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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir षोत्तमः स्मृतः- रघु० 3 / 49 2. इन्द्र का नाम | हरिण (वि.) (स्त्री०-- गो) [ह + इनन् ] 1. फीका, -रघु० 3 / 55, 68, 879 3. शिव का नाम पीला सा 2. लाल या पीला सफेद,-: i. मृग, बारह4. ब्रह्मा का नाम 3. यम का नाम 6. सूर्य 7. चन्द्रमा सिंगा (यह पांच प्रकार का बताया गया है-हरिण8. मनष्य 9. प्रकाश की किरण 10, अग्नि 11. पवन इचापि विज्ञेयः पंचभेदोऽत्र भैरव। ऋ ष्यः खङ्गो 12. सिंह-भामि० 1150, 51 13. घोड़ा 14. इन्द्र रुरुश्चैव पृषतश्च मगस्तथा कालिका०)-अपि प्रसन्नं का घोड़ा सत्यमतीत्य हरितो हरीश्च वर्तन्ते वाजिनः हरिणेषु ते मन:---कु० 5 / 35 2. सफेद रंग 3. हंस -~-श० 1, 77 15. लंगूर, बन्दर -- उत्तर० 348, 4. सूर्य 5. विष्णु 6. शिव। मम०-- अक्ष (वि०) रघु० 12 / 57 16. कोयल 17. मेंढक 18. तोता मगनयन, हरिण जैसी आंखों वाला,(-क्षी) मगनयनी 19. साँप 20. खाकी या पीला रंग 21. मोर 22. भर्त- सुन्दर आंखो वाली स्त्री,- अङक: 1. चन्द्रमा 2. कपूर, हरि कवि का नाम / सम० -- अक्षः .. सिंह कलडकः,-धामन् (पुं०) चन्द्रमा,... नयन, नेत्र 2. कुबेर का नाम 3. शिव का नाम, अश्व: 1. इन्द्र लोचन (वि.) हरिणाक्ष, मग मी आंखों वाला, 2. शिव, कान्त (वि.) 1. इन्द्र को प्रिय 2. सिंह के ..... हृदय (वि.) हरिण जैसे दिल वाला, भीरु / समान सुन्दर, केलीयः बंग देश, गन्धः एक प्रकार | हरिणकः हरिण-कन्] छोटा हरिण-क्व वत हरिणकानां का चन्दन,--चन्दनः नम् 1. एक प्रकार का पीला जीवितं चातिलोलम श० 1110 / चन्दन (लकड़ी या वृक्ष) रघु० 3159, 660, श० / हरिणी[हरिण- ही ] 1. मगी, मादा हरिण,-चकित७।२, कु० 5 / 69 2. स्वर्ग के पाँच वृक्षों में से एक / हरिणीप्रेक्षणा मेघ० 82, रघु० 2055, 1416 वक्ष पञ्चते देवतरवो मन्दारः पारिजातकः / सन्तानः 2. स्त्रियों के चार भेदों में से एक ('चित्रिणी' भी कल्पवृक्षश्च पुंसि वा हरिचन्दनम्-अमर०, (-नम्) कहते हैं) 3. पीले फूल की चमेली. मुन्दर स्वर्णमनि 1. ज्योत्स्ना 2. केसर, जाफ़रान 3. कमल का पराग, 5. एक छन्द का नाम / सम० दश (वि०) हरिण ... तालः (कुछ विद्वान् इसे 'हरित' से व्युत्पन्न मानते जैसी आँखों वाला- (स्त्री०), मृगनयनी-किमभवद्विहैं) पीले रंग का कबूतर, (- लम्) हरताल हंस० पिने हरिणीदश:- उत्तर० 3 / 27 / 1, शि० 4 / 21, कु. 7 / 23, 33, (- ली) दूर्वा | हरित् (वि०) [ह+इति ] 1. हग, हरियाला 2. पीला, घास, दुभ, तालिका भाद्रशुक्ला चतुर्थी 2. दूर्वा घास, पीला सा 3. हरियाली लिये पीला,-(१०)1. हरा या --तुरङ्गमः इन्द्र का नाम,--वासः विष्णु का उपासक, पीलारंग 2. सूर्य का घोड़ा, लाख के रंग का घोड़ा-मत्य---दिनम् विष्णु पूजा का विशेष दिन,--देवः श्रवण मतीत्य हरितो हरीश्च वर्तन्ते वाजिनः - श० 1, दिशा नक्षत्र,-द्रवः हरा रस,-द्वारम् एक पुण्यतीर्थस्थान,-नेत्रम् हरिद्धिहरितामिवेश्वर:-रधु० 3130, कु० 2043 1. विष्णु की आँख 2. सफ़ेद कमल, ( त्र) उल्ल, 3. तेज घोड़ा 4. बिह 5. मूर्य 6. विष्ण (पु०, नपुं०) -- पदम् वसन्त विषव, प्रियः 1. कदंब का वृक्ष 1. घास 2. दिशा-रघ०६।३० / सम-अन्तः दिशाओं 2. शंख 3. मूर्ख 4. पागल मनुष्य 5. शिव, ( --यम) का अन्त, दिगन्त,-भामि० 160, अन्तरम भिन्न एक प्रकार का चंदन, -- प्रिया 1. लक्ष्मी 2. तुलसी प्रदेश, विविध दिशाएँ भामि० 115, . अश्वः का पौधा 3. पृथ्वी 4. द्वादशी,-भुज् (पुं०) सांप, 1. सूर्य, कि० 2 / 46, रघु 0 3 / 22, 18 / 23. दि. -मन्थः, मन्थकः मटर, चना,-लोचन: 1. केकड़ा 11 / 56 2. मदार का पौधा, अकं, गर्भः चौड़े पत्तों 2. उल्ल,-वल्लभा 1. लक्ष्मी 2. तुलसी,-वासरः विष्ण- की हरी हरी कुशा, मणिः (हरिमणि:) मरकन दिवस, एकादशी, वाहनः 1. गरुड 2. इन्द्र, विश् मणि, पन्ना गि० 3149, वर्ण (वि.) हरियाली, (स्त्री०) पूर्वदिशा,-शरः शिव का विशेषण (त्रिपुर राक्षस हरे रंग का। के तीनों नगरों को भस्म करने के लिए शिव ने विष्ण को हरित (वि.) (स्त्री०-ता, हरिणी)[ ह। इतच ] हरा, हरे जलते सरकंडे की भांति प्रयुक्त किया),-सखः एक रंग का, हरा-भरा-रम्यान्तरः कमलिनीहरितः सरोभिः गंधर्व,--संकीर्तनम् विष्णु के माम का कीर्तन करना, -- श०४।१०, कु. 4 / 14, मेघ० 21, कि० 5 / 38 --सुतः --सूनुः अर्जुन का नाम,-हयः 1. इन्द्र रघु० 2. खाकी, तः 1. हरा रंग 2. सिंह 3. एक प्रकार का 9 / 18, 2. सूर्य, हरः विष्णु और शिव की एक संयुक्त घास / सम० अश्वन (0) 1. मरकत मणि, पन्ना देवमति, हेतिः (स्त्री०) 1. इन्द्रधनुष ... कथमवलोक- 2 तूतिया, नीला थोथा,-छद (वि.)हरे हरे पत्तों का। येयमधुना हरिहेतिमती: (ककुभः)--मा० 9 / 18 हरितकम् [हरित+के+क] 1. साग-भाजी 2. हरा धास 2. विष्णु का चक्र, हतिः चक्रवाक शि० 9 / 15 / | शि० 5 / 58 / हरिकः [हरि संज्ञायां कन्] 1. खाकी या भूरे रंग का घोड़ा | हरिता [ हरित+टाप् ] 1. दूर्वा घास 2. हरिद्रा 3. भूरे 2.चोर 3. जुभारी। रंग का अंगूर / For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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