________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1220 ) अवत (म्वा० पर०) पार करना-त्वयाऽवतीर्णोऽर्ण उता- / अवपोषिका (स्त्री०) (पत्थर आदि कोई) वस्तु जो नगर प्तकामः-भाग० 3 / 24134 / की दीवार से नगर पर आक्रमण करने वाले शत्रुओं अवतरणमङ्गलम (नपुं०) हार्दिक स्वागत / पर फेंकी जाय महा० / अवतरणिका (स्त्री०) संक्षिप्त विवरण / अवाल (भ्वा० आ०) नीचे छलांग लगानी-स्वनिगममपअवताररहस्यम् (नपुं०) अवतार लेने का भेद / हाय मत्प्रतिज्ञां ऋतमधिकर्तुमवप्लुतो रथस्थः भाग० अवतारोहेशः (अवतार+उद्देशः) अवतार लेने का प्रयोजन। 1 / 9 / 37 / भवतारणम् [अव+त+णिच् + ल्युट्] उतार, अवतार | अवबोधित (वि.) [अवबुध+णिच+क्त जगाया हुआ ....पौष्यं पौलोममास्तीकमादिरंशावतारणम्-महा० -रामो रामावबोधितः -- रघु० 12 / 23 / शरा४२ / अवभङ्गः (वि.) [अवभञ्ज--घञ्] टूटा हुआ, अवयत् (वि.) [अवदो+शत] तोड़ने वाला, शतशो विशि- जिसकी हड्डी टूट गयी हो,--ङ्गः 1. तोड़ देना खानवद्यते--कि० 15 / 48 / 2. (नाक या कान का) बींधना। अवधिः [अव+धा--कि] शासनादेश, अधिदेश, ---वयं त / अवमर्दः [अव+मृद्घा ] 1. संघर्ष, हलचल-न त्वां भरतदेशाऽवधि कृत्वा हरीश्वर--रा० 4 / 8 / 25 / सम० समासाध्य रणावमदं-रा० 5 / 48 / 6 2. एक प्रकार -ज्ञानम् जैन शब्दावली में ज्ञान की तीसरी अवस्था का ग्रहण / जिसमें इन्द्रियातीत विषयों का ज्ञान भी मनष्य को हो / अवमदिन् (वि.) [ अवमर्द+णिनि ] हत्यारा,-महात्मजाता है। नस्तस्य रणावमदिनः ---रा० 5 / 37565 / भवहित (वि०) (वेद) (अवधा +क्त] मग्न, पतित, | अवशित (वि.) [अवमश+णिच् + क्त | 1. बिगड़ा -त्रित: कूपेऽवहितो देवान् हवत-ऋ० 11105 / 17 / हुआ, नष्ट किया हुआ-इति दक्षः कविर्य भद्ररुद्रावअवधारणम् [अब++णिच् + ल्युट] (नाम का) उच्चा- मर्शितम् --भाग० 4 / 7 / 48 / रण करना-न त्वां देवीमहं मन्ये राज्ञः संज्ञावधारणात् / अवमूत्रयत् (वि.) [ अवमूत्र+शतृ ] मूत्र करके भूमि रा० 5 / 33 / 10 / को गन्दा करने वाला - अवमूत्रयतो मेढ़म् ... मनु० अवधूत (वि.) [अव++क्त] 1. समझा हुआ, जाना / 8282 / हुआ 2. (ब०२०) इन्द्रियाँ (सांख्य० में)। अवमेहः [अवमिह+घञ ] विष्ठा, मल - कामं प्रयाहि अवध्यै (भ्वा० पर०) तिरस्कार करना-सोऽवध्यातः जहि विश्रवसोऽवमेहम् - भाग० 9 / 10 / 15 / सुररेवम् --भाग० 3 / 12 / 6 / / अवयवप्रसिदिः (स्त्री०) (शब्द के) खण्डों का निर्देशन, अवध्यानम् अव+ध्ये+ल्युट] तिरस्कार-यथा तरेसद- व्यत्पत्तिपरक सार्थकता - न चावयवप्रसिद्धया समवध्याममहः--भाग० 5 / 10 / 24 / दायप्रसिद्धिर्बाध्यते-मी०सू०६।८।४१ पर शा०भा०। अवमिः (स्त्री०) [अव--अनि] 1. भमि, पथ्वी 2. नदी। | अवयुत्यनुवादः (पुं०) किसी वस्तु का अंशों में उल्लेख सम० जः मंगल ग्रह,-जा सीता,-भूत् राजा, करना-- एक वृणीत इत्यवयुत्यनुवादोऽयं त्रयाणामेव पहाड़,-सारा केले का पौधा / .... मै० सं०६।११४३ पर शा० भा०। अवनिष्ठी (दिवा० पर०) किसी पर थकना-. अवनिष्ठी- | अवरक्षणी [ अवरक्ष् + ल्युट्+ठी ] घोड़े को बांधने की वतो दाद द्वावोष्ठी छेदयेन्नृपः –मनु० 8 / 282 / / रस्सी-हरि० / अवनय (वि.) [अव+नी- प्यतु] अनुसरण कराये जाने | अवरीक (अवर+च्चि--कृ--तना० उ०) निकट लाना योग्य - अरण्येमुनिभिजुष्टे अवनेया भविष्यसि --रा. / जवादवरीकृतदूरदृकपथः --- 0 16026 / 7 / 46 / 9 / अववित (वि०) / अवरुद्+क्त ] जो आँसुओं के गिरने अवन्तिसुन्दरीकथा (स्त्री०) एक रचना जो दण्डी कवि की से अपवित्र हो गया हो अवक्षतावरुदितं तथा श्रादे कृति बताई जाती है। च वर्जयेत्... महा० 13 / 91141 / अवन्तिका (स्त्री०) 1. वर्तमान उज्जैन नगर 2. उज्जैन | अवरुद्ध (वि.) [अवरुध-+ क्त ] अत्यन्त व्याकुल-प्रहर्षेवासियों की बोली। __णावरुद्धा सा रा०६।११३।१४ / अबध्यकोप (वि.) [न० ब०] जिसका क्रोध प्रभाव रखने | अवरोधः [अवरुध्+घञ ] बाध्य करने वाली शक्ति वाला है- अवन्ध्यकोपस्य विहन्तुरापदाम् कि० 1 / -प्रजानन्दावरोधेन गृहेषु लोक नियमयत् -भाग० अवपतित (वि०) [अवपत्+क्त] नीचे गिरा हुआ-फल- 5 / 4 / 14 / सम०-गृहः अन्तःपुर,-जनः अन्तःपुर वृक्षावपतित: / रा० 2 / 28 / 12 / की महिलाएँ। अवपानम् (वेद०) [अवपा-+ल्य पीना मापस्थानं महि- | अवरोपितः [ अवरूप+णिच्+क्त] 1. सिंहासन से षेवावपानात्--ऋ० 10 // 106 / 2 / | उतारा हुआ, निष्कासित-पुराहं वादिना राम का। For Private and Personal Use Only