः,ट्टकः) भक्तों का समुदाय, अशत (वि.) [न० त०] बिना पकाया हुआ, कच्चा, वानप्रस्थ-याज्ञ० ३।४९, मनु० ६।१७,- गर्भः, अनपका। -गर्भम,-गर्भजः,-जम, योनिः पन्ना,-जः, तम् अशेष (वि.) [न० ब०] जिसमें कुछ बाकी न बचा हो, 1. गेरू, 2. लोहा,-जतु (नपुं०),-जतुकम् - शिला सम्पूर्ण, समस्त, पूरा, समग्र -अशेषशेमुषीमोपं माष- जीत, --जातिः पन्ना, ---वारणः पत्थर तोड़ने के लिए मश्नामि केवलम् ---उद्भट०, तोरशेषेण फलेन हथौड़ा, पुष्पम् शिलाजीत,-भालम् पत्थर की खरल युज्यता-रघु० ३।६५, ४८, ---षः [न० त०] जो या लोहे का इमामदस्ता, सार (वि०) पत्थर या बाक़ी न बचा हो,---षम, अशेषेण, अशेषतः (क्रि. लोहे जैसा (--रः, -रम) 1. लोहा 2. नीलमणि । वि०) पूर्ण रूप से, पूरी तरह से,-तथाविधस्तावदशेष- | अश्मन्तम् [अश्मनोऽन्तोऽत्र शक० पररूपम] 1 अंगीठी, मस्तु स:-कु० ५।८२, येन भुतान्यशेषेण द्रक्ष्यस्यात्म- अलाव 2. खेत, मैदान 3. मृत्यु । न्यथो मयि - भग० ४१३५, १०।१६, मनु० ११५९। | अश्मन्तकः--कम् [ अश्मानमन्तयति इति-अरमन्+अंत्+ अशोक (वि०) न० ब०] जिसे कोई रंज न हो, जो णिच+पवुल | अलाव, अंगीठी,--क: एक पौधे का नाम किसी प्रकार के रंज या शोक का अनुभव न करता जिसके रेशों से ब्राह्मण की तगड़ी बनाई जाती है। हो,-क1. लाल फूलों वाला एक प्रसिद्ध वृक्ष अश्मरी (आयु० में)[ अश्मानं राति इति रा+क+ङीष् ] (कविसमय है कि स्त्रियों के चरणस्पर्श से इसमें फल (मूत्राशय में) एक रोग का नाम जिसे पथरी कहते हैं, खिल जाते हैं) तु० असूत सद्य: कुसुमान्यशोकः .. ! मूत्रकृच्छ। पादेन नापैक्षत सुन्दरीणां संपर्कमाशिजितनपुरेण .... अश्रम् [ अश्नुते नेत्रम् -- अश् + रक् ] 1. आँसू, 2. रुधिर कु० ३।२६, मेघ०७८, रघु० ८।६२. मालवि० ३।१२, (प्राय: 'अस्र' लिखा जाता है),-श्रः किनारा (बहुधा १६, 2. विष्णु 3. मौर्यवंश का एक प्रसिद्ध राजा, --कम् | समास के अन्त में प्रयुक्त होता है)। सम.--पः 1. अशोक वृक्ष का फूलना (कामदेव के पाँच बाणों में रुधिर पीने वाला, राक्षस, नरभक्षक । से एक) 2. पारा । सम० – अरिः कदंबवृक्ष,-अष्टमी | अश्रवण (वि.) [ न० ब०] बहा, जिसके कान न हों, चैत्र कृष्णपक्ष की अष्टमी, तरुः,-नगः,-वृक्षः –णः सांप। अशोकवृक्ष,-त्रिरात्रः,—त्रम् एक उत्सव का नाम अश्राद्ध (वि.) [न० त०] श्राद्ध का अनुष्ठान न करने जो तीन रात तक रहता है,-वनिका अशोक वक्षों वाला,-वः श्राद्ध का अनुष्ठान न करना। सम. का उद्यान, न्याय दे० 'न्याय' के नीये । -भोजिन (वि०) जिसने श्राद्ध-अनुष्ठान में भोजन न अशोच्य (वि.)न० त०] जिसके लिए शोक करना उचित करने का व्रत ले लिया है। नहीं.-अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे---. | अधान्त (वि.) [न० त०] 1. न थका हुआ, अथक 2. भग० २।११। अनवरत, लगातार-तम् (अव्य०) निरन्तर, लगातार। अशौचम नि० त०] 1. पवित्रता, मैलापन, मलिनता-पंच० | अधिः-श्री (स्त्री०) [अश+कि पक्षे डी ] 1. (कमरे १।१९५ 2. (किसी बच्चे के जन्म के कारण - जनना- __ का या घर का) किनारा, कोण समास के अन्त में चतुर्, शौच) सूतक, (किसी बंधु की मृत्यु के कारण --- त्रि, षट् तथा और कुछ शब्दों के साथ बदल कर मृताशौच) पातक—अहोरात्रमुपासीरन्नशौचं बान्धवैः 'अन' हो जाता है-दे० चतुरस्त्र) 2. (शस्त्र की) तेज सह---मनु० ११११८३ । धार-वृत्रस्य हन्तुः कुलिशं कुण्ठिताश्रीव लक्ष्यते-कू० अश्नया-भूख। २१३०, 3. किसी वस्तु का तेज किनारा, धार। अश्नोतपिबता [अश्नीत पिबत इत्युच्यते यस्यां निदेशक्रियायां अश्रीक-- ल (वि.) [न० ब० कप, रस्य ल: ] 1. श्रीहीन, -पा०२।११७२] खाने पीने के लिए निमंत्रण, दावत असुन्दर विवर्ण, शि० १५१९६ 2. भाग्यहीन, जो सम्पजिसमें खाने पीने के लिए लोग आमंत्रित किये जाते न्न न हो। हैं - अश्नीतपिबतीयंती प्रसृता स्मरकर्मणि -- भट्टि० | अश्रु (नपुं०)[ अश्नुते व्याप्नोति नेत्रमदर्शनाय-अश+ऋन् ] ५।१२। आँसु. पपात भमौ सह सैनिकाभि :--रघु० ३१६१ । अश्मकः (ब०व०) [अश्मेव स्थिरः, इवार्थे कन] 1. दक्षिण सम० ... उपहत (वि.) आंसुओं से ग्रस्त, आँसुओं में एक देश 2. उस देश के निवासी। से ढका हुआ,-कला आंसू की बंद, अश्रुबिंदू.-परिपूर्ण अश्मन (०) [अश+मनिन] 1. पत्थर--- नाराचक्षेपणी- (वि०) आंसुओं से भरा हुआ, अक्ष आसुओं से भरी याश्मनिष्पेषोत्पतितानलम्-रघु०४१७७ 2. फलीता, हुई आँखों वाला.–परिप्लत (वि०) आँसुओं से भरा चकमक पत्थर 3. बादल 4. वज। सम०-उत्यम् । हुआ. अथुस्नात,-पात: आँसू गिरना, आँसुओं का अपनीतपिबता [अनापीने के लिए निजाते न्न न For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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