SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 125
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाम-अविस्थलं वृकस्थलं माकन्दी वारणावतम् । अविचारिन् (वि.) [न० त०] 1. उचित अनुचित का -~-महाभा०। विचार न करने वाला, विवेकहीन 2. आशुकारी। अविकः [ अवि+कन ] भेड़ा,--का भेड़,-कम हीरा। | अविज्ञात (वि०) [न० त०] अनजान–(पुं०-ता) अविका [ अवि+कन्+टाप् ] भेड़, भेड़ी। परमेश्वर। अधिकत्य (वि०) [न० ब०] जो शेखी न मारता हो, अविडीनम् [न० त० पक्षियों की सीधी उड़ान । अभिमान न करता हो। अवितथ (वि०) [न० त०] 1. जो झूठा न हो, सच्चा अविकत्थन (वि.) [न० ब०] जो शेखी न बघारे, जो | -तदवितथमवादीयन्ममेयं प्रियेति-शि०११॥३३, अवि अभिमान न करे विद्वांसोऽविकत्थना भवन्ति- तथा वितथा सखि मा गिरः--६।१८, 2. पूरा किया मुद्रा०३। हुआ, सकल,-थम् [न० त०] सचाई,- अवितथमाह अविकल (वि.) [न० त०] 1. अक्षत, समस्त, पूरा, प्रियंवदा-श. ३ प्रियंवदा ठीक (सही) कहती है, सम्पूर्ण, सारा-तानीन्द्रियाण्यविकलानि-भर्तृ०२।४०, -थम् (अव्य०) जो मिथ्या न हो, सचाईपूर्वक मनु० °लं फलम् --मेघ० २४१३४, शरच्चन्द्रमधुर:-मा० २।१४४ । २१११, पूर्ण, पूर्णगोलाकार 2. नियमित, सुव्यवस्थित, अवित्यजः-जम् [न० त०] पारा। सुसंगत, शान्त-कलमविकलतालं गायकैर्बोधहेतोः । अविदूर (वि.) [न० त०] जो दूर न हो, निकटस्थ, शि० १११०। समीपस्थ--रम् सामीप्य रम् (अव्य०) निकट, दूर अविकल्प (वि.) न० ब०] अपरिवर्तनीय,-ल्पः 1 संदेह नहीं, इसी प्रकार-अविदूरेण, अविदूरात्,-दूरतः,-दूरे। का अभाव 2. इच्छा या विकल्प का अभाव 3. विधि | अविद्य (वि०).[न० त०] अशिक्षित, मूर्ख, नासमझ, चा या नियम,----ल्पम् (अव्य०) निस्सन्देह, निस्संकोच । [न० त०] 1. अज्ञान, मूर्खता, ज्ञान का अभाव 2. अविकार (वि०) [न० ब०] निर्विकार--रः अविकृति, आध्यात्मिक अज्ञान 3. भ्रम, माया (यह शब्द वेदान्त अपरिवर्तनशीलता। में बहधा प्रयुक्त होता है, इसी माया के द्वारा व्यक्ति अविकृतिः (स्त्री०) [न० त०] 1. परिवर्तन का अभाव 2. विश्व को ( जिसका वस्तुतः कोई अस्तित्व नहीं ) (सांख्य द. में) अचेतन सिद्धान्त जिसे प्रकृति कहते ब्रह्म में अन्तहित कर देता है, यह ब्रह्म ही सत् है)। हैं और जो इस विश्व का भौतिक कारण है,--मूल- अविद्यामय (वि.) [अविद्या मयट] जो अज्ञान या भ्रम प्रकृतिरविकृतिः–सां० का। के द्वारा उत्पन्न हो। अविक्रम ( वि०) [न० ब०] शक्तिहीन, दुर्बल,-मः/ अविधवा [न० त०] जो विधवा न हो, विवाहित स्त्री कायरता। जिसका पति जीवित हो-भतमित्र प्रियमविषधे विद्धिअविक्रियः (वि.) [न० ब० ] अपरिवर्तनशील, निर्विकार, _मामम्बुवाहम् –मेघ० ९९ ।। --यम् ब्रह्म। अविधा (अव्य०) विस्मयादिद्योतक अव्यय जो भय के भविक्षत (वि०) [न० त०] अक्षत, पूर्ण, समस्त-विक्रेतुः अवसर पर सहायतार्थ बुलाने के लिए "सहायता, प्रतिदेयं तत्तस्मिन्नेवाचविक्षतम्-स्मृति । सहायता" बोला जाता है। अविग्रह (वि.) [न० त०] शरीररहित, परब्रह्म का विशे- | अविधेय (दि.) [न० त०] जिसे वश में न किया जा सके, षण,-हः (व्या० में) नित्यसमास--जिसके विधायक विपरीत, - विधेरविधेयतास् - मुद्रा० ४।२। खंडों से पृथक-पृथक् अर्थ की अभिव्यक्ति न हो सके ! अविनय (वि.) न० ब० अविनीत. दुर्विनीत, अशिष्ट-यः अविचात (वि.) [न० ब०] बाधारहित, बिना रुकावट नि० त०] 1. शिष्टता या शालीनता का अभाव 2. दुव्र्यके, गति (वि०) अपने मार्ग में निर्बाध । वहार, उजड्डपन, अशिष्ट या उजड्डुव्यवहार -अयमाअविघ्न (वि०) न० ब०] निर्बाध,--धनम् बाधा या रुका- चरत्यविनयं मुग्धासु तपस्विकन्यासु-श० ११२५, वट से मुक्ति, कल्याण (यह शब्द नपुंसक लिंग है, अभद्रता, आचरण का अनौचित्य, 3. अशिष्टाचार, यद्यपि 'विघ्न' पुं० है)--साधयाम्यहमविघ्नमस्तुते- अनादर 4. अपराध, जुर्म, दोष 5. घमंड, अहंकार, रघु० ११३१९ अविघ्नमस्तु ते स्थेयाः पितेत्र घुरि पुत्रि- धृष्टता -अविनयमपनय विष्णो-शं० । णाम्-१२९१ । अविनाभावः [न०त०] 1. वियोग का अभाव 2 अन्तहित या मविचार (वि०) [न त०] विचारशून्य, विवेकरहित-रः अनिवार्य चरित्र, वियुक्त न होने योग्य संबंध 3. संबंध [न० त०] अविवेक, नासमझी। —अविनाभावोऽत्र सम्बन्धभावं न तु नान्तरीयकत्वम्मविचारित (वि.) [न० त०] बिना विचारा हुआ, जो काव्य०२। भली-भांति विचारा न गया हो। सम-निर्णयः | अविनीत (वि.) [न० त०] 1. विनयशून्य, दुःशील 2. पक्षपात, पक्षपातपूर्ण सम्मति । घृष्ट, उजड्ड । For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy