________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1285 ) निःसंग (वि.) [ब० स०] 1. अनासक्त 2. मुक्त 3. स्वा- | निचुलय् (चुरा० उभ०) बक्स में बन्द करना, ढकना र्थरहित। "..-निजां वीणां वाणी निचुलयति चोलेन निभृताम् निःसत्त्व (वि.) [ब० स०] 1. असार 2. बलहीन 3. नगण्य / / -सौन्दर्य / निःसीमन् (वि.) [ब० स०] सीमा रहित / नितम्बः [निभतं तम्यते कामकः--नि+तम्ब+अच्] निःस्नेह (वि.) [ब० स०] 1. रूखा 2. भावशून्य / 1. कल्हा 2. वीणा का स्वनशील फलक 3. ढलान निःस्पन्द (वि.) [ब० स०] निश्चल, गतिहीन / 4. चट्टान। निःस्पृह (वि०) [ब० स०] 1. इच्छारहित 2. सन्तुष्ट / नितान्तकठिन (वि.) बहत कठोर, अत्यन्त कड़ा। निःस्व (वि.) [ब० स०] अर्थहीन, निर्धन / नित्य (वि.) [नियमेन भवं-नि+त्यप] 1. अनवरत, निःस्वन (वि.) [ब० स०] निश्शब्द, शब्द रहित / लगातार, शाश्वत 2. अनश्वर 3. नियमित, स्थिर निःस्वनः (पुं० [निः+स्वन्+अच शब्द, ध्वनि / 4. आवश्यक 5. सामान्य (विप० नैमित्तिक)। निकटवतिन् (वि.) [निकट+वृत्---णिनि] निकटस्थ, सम० ---अनुबन (वि.) सदेव संबद्ध,-अनुवादः जो पास ही विद्यमान हो। तथ्य की नग्नोक्ति-मै० सं० 4 / 1 / 45, अभियुक्त निकषणः [नि+कष् + ल्युट] दे० 'निकषः' कसौटी।। (वि.) लगातार किसों न किसी कार्य में लीन, निकषायित (वि.) [ निकष+क्यङणिच्+क्त] जो कालम् (अ०) सदेव, हर समय,-जात (वि०) किसी बात के लिए प्रमाण या कसौटी मान लिया लगातार उत्पन्न अथ चैनं नित्यजातं - भग० 2 / 26, गया हो (उदा०-वैदूष्यनिकषायितेयं सभा)। - बुद्धि (वि.) सभी बातों को सतत या निरन्तर निकाशः [नि+का+घञ] 1. प्रकाश 2. रहस्य-निका मानने वाला, भावः शाश्वतता, नरन्तर्य, समः __शस्तु प्रकाशे स्यात्सदृशे रहसि स्मृतः - नाना। एक विचार कि सभी वस्तुएँ सदैव एक समान निकृष्टकर्मन् (वि.) [ब० स०] जो निन्द्य कार्यों के करने रहती है। में व्यस्त है। निदाघः [नि+दह+घञ् कुत्वम्] आन्तरिक गर्मी। निक्रन्वित (वि.) [नि+क्रन्दं+ क्त] जिसने खूब क्रन्दन सम० धामन् (पुं०) सूर्य निदाघधामानमिवाषिदी किया हो, शोर मचाया हो (दूषित स्वर से पाठ | धितम शि० 1124 / किया हो)। निदर्शित (वि०) [नि+दृश+णिच्+क्त] प्रदर्शित, निक्षिप्त (वि०) [नि+क्षिप्+क्त] नियुक्त / चित्रित, प्रमाणित / निखिलेन (अ०) पूर्णतः, सब मिलाकर / निशिन् (वि.) [नि+दृश्+णिच+णिनि] पथप्रदर्शक, निगावः [नि+गद्+घा] सस्वर पाठ। उदाहरण प्रस्तुत करने वाला सतां बुद्धि पुरस्कृत्य निगमः [नि-+गम् +अच्] 1. प्रतिज्ञा स्वनिगममपहाय / सर्वलोकनिशिनीम् .. रा० 2 / 108 / 18 / मत्प्रतिज्ञा ऋतमधिकर्तुमवप्लतो.-भाग० 1 / 9 / 37 निद्रादरिद्र (वि.) [व० स०] 'अनिद्रा रोग से ग्रस्त / 2. प्राप्ति-पन्था मनिगमः स्मृतः -भाग० 11 // निधनम् (नपुं०) [निवृत्तं धनं यस्मात्--डुधाञ्+क्यु] 19 / 42 / जन्मकुंडली में लग्न से छठी राशि / निगमनसूत्रम् (नपुं०) वह सूत्र जो किसी अनुमान वाक्य ! निधानम् [नि+धा+ ल्युट] धरोहर / का उपसंहार करता है। निन्दनोपमा (स्त्री०) निन्दोपलक्षित उपमा, ऐसी तुलना निगमात् (अ०) सारांशतः, संक्षेप से-भाग०१०।१३।३९ / जिसमें निन्दा प्रकट हो। निगुप (म्वा० पर०) छिपाना, गुप्त रखना। निपत् (भ्वा० पर०) विफल होना, अपरिपक्व अवस्था म निगीणचारिन् (वि०) [क० स०] अज्ञात होकर घूमने ही नष्ट हो जाना (जैसे गर्भपात)। वाला। निपाकः [नि+पच्+घञ्] 1. पसीना 2. (कच्चे फल निगोजाहकः (पुं०) बिच्छू / को) पकाना। निग्रहः [नि ग्रह.+अच अतिक्रमण---निग्रहाद्धर्मशास्त्राणां निपातः [नि+पत्+घा] मिलकर आना, समागम ... महा०१२।२४।१३ / ___-यासामेव निपातेन कललं नाम जायते -महा० निग्रहणम् [नि+ग्रह ल्युट ] युद्ध, लड़ाई। 12 / 320 / 115 / निघ्नान (वि०) [नि+हन+शानच] नाशकर्ता, जो नष्ट | निफेनम् (नपुं०) अफ़ीम / करता है। निहित ( विनि +बह + क्त नष्ट किया गया, दूर निचित नि--चि-क्त बद्धकोष्ठ, मलावरुद्ध। किया गया कृतः कृतार्थोऽस्मि निहितांहसा--शि० निचुलः [नि+चुल+क] 1. कमल 2. नारियल का पेड़ | 1229 / -नाना। | निविस्ति (वि० [नि+वि (बि) ड्+क्त] 1. गुरुकृत, - - For Private and Personal Use Only