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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अकर्मक (वि.) [ नास्ति कर्म यस्य, ब० कप् ] वह क्रिया | असमय पर खिलने वाला फूल, कूष्माणः बिना ऋतु जिसका कर्म न हो (स्त्री०--अकमिका)। के उपजा हुबा कुम्हा (आलं.) व्यर्थ जन्म,-ज, अकल (वि.)[नास्ति कला अवयवो यस्य, न.ब.] अखंड, -उत्पन्न,-जोत (वि.) बिना ऋतु के उपजा हुमा, भागरहित, परब्रह्म की उपाधि। प्राक्कालिक; --बलबोदयः,-मेघोदयः 1 असमय में अकल्क (वि.) [न.ब.] 1 तलछट रहित, शुद्ध 2 निष्पाप बादलों का उठना या इकट्ठा होना; 2 कुहरा, धुंध, (स्त्री०-अकल्का) चांदनी, चन्द्रमा का प्रकाश । -बेला ऋतु के विपरीत या अनुपयुक्त समय, सह मकल्प (वि०) [न० ब०] 1 अनियंत्रित, जिस पर कोई (वि०) 1 समय की हानि या देरी को सहन न करने नियंत्रण न हो, 2 दुर्बल, अयोग्य 3 अतुलनीय । वाला, अधीर, 2 गढ़ की भांति दृढ़ता के साथ अधिक अकस्मात् (अव्य०) [न कस्मात्-न० त०] अचानक, समय तक न टिकने वाला। एकाएक, सहसा आकस्मिक रूप से अकस्मादागंतुना अकिंचन (वि०) [नास्ति किंचन यस्य न० ब०] जिसके सह विश्वासो न युक्त:-हि. १२२; अकारण, बिना पास कुछ भी न हो, बिल्कुल गरीब, नितांत निर्धनकिसी कारण के, व्यर्थ ही--नाकस्मात् शांडिली- अकिंचनः सन् प्रभव: स सम्पदाम् कु० ५७७ । माता विक्रीणाति तिलैस्तिलान्-पं० १६५-कथं त्वां । अकिंचित (वि.) [ अकिंचित्+ज्ञा+क] कुछ न जानने त्यजेदकस्मात्पतिरार्यवृत्तः-रषु० १४१ ५५, ७३ । । वाला, निपट अज्ञानी; भर्तृ० २।८।। अकाय (वि.) [न० ब०] 1 आकस्मिक, अप्रत्याशित, | अकिंचिकर (वि०) [ उप० स०] 1 अर्थहीन,-परतंत्र -सहसा पुनरकांडविवर्तनदारुणः--उत्तर० ४।१५, मा० मिदमकिञ्चित्करं च-वेणी०३ 1 2 भोला, सीधा। ५।३१, 2 जिसमें तना या डाली न हो। सम.- अकुण्ठ (वि.) [न० त०] 1 जो ठुठा न हो, जिसकी जात (वि.) सहसा उत्पन्न या उत्पादित;-माण- गति अबाघ हो-आशस्त्रग्रहणादकुंठपरशो:---वेणी० बम् क्रोध पांडित्यादि का अप्रासंगिक प्रदर्शन --पात: २:२; 2 प्रबल, काम करने योग्य 3स्थिर 4 अत्यधिक । आकस्मिक घटना . पातजात (वि.) जन्म होते ही अकुतः ( क्रि० वि०) कहीं से नहीं (इसका प्रयोग केवल मर जाने वाला,-शूलम् अचानक गुर्दे का दर्द।। समस्तपदों में होता है)। सम०-चल: शिव का अकारे (क्रि.वि.) अप्रत्याशित रूप से, एकाएक, सहसा, नाम.....-भय (वि.) सुरक्षित, जिसे कहीं से भी भय -दर्भाकुरेण चरणः क्षत इत्यकांडे तन्वीस्थिता कतिचि- न हो-मादशानामपि अकुतोभयः संचारो जातः-- देव पदानि गत्वा-श०२।१२।। उत्त०२,यानित्रीण्यकुतोभयानि च पदान्यासन्खरायोधने अकाम (वि.) [न.ब.] 1 इच्छा , राग, या प्रेम से मक्त (पाठान्तर) अपराङमुखाणि -उत्त० ५।३५ । 2 अनिच्छुक, अनभिलाषी, 3 प्रेम से अप्रभावित, प्रेम | अकृप्यम (न) [न० त०] 1 बिना खोट की धातु, सोना की अधीनता से मुक्त, शं० २२३ 4 अचेतन,अनभिप्रेत । | चाँदी, 2 कोई भी खोट की धातु।। मकामतः (क्रि० वि०) [अकाम-तसिल ] अनिच्छापूर्वक, | अकुशल (वि.) [न० त०] 1 अशुभ, दुर्भाग्यग्रस्त, 2 जो बेमन से, बिना इरादे के, अनजानपने में ---इतरे | चतुर या होशियार न हो,-लम् अमंगल, दुर्भाग्य । कृतवंतस्तु पापान्येतान्यकामतः-मनु० ९।२४२।। अकुपारः [नग+कृप+ऋ+अण् ] 1 समुद्र 2 सूर्य 3 अकाय (वि.) [न० ब०] 1 शरीररहित, अशरीरी 2 | "कछुआ 4 कछुओं का राजा जिस पर पृथ्वी का भार राह की एक उपाधि 3 परब्रह्म की उपाधि । है 5 पत्थर या चट्टान। अकारन (वि.) [न० ब०] कारणरहित, निराधार, स्वतः- | अकृच्छ (वि.) [न० ब० ] कठिनाई से मुक्त,-च्छम् स्फूर्त, जम् कारण प्रयोजन या आधार का अभाव- कठिनाई का अभाव, सरलता, सुविधा। किमकारणमेव दर्शनं विलपन्त्य रतये न दीयते-कु० मकृत (वि.) [न +-+-क्त ] 1 जो किया न गया ४१७ अकारणम्, अकारणात्, अकारणे-(कृ० वि०) हो, 2 गलत या भिन्न तरीके से किया गया 3 अपरा, बिना कारण के, संयोगवश, व्यर्थ । जो तैयार न हो (जैसे रसोई), 4 अनिर्मित 5 जिसने अकार्य (वि.) [न० ब० ] अनुपयुक्त -यम् अनुचित या कोई काम न किया हो 6 अपक्व, कच्चा; --साजी बुरा काम, अपराधपूर्ण कार्य । सम० कारिन बेटी होने पर भी बेटी न मानी जाकर पुत्रों के समकक्ष बुरा काम करने वाला, जो बुरा काम करे, कर्तव्य समझी जाय; -सं(नपुं०) कार्य जो किया न गया हो, विमुख। काम का न किया जाना, जो काम कभी सुना न गया बकाल (वि.) [न० ब०] असामयिक, प्राक्कालिक --ल: हो। सम०- अर्थ (वि०) असफल,-अस्त्र (वि.) गलत समय, अशुभ या कुसमय, (किसी बात के लिए) जिसे हथियार चलाने का अभ्यास न हो,---आत्मन अनुपयुक्त समय--अत्यारूढो हि नारीणामकालज्ञो (वि.) 1 अज्ञानी, मूर्ख, असंतुलित मस्तिष्क का 2 मनोभवः-- रघु. १२।३३। सम० --कुसुमम् -पुष्पम् । परब्रह्म या ब्रह्मा के स्वरूप से भिन्न,-उद्वाह (वि.) पत्थरना सुविधा किया न Jan For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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