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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1203 ) कुशावंती या कुशस्थली -यह दक्षिणकोशल प्रदेश की राज-1 के आसपास बिध्य और रिक्ष पर्वतों के मध्य में धानी है और बिध्यपर्वत की संकीर्ण घाटी में स्थित ) नर्मदा के किनारे पर स्थित माहिष्मती नगरी में है। यह नर्मदा के उत्तर में परन्तु बिध्यपर्वत के हैहय या कलचुरी लोग राज्य करते थे। दक्षिण में होगा। संभवतः यह वही स्थान है जिसे | चोल एक देश का नाम जो कावेरी के तट पर बसा बंदेलखंड में हम रामनगर कहते हैं। राजशेखर इस हआ है यह मैसूर प्रदेश का दक्षिणी भाग है। यह कुशस्थली के स्वामी को मध्यदेशनरेन्द्र अर्थात् मध्यभूमि प्रदेश कावेरी के परे है। पुलकेशिन् द्वितीय ने इस या बुंदेलखंड का राजा कहते हैं। नदी को पार करके इस देश पर आक्रमण किया था। केकय -.सिंधुदेश की सीमा बनाने वाला केकय एक देश यही देश बाद में कर्णाटक कहलाने लगा। का नाम है। जनस्थान-(मानव वसति) यह दण्डक के महावन का केरल-कावेरी के उत्तरी समुद्र तथा पश्चिमी घाट की एक भाग है। और प्रस्रवण नामक पर्वत के निकट मध्यवर्ती भूमि की लंबी पट्टी। इस प्रदेश की मुख्य स्थित है। प्रसिद्ध पंचवटी (स्थानीय परम्परा नदियाँ है नेत्रवती, सरावती तथा कालीनदी। यह काली अनुसार इसी नाम का एक स्थान जो वर्तमान नासिक नदी ही मुरला नदी समझी जाती है। इसका उल्लेख से लगभग दो मील दूर है) का स्थान इसी प्रदेश में रघु० 4155 तथा उत्तर० 3 में किया गया है, यही विद्यमान है। केरलप्रदेश की मख्य नदी है। केरल प्रदेश वर्तमान जालन्धर--वर्तमान जलन्धर दोआब / शतद्र और विपाशा कानड़ा प्रदेश है जिसके साथ संभवतः मलाबार भी (सतलज और व्यास) से सिंचित प्रदेश / जुड़ा हुआ है और कावेरी से परे तक फैला हुआ है। ताम्रपर्णी- मलय पर्वत से निकलने वाली एक नदी का कोशल - एक प्रदेश का नाम जो रामायण के अनुसार नाम। यह वही नदी प्रतीत होती है जिसे आजकल सरयू नदी के तटों के साथ साथ बसा हुआ है। इसके तांब्रवारी कहते हैं, जो पश्चिमी घाट के पूर्वी ढलान दो भाग हैं-उत्तर कोशल और दक्षिण कोशल / से निकलकर तिन्नेवली जिले में से होती हुई मनार उत्तर कोशल का नाम 'गन्द' है और यह अयोध्या के की खाड़ी में गिर जाती है, तु० रघु० 4 / 49-50, उत्तरी प्रदेश को प्रकट करता है जिसमें गन्द तथा और बा० रा०१०५६ / / बहरायच सम्मिलित है। अज, तथा दशरथ आदि ताम्रलिप्त-दे० 'सुह्म' के अन्तर्गत / राजाओं ने इसी प्रान्त पर राज्य किया। राम की त्रिगत ...प्राचीन काल का एक अत्यन्त जलहीन मरु प्रदेश / मृत्यु के पश्चात् उसके पुत्र कुश ने तो बिध्यपर्वत की यह सतलुज का पूर्ववर्ती मरुस्थल था। सरस्वती संकीर्ण घाटी में स्थित दक्षिणी कोशल की कुशावती और सतलज का मध्यवर्ती भाग भी इसमें सम्मिलित राजधानी में राज्य किया, और लव ने उत्तरी कोशल था। उत्तर में लुध्याना और पटियाला है तथा मरुमें स्थित श्रावस्ती में रहकर राज्य किया / स्थल का कुछ भाग दक्षिण में है। कौशांबी . वत्स देश की राजधानी का नाम है। य | त्रिपुर-री-चेदि देश की राजधानी 'चन्द्र दुहिता अर्थात् नगर इलाहाबाद से लगभग तीस मील की दूरी पर | नर्मदा की तरंगों से शब्दायमान' अतएव इस नदी के वर्तमान कोसम के निकट स्थित था। किनारे स्थित / जबलपुर से 6 मील की दूरी पर कौशिकी-एक नदी (कुसी) का नाम जो उत्तरी भागल स्थित वर्तमान तिवर को ही त्रिपुर माना जाता है। पुर तथा पश्चिमी पूर्णिया से होती हुई दरभंगा के | दशपुर-दे० 'अवन्ति' के अन्तर्गत / पूर्व में बहती है। इस नदी के तटों के निकट | दशार्ण-एक देश का नाम जिसमें से दशाणं (दसन) ऋष्यशृंग ऋषि का आश्रम था। नाम की नदी बहती है। यह मालवा का पूर्वी भाग गौड या पुंड-उत्तरी बंगाल। (पंड मलरूप से 'पुरी' के था। इसकी राजधानी विदिशा नगरी थी जिसे वेतस प्रदेश को कहते हैं)। वर्तमान भिलसा माना जाता है। यह वेत्रवती या चेवि - एक देश और उसके अधिवासियों का नाम / बेतवा नदी के तट पर स्थित है, तु० मेघ. 24/25, चेदियों को दाहल और त्रैपुर भी कहते हैं। यह और कादंबरी। कालिदास ने भी विदिशा नाम की लोग नर्मदा के उत्तरी तट पर बसे हुए थे, यह वही एक नदी का उल्लेख किया है जो संभवत: वही है लोग थे जिन्हें हम दशार्ण कहते हैं। एक समय जिसे हम आजकल ब्यास कहते हैं तथा जो बेतवा में इनकी राजधानी त्रिपुरी थी। कुछ लोग ऐसा मानते मिल जाती है। हैं कि यह लोग मध्यभारत के वर्तमान बन्देल खण्ड | द्रविड- कृष्णा और पोलर नदियों के मध्यवर्ती जंगली में रहते थे, कुछ लोग यह समझते हैं कि इनका देश | भाग के दक्षिण में स्थित कोरोमंडल का समस्त वर्तमान चन्द सिल था। जबलपुर से नीचे भेरा घर समुद्रीतट इसमें सम्मिलित है। परन्तु यदि सीमित For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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