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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir c ( 1286 ) भारी बनाया हुआ, भीड़ से युक्त, मोटा, 2. दाबकर / निरधिष्ठान (वि०) [ब० स०] 1. असहाय 2. स्वतंत्र सटाया हुआ, भींचा हुआ - लङ्काभर्तुनिविडित---बा० | निरनुग्रह (वि०) [ब० स०] निर्दय, कृपाशून्य, रा०५।१९। __ अकृपालु। निभूत (वि.) [नि+-+क्त] 1. भरा हुआ 2. गुप्त | निरनुनासिक (वि०) जो वर्ण नाक से निरपेक्ष हो, जिसमें 3. मूक 4. विनीत 5. दृढ़ 6. एकाकी 7. निष्क्रिय, नाक की सहायता की आवश्यकता न हो। / आलसी। सम-आचार (वि०) दृढ़ आचरण का | निरनुनासिकम् (नर्प०) नारायण भट्ट की एक रचना व्यक्ति,-स्थित (वि०) गुप्तरूप से विद्यमान / जिसमें कोई अननासिक वर्ण प्रयक्त नहीं हुआ। निमः (पुं०) लकड़ी की खूटी, मेख।। निरन्धस् (वि.) [ब० स०] भूखा, निराहार / निमित (वि.)[नि+मा+क्त] 1. दे० 'निमित': उत्पा- | निरपवाद (वि.)[ब० स०): कलकरहित 2. जिसमें दित 2. मापा गया। | कोई अपवाद न हो। निमित्तम् [नि+मिद+क्त] 1. ज्ञान का साधन--तस्य निरलंकृतिः (स्त्री०) (काव्य में) अलंकार का अभाव, निमित्तपरीष्ट:---मी० स० 123 2. कार्य, उत्सव / सरलता। -~-एतान्येव निमित्तानि मनीनामर्ध्वरेतसाम्-महा० निरवसाद (वि.) [ब० स०] प्रसन्न, खुश / / 12 / 61 / 6 / सम० -- ज्ञः (पुं०) शकुन के आधार निरायति (वि.)[ब. स.] जिसका अन्त दूर नहीं है पर भविष्यवाणी करने वाला ज्योतिषी,-नैमित्तिकम् / --नियता लघता निरायते:--कि० 2114 / कार्य और कारण, मात्रम् केवल उपकरण स्वरूप निरारम्भ (वि.) [ब० स०] सब प्रकार का कार्य कारण--भाग० 11 / 33 / करने से मुक्त (अच्छी भावना से), निष्क्रिय / निमेषान्तरम् [ष० त०] एक क्षण का अन्तराल। निरावर्ण (वि.) [ब० स०] स्फुट, स्पष्ट, प्रकट / निम्न (वि.) [नि+म्ना+क] 1. गहरा, नीचा निरुपभोग (वि.) [ब० स० ] उपभोग शून्य / कार्य-निम्नेष्वीहां करिष्यन्ति - महा० निरुपाधिक (वि.) [ब.स.] जिसमें कोई शर्त न हो, 31926 / सम० --अभिमुख (वि.) निम्नतर निरपेक्ष / स्तर की ओर बहने वाला - कु० 5 / 5 / / निर्दाक्षिण्य (वि.) [ब० स०] जिसमें शिष्टता या निम्नित (वि.) [ निम्न+इतच | गहरा, डूबा हुआ। / शालीनता न हो, अभद्र / निम्बपञ्चकम् (नपुं०) नीम वृक्ष से उत्पन्न पाँच पदार्थ निधात (वि.) [ निर+घाव+क्त ] धुला हुआ, स्वच्छ --पत्त, फल, त्वचा, फल और जड। किया हुआ-नि|तदानामलगण्डभित्तिः- रघु०२१४३। निम्बूकपञ्चकम् (नपुं०) नींबू के पाँच भेद (सन्तरा, निर्नायक (वि.) [व० स०] जिसका कोई नेता मुसम्बी, नारंगी, खट्टा या गलगल, कागजी नींब)। न हो। नियत (वि०) [ नि-+-यम् + क्त ] 1. रोका हुआ, बांधा | निर्बीज (वि.) [ब० स० | नपुंसक, नामर्द, निश्शक्त / हुआ 2. आश्रित 3. (व्या० में) अनुदान सहित निमन्तु (वि.) [ब० स०] निष्कलंक, निरीह, / उच्चरित। निर्मान (वि.) [ब० स०] 1. आत्मविश्वास से हीन नियमः [नि+यम् +अप्] 1 गुप्त रखना-मन्त्रस्य 2. जिसमें स्वाभिमान न हो। नियम कुर्यात् - महा० 5 / 141320 2. प्रयत्न -महा० निर्लक्ष्य (वि०) [ब० स०] अदृश्य, जो दिखाई न दे / 2146 / 20 / सम०- हेतुः विनियमन का कारण, निलून (वि.) [ब० स०] पूरी तरह कटा हुआ / नियमित रखने का कारण / निर्वत्सल (वि.) [व० स०] स्नेहहीन, जिसमें नियुक्त (वि.) [ नि+यज-+क्त ] उपयोग में लाया वात्सल्य का अभाव हो। गया, काम पर लगाया गया। निविषङग (वि०) [ब० स०] अनासक्त, उदासीन / नियोक्तव्य (वि०) [नि--युज+तव्यत् ] 1. जिसको निर्वत्तिः (स्त्री०) निष्पन्नता, निष्पत्ति / कोई कार्य सौंपा जाय 2. नियुक्त किये जाने योग्य निर्वलक्ष्य (वि०)[ब० स०] निर्लज्ज, बेशर्म / 3. जिस पर अभियोग चलाया जाय--मनु०८।१८१ / निर्व्यवधान (वि.) [ब. स.1 व्यवधानरहित, मुक्त, नियोगः [नि+यज+घञ ] 1. अपरिवर्त्य नियम-न / अनाच्छादित, खुला (स्थान)। चैष नियोगो वृत्तिपक्षे नित्यः समास इति--मी० सू० निर्व्यवस्थ (वि.) ब० स०] जिसमें कोई व्यवस्था 1016 / 5 पर शा० भा० 2, सही, यथार्थ-कि० | न रहे, इधर उधर भटकने वाला, असंगत गतियुक्त / 10 / 16 / | निर्व्यावत्ति (वि.) [ब० स०] जिससे कुछ प्राप्ति निरम (क) (वि.) [निर्+अग्र (क) ] जो राशि बिना कुछ शेष रहे, पूरी पूरी बंट सके। नि ) ब० स०] निर्लज्ज, बेशर्म / For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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