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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११२, 2. सदोष, दोष युक्त, निन्दाह, अरुचिकर, । अवधूत (भू० क. कृ.) [ अव+धू+क्त ] 1. हिलाया अप्रिय--उदवहदनवद्यां तामवद्यादपेत:-रघु० ७७०, हुआ, लहराया हुआ 2. त्यागा हुआ, अस्वीकृत, धुणित 'अनवद्य' भी 3. चर्चा के अयोग्य, 4. नीच, अघम, -रघु० १९।४३, 3. अपमानित, तिरस्कृत,-तः वह -द्यम 1. अपराध, दोष, खोट 2. पाप, दुर्व्यसन 3. सन्यासी जिसने सांसारिक बंधनों तथा विषय-वासनाओं लांछन, निन्दा, झिड़की- उदवहदनवद्यां तामवद्या को त्याग दिया है---यो विलंघ्याश्रमान वर्णानात्मन्येव दपेत:-रघु०७७०।। स्थितः पुमान्, अतिवर्णाश्रमी योगी अवधतः स अवद्योतनम् [अवद्युत् + ल्युट ] प्रकाश । उच्यते । या-अक्षरत्वात् वरेण्यत्वात् धूतसंसारअवधानम् [अव+धा+ ल्युट । 1. ध्यान–अवधानपरे बंधनात्, तत्त्वमस्यर्थसिद्धत्वादवधूतोऽभिधीयते। चकार सा प्रलयान्तोन्मिषिते विलोचने -कु० ४२, | अवधूननम् | अवघ+ल्युत् ] 1. हिलाना, लहराना 2. एकाग्रता, सावधानी दत्तावधान: शृणोति-साव- क्षोभ, कंपकंपी 3. अवहेलना । धानतापूर्वक सुनता है 2. लगन, सतर्कता, चौकसी; अवध्य (वि०) [न० त०] मारने के अयोग्य, पवित्र, अवधानात् सतर्कतापूर्वक, ध्यानपूर्वक,---शृणुत जना मत्यु से मुक्त । अवधानात् क्रियामिमां कालिदासस्य --विक्रा० ११२, अवध्वंसः [ प्रा० स०] 1. परित्याग, उन्मोचन 2. चूरा, (पाठ०)। राख 3. अनादर, निदा, लांछन, 4. गिर कर अलग अवधारः [अव++णिच् + घन] सही निश्चय, सीमा । होना 5. बुरकना। अवधारक (वि.) [अव+ +णिच् पवुल्] सही निश्चय | अवनम् [ अन्+ल्युट् ] 1. रक्षा, प्रतिरक्षा--नलो० ११४, करने वाला। 2. तृप्तिकर, प्रसन्नतादायक 3. कामना, इच्छा 4. अवधारण (वि.) [अव-ध+णिच्--ल्युट् ] प्रतिबंधक, हर्ष, संतोष । सीमाबन्धन करने वाला, णम, -णा 1. निश्चय, । अवनत (भू० क० कृ०) [अव---नम्+क्त ] 1. नीचे निर्धारण 2. पूष्टीकरण, बल 3. सीमा नियत करना झका हुआ, खिन्न, विनय, प्रश्रय 2. डूबता हुआ (शब्दों के अर्थों की)-यावदवधारणे, एवावधारणे, झुकता हुआ, नीचे गिरता हुआ। मात्र कात्न्य ऽवधारणे-अमर० 4. किसी एक निद- | अवनतिः (स्त्री०) [अव+ नम्-क्तिन्] 1. झुकना, मस्तक शन तक ---या सबसे पृथक करके --प्रतिबंध झुकाना, झुकाव,--अवनतिमवने:----मुद्रा० ११२, शि० लगाना। ९८, 2. पश्चिम में छिपना, डूबना 3. प्रणाम, दंडवत् अवधिः [ अव-धा--कि] 1. प्रयोग, ध्यान 2. सीमा, 4. झुकाव (जैसे धनुष का)-धनषामवनतिः का० (यहाँ मर्यादा---अन्त तकारी या एकान्तिक-(स्थान और अ° का अर्थ 'अवनमन' भी होता है) 5. शालीनता, समय की दृष्टि से), सिरा, समाप्ति--स्मरशापाव- विनम्रता। धिदां सरस्वती-कु० ४१४३, उपसंहार, प्रायः | अवन (भू० क. कृ.) [ अव+नह+क्त ] 1. निर्मित, समास के अन्त में अर्थ होता है-'के साथ समाप्त बना हुआ 2. स्थिर, बैठाया हुआ, बांधा हुआ, जुड़ा होते हुए' 'यथासंभव' तक' एष ते जीवितावधिः हुआ, एक जगह रक्खा हुआ, -वम् ढोल। प्रवाद:--उत्तर० १, 3. नियतकाल, समय-रघु० अवनम्र (वि.) [प्रा० स०] अवनत, झुका हुआ-पर्याप्त१६।५२, शेषान् मासान् विरहदिवसस्थापितस्यावधेर्वा पुष्पस्तबकावनम्रा--कु० ३१५४, पाद पैरों पर गिरा -मेघ०८९, यदवधि--तववधि जबसे-तबसे, जबतक --तबतक 4. पूर्वनियुक्ति 5. नियुक्ति 6. प्रभाग, अबन (ना) यः [ अव+नी+अच्, घञ् वा] 1. नीचे जिला, विभाग 7. विवर, गर्त । ले जाना 2. नीचे उतारना । अवधीर (चु० पर०) अवहेलना करना, अनादर करना, | अबनाट (वि.) [ मतं नासिकायाः, अव+नाटच्, दे. नीचा दिखाना,—अवधीरितसुहद्वचनस्य-हि. १, अवटीट ] चपटी नाक वाला। घृणा करना, तिरस्कार करना। अवनामः [अव+नम्+घञ्] 1. झुकना, नमस्कार करना, अवधोरणम् [अव+घी+ल्युट ] अनादर पूर्वक बर्ताव पैरों पर गिरना 2. नीचे झुकाना। करना। अवनाहः [अव+नह+घञ ] बांधना, पेटी लगाना, अवधीरणा [अव+धीर-ल्युट+टाप] अनादर, तिर- | कसना। स्कार,-कृतवत्यसि नाववीरणामपराद्धेऽपि यदा चिरं | अवनिः-मी (स्त्री०)[अव+अनि, पक्षे होप ] 1. पृथ्वी मयि-रघु०८४८, मालवि० ३.१९, अयं स ते तिष्ठति 2. आकृति 3. नदी। सम-शि:-विवरः, सङ्गमोत्सुको विश से भीरु यतोऽवधीरणाम -श. -नाथः,--पतिः, पालः भूस्वामी, राजा-पतिरवनि३।१४। पतीनां तैश्चकाशे चतुर्भिः रघु०-१०।८६, ११३९३, हुआ। For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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