________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir / 1233 ) आलोन (वि.) [ आली+क्त ] बन्द, सुप्त-भ्रमराली- | आविर्मण्डल (वि.) [ न० ब०] जो वृत्त के रूप में नपङ्कजम् / दिखाई दे--विधुवति धनुराविमण्डलं पाण्डसूनौ-कि० आलीढा [आ+लिह+क्त--टाप् ] ऋतूमती स्त्री-नाली- 14165 / या परिहतं भक्षयोत कदाचन - महा० 181104 / 9 / / आविहित (वि.) [आविस्-+धा+क्त ] जो दृश्य बना आललित (वि.) [आलल+क्त ] क्षुब्ध, ईषदुद्विग्न, दिया गया हो। जरा सा घबराया हुआ। आवृत्तम् [ आवृत् / क्त ] बार-बार प्रार्थना या गीत से आलेपनम् [आलिम्प+णिच् + ल्यट] 1. पानी मिला | देवा को सम्बोधित करना / हुआ आटा जिससे घर का द्वार सजाया जाता है, आवृद्धतबालकम् (अ०) बूढ़ों से लेकर बच्चों तक। विशेषतः दक्षिण भारत में-विधुमालेपनपाण्डुरम् आव्यक्त (वि०) [ आवि |-अञ्च् + क्त ] स्पष्ट, सुबोध, -नं० 2 / 26 2. रंगना या सफेदी लीपना आलेप- तद्वाक्यमाव्यक्तपदं निशम्य-रा० 7588000 / नदानपण्डिता-०१५।१२ / आशास् (वेंद०) (अदा० आ०) दमन करना-ऋ० आलोक: [ आलोक / धज 11 केवल दर्शन आलोकमपि 2 / 28 / 9 / रामस्य न पश्यन्ति स्म दुःखिता:---रा० 2 / 47 / 2 / / आशावासस् (वि.) [न० ब०] नंगा, नग्न / आलोककः [ आलोक् -।-बुल ] दर्शक, देखन वाला। आशिक्षा [आशिक्ष / अङ | टाप् ] सीखने की इच्छा, आवपनम् [आवप् + ल्युट ] 1. उद्गमस्थान-यस्य छन्दो- वाज० 30110 / मयं ब्रह्म देह आवपनं विभोः भागः 1080 // 45 | आशुकविः [क० स०] जो तुरन्त ही (बिना पहले से 2. पटसन से निर्मित कपड़ा। सोचे) काव्य रचना कर सके / आवापः [आवप्+घञ् ] तान्त्रिकों के मतानुसार मन्त्र | आश्रमपरिग्रहः [प० त०] संन्यास (नीथा आश्रम) की वार-बार आवृत्ति जिससे अनेक कार्यों में सिद्धि ग्रहण करना। प्राप्त होती ह– यस्तु आवृत्या उपकरोति स आवापः | आश्रमवासिपर्बन [प० त०] महाभारत के पन्द्रहवें पर्व मै० सं० 111 पर शा० भा० / का प्रथम अनुभाग। आवरणम् [आवृ+ल्पट] 1. कवच कि० 17159 / आश्रवः [आश्रु+अच ] सांसारिक कप्ट,-सवितर्क2. भ्रम, भ्रान्ति / विचारमवाप शान्तं प्रथमं ध्यानमनाथुवप्रकारम् 00 आवरीवस् (वि.) [आवृ--या वस् ] छादन, चादर, च०५।१०। ढकना-शतला० 23 / आश्लेषणम् [ आश्लिष्-+ ल्युट ] आसक्ति, अनुरक्ति / आवर्जक (वि.) [आवृज्+ण्वुल ] आकर्षक / आश्वासिक (वि.) [आश्वास+ठक ] विश्वसनीय, आवर्तनम् [आवृत् + ल्यट] वर्ष, आवर्तनानि चत्वारि | विश्वासपात्र। - महा० 13310765 / आश्विनचिह्नितम् (नपुं०) शारदीय विपुत्र / आवास्य (वि.) [आवस् | णिच् / ण्यत् ] बसा हुआ, | आस, (आः) (अ.) उदासीनता द्योतक अव्यय ननु व्याप्त, पूर्ण, भरा हुआ ईशावास्य मिदं—ईश० 1 / आस्ते इत्य पवेशने भवनि। नावश्यमपवेगने एव, आवास (चुरा० पर०) (आ पूर्वक वास्) सम्पन्न करना, औदामीन्यपि दश्यते। मी० म० 3 / 6 / 24 पर वास युक्त करना--आवासयन्ता गन्धन--रा० शा० भा०। 21103 / 41 / आसक्त (वि.) [आसञ्ज /क्त| अवरुद्ध, बन्द-कार्तआविः (स्त्री.) [अवीरेव स्वार्थे अण् / पीडा, कष्ट, वीर्यभुजासक्तं तज्जलं प्राप्य निर्मलम्-रा० 32 / 5 / प्रसववेदना। आसंशित (वि.) [आसंज्ञा+इतन् ] जिसके साथ कोई आवितन (तना० आ०) व्याप्त होना,---त्रील्लोकानावि- समझौता हो गया है, सम्मिलित। तन्वाना: भाग० 3 / 20137 / आसद् (प्रेर०) धारणा करना, पहनना- - आसाद्य कवचं आवित्त (वि.) [आविद |क्त विद्यमान / दिव्यं र०७।६।६४ / / आविद्ध (वि) [आ--व्यध-क्ति] पास-पास रक्खा | आसत्तिः (स्त्री०) [आसद्+क्तिन ] उलझन, घबराहट हुआ, छिनराया हुआ स पाण्डुराविद्धविमानमालिनीम् -न च ते क्वचिदासत्तिर्बुद्धेः प्रादुर्भविष्यति-महा. रा० 5 / 053 / 12152 / 17 / आविल (वि०) आविलति दृष्टिं स्तृणाति विल स्तृतीक | आसनम् [आस् + ल्युट् ] 1. हौदा, हाथी की ग्रीवा और चंबला, अस्पप्ट, जो देख न सके। पीठ का मध्यवर्ती भाग जहाँ हस्त्यारोही बैठता है आविर्भूत (वि०) | आविस्+भू+क्त ] प्रकट हुआ हुआ, 2. तटस्थता-कौ० अ० 7.1 3. पासे के खल में आविर्भूतप्रथममुकुला: कन्दलीश्चानुकच्छम्-मेघ.।।, प्रयुक्त मोहरा। सम० - मधुडकम् वीर्य / For Private and Personal Use Only