________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1255 ) या भानजा 4. सूर्य, - द्वारम् पिछला दरवाजा, मखम् / कुण्डः | कुण+3] पानी का बर्तन, पानी का करवा / बुरा नाखन, भोंड़े या मैले नाखून,-- नीतः गलत राय सम-पाय्यः [कुण्डेन पीयते अत्र ऋतौ] एक यज्ञ -पटः, पटम् चीवर, चिथड़ा,-पात्रम् अयोग्य का नाम, भेदिन (वि०) अनाड़ी, भद्दा, फूहरू। व्यक्ति,-मेहः दक्षिणी ध्रवविन्दु,-- लक्षण (वि०) कुण्डकः [ कुण्ड+कन् ] बर्तन--कथा० 4 / 47 / खोटे चिह्नों से युक्त, विक्रमः अस्थानप्रयुक्त शूर- कुण्डलिका (स्त्री०) कुण्डली, वृत्त / वीरता, वेधस् (पुं०) बुरी आदत / कुण्डलिन् (वि०) [कुण्डल+इनि] गोलाकार,--लो (पुं०) कुकूलाग्निः (पुं०) भूसी या बुरादे से निर्मित आग, - कथा० सुनहरा पहाड़। 117 / 92 / कुण्डलिनी (स्त्री०) [ कुण्डलिन् +की ] योग शास्त्र में कुक्कुटः [ कुक् +क्विप्, केन कुटति -- कुट् + क ] 1. मुर्गा, एक नाड़ी का नाम / आग की चिंगारी। सम०--अण्डम् मुगी का कुण्डिका (स्त्री०) [कुण्ड+कन्+टाप् ] एक छोटा अण्डा,---आभः,-अहिः एक प्रकार का साँप,- आस- जोहड़, पोखर---नवा कण्डिका ---पा० 111 / 4 पर नम् योग का एक आसन / म. भा०। कुक्षिगत (वि०) [ कुक्ष्यां गत इति त० स०] गर्भस्थ, कुतपसप्तकम् [ष० त०] सात वस्तुएँ जो श्राद्ध के अवसर -दिष्टयाम्ब से कुक्षिगतः पुमान्-भाग०१०।। पर मृतक के सम्मानार्थ दान की जाये- यथा शृङ्गकुचः [कुच्+क] स्तन, उरोज, चूची। सम० --कुम्भः पात्र, ऊर्णावस्त्र, रौप्यधातु, कुशतण, सवत्सा घेत, तरुण युवती के स्तन,-कुडमलम् कली के आकार अपराहुकाल, और कृष्णतिल। का स्तन- गोपाङ्गनानां कुचकूडमलं वा---कृष्ण, ! 1 वा-- कृष्ण., कुतपाष्टकम् [ष० त०] आठ वस्तुएँ जो श्राद्ध के लिए - कुडकुमम् स्तन पर रोली या केसर का लेप। __शुभ मानी जाती है -- यथा मध्याह्न, शृङ्गपात्र, कुजाष्टमः [ब० स०] ग्रहों की विशेष स्थिति जब कि ऊर्णावस्त्र, रौप्य, दर्भ, सवत्सा धेनु, तिल और मंगल लग्न से साठवें घर में हो। दौहित्र। कुञ्जरः [ कुज+र] 1. हाथी 2. सिर 3. आभषण | कुतुकित, (-किन्) (वि०) [ कुतुक+इतच्, इनि वा] 4. आठ की संख्या। सम०-अरिः सिंह, आरोहः उत्सुक, जिज्ञासु। महावत,-च्छायः (गजच्छायः) ज्योतिष का एक | कुतणम् (नपुं०) पनीला पौधा। योग जिसमें चन्द्रमा मघा नक्षत्र में और सूर्य हस्त ! कुतोनिमित्त (वि.) किस कारण या हेतु को लिये हुए नक्षत्र में विराजमान होता है। -कुतोनिमित्तः शोकस्ते-रा० 2 / 74 / 20 / कुटिल (वि.) [कुट+इलच ] कपटी, वक्र, टेढ़ा, कुत्सला (स्त्री०) नील का पौधा / बेईमान / सम०---अलकम्, कुन्तलम् टेढ़ी अलकें, | कुथकः [ कुथ् + अच्, स्वार्थे कन् ] रंग-बिरंगा कपड़ा। टेढ़ी जुल्फें कुटिलकुन्तलं श्रीमखं च ते जड उदीक्षतां | कुधिः (पुं०) उल्लू। -भाग० 10 // 35, -चित्तम् कपटपूर्णमन, टेढा मन | कुन्त्र (चुरा० पर०) झूठ बोलना / -कुशेशयनिवेशिनी कुटिलचित्तविद्वेषिणीम्-नव रत्न। कुन्दवन्त (वि.) [ब० स०] जिसके दांत कुन्द फूल की कुटी (स्त्री०) [कुटि+डोष ] झोपड़ी। भांति श्वेत तथा चमकीले हों। कुटुम्बिनी [ कुटुम्ब + इन् + ङीष् ] 1. गृहिणी 2. घर | कुपित (वि०) [ कुप् + क्त ] क्रोध दिलाया हुआ, कुछ, की सेविका या नौकरानी। नाराज, क्रोधी। कुटुम्बिता, -- स्वम् [ कुटुम्बिन्+ता, त्व ] 1. गृहस्थ होने | कुप्यधौतम [ गुप् + क्यप्, कुत्वं ] चाँदी / की स्थिति 2. पारिवारिक एकता या सम्बन्ध 3. एक कुबेर (वि०) [ कुत्सितं बेरं शरीरं यस्य, ब० स०] परिवार की भाँति रहना। 1. भद्दा, भद्दे अङ्गों वाला। कुट्टनम् [कुद्र + ल्युट] 1. काटना 2. पीसना 3. मुक्का | कुभ्रामि (वि०) प्रकाशपरावर्ती कौ० अ० 2 / 11 / बंद करके मस्तक के दोनों ओर थपथपाना, यह गणेश | कुमार् (चुरा० पर०) आग से खेलना। को प्रसन्न करने का चिह्न है। कुमारः [कम् +आरम्, उत उपधायाः ] एक धर्मशास्त्र कुड्डालः कुदाल, मिट्टी खोदने की काली। का प्रणेता, रम् (नपुं०) विशुद्ध सोना। सम. कुणपाशन (वि.) [कुणप + अश्+ल्युट ] मुदो को | -.-वासः, 'जानकीहरण' का प्रणेता, एक कवि का खाने वाला। माम, ललिता (स्त्री०) 1. रंगरेली, मदु कामक्रीग कुणपी [कुण्+कपन्जी ] एक छोटा पक्षी। 2. एक छन्द का नाम जिसके एक चरण में सात कुणालः (पुं०) एक देश का नाम,-अयं कुणालो बहुसागर मात्राएँ होती हैं,-संभवम् कालिदासकृत एक काव्य प्रिये विराजते नकविजातिमण्डन:-जानकी०२०। का नाम / 158 For Private and Personal Use Only