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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1144 ) स्थान-स्थितिं नो रे दध्याः क्षणमपि मदान्धेक्षण / करना 3. प्रसन्न करना, तसल्ली देना, आराम पहुँचाना सखे - भामि० 1152, रक्षोगहे स्थितिमलमग्नि- -श०४, स्थिरीभू- 1. स्थिर या दृढ़ होना 2. शान्त शुद्धौ त्वनिश्चयः----उत्तर० 106 2. रुकना, चुप या धीर होना)। सम० --- अनुराग दृढ़ आसक्ति वाला, होकर खड़े होना, एक ही अवस्था में रहना...--अस्थि- स्नेहसिक्त,----आत्मन्,-चित्त, चेतस् - धी,--बुद्धि, तायां प्रतिष्ठेथाः स्थितायां स्थितिमाचरे:--रघु० --मति (वि०) 1. दृढ़मना, विचार या संकल्प का 1289 3. अडिग रहना, जम जाना, स्थिरता, दृढ़ता, पक्का, दृढ़ संकल्प, रघु० 8 / 22, शान्त, धीर, अक्षुब्ध, लगे रहना, भक्ति --मम भूयात् परमात्मनि स्थिति: --- आयुस, जीषिन् (वि०) दीर्घजीवी, चिरजीवी, भामि० 4 / 23 4. हालत, अवस्था, परिस्थिति, दशा -.-आरम्भ (वि०) दायित्व निर्वाह में दृढ़, धर्यशाली, 5. प्राकृतिक हालत, प्रकृति, स्वभाव -अथवा स्थिति- ----कुट्टक: 1. लगातार पीसने वाला 2. (बीजग में) रिक मन्दमतीनाम् --हि० 4 . 6. स्थिरता, स्थायित्व, समान भाजक, गन्धः चंपक फूल, छदः भोजपत्र का चिरस्थायित्व, निरन्तरता-वंशस्थितेरधिगमान्महति वृक्ष,-छायः 1. यात्रियों को छाया देने वाला 2. वृक्ष, प्रमोदे -विक्रम० 5 / 15, कन्यां कूलस्य स्थितये -जिहः मछली, -- जीविता सेमल (शाल्मली) का स्थितिश:---कु० 1118, रघु० 3 / 27 7. आचरण पेड़,-बंष्ट्रः सांप,--पुष्पः 1, चंपक वृक्ष 2. बकुल वृक्ष, की शुद्धता, कर्तव्यपालन में दृढ़ता, शिष्टता, कर्तव्य, मौलसिरी,-प्रतिज्ञ (वि.) दृढ़प्रतिज्ञ, हठी, आग्रही नैतिक सदाचार, औचित्य - रघु० 3 / 27, 1165, 2. वचन का पालन करने वाला, प्रतिबन्ध (वि.) 12 / 31, कु० 1218 8. अनुशासन का पालन, विरोध करने में दृढ़, हठी --श०२, - फला कुष्मांडी, (किसी राज्य में)सुव्यवस्था की स्थापना-रघु०१।२५, -योनिः बड़ा भारी वृक्ष जो छायां और शरण दे, 9. दर्जा, पद, ऊंचा पद या दर्जा 10. निर्वाह, जीवन --यौवन (वि०) सदा जवान रहने वाला, (--न:) का बने रहना-मा० 9132, रघु० 5 / 9 11, जीवन में 1. विद्याधर, परी 2. चिरस्थायी तारुण्य, --श्री (वि०) नैरन्तयं, रक्षितावस्था (मानव की तीन अवस्थाओं में सदा रहने वाली समृद्धि वाला, संगर (वि.)प्रतिज्ञा से एक)-सर्गस्थितिप्रत्यवहारहेतु:-रघ० 2 / 44, कु० का पालन करने वाला, सच्चा, बात का धनी,---सौहृव श६ 12. यति, विराम, विरति 13. कुशलक्षेम, (वि.) मित्रता में दृढ़,--स्थायिन् (वि.) दृढ़ या कल्याण 14. संगति 15. निश्चित नियम, अध्यादेश, अटल रहने वाला, पूर्णतः शान्त रहने वाला (जैसा कि आशप्ति, सिद्धांतवाक्य, नीतिवाक्य 16. निश्चित समाधि में)। निर्धारण 17. अवधि, सीमा, हद 18. जड़ता, गति- [ स्थिरता, - त्वम् [स्थिर-+-तल+टाप्, त्व वा] 1. दृढ़ता, हीनता 19. ग्रहण की अवधि / सम-स्थापक स्थैर्य, टिकाऊपन 2. दढ़ और बलशाली प्रयत्न, पौरुष (वि०) मूल अवस्था में जमाने वाला, पूर्वावस्था को ..- श० 4 / 14 3. सातत्य, मन की दृढ़ता प्राप्त करने की शक्ति रखने वाला, लचीलेपन को 4. अचलता। धारण करने वाला, -- कः लचीलापन, पूर्वावस्था को | स्थिरा [स्थिर+टाप | पृथ्वी / पुनः प्राप्त करने की सामर्थ्य। स्थुङ (तुदा० पर० स्थुडति) ढकना / स्थिर (वि.) [स्था+किरच, म० अ० स्थेयस्, उ० अ० | स्थुलम् [स्थुड्+अच्, पृषो० डस्य ल:] एक प्रकार का लंबा स्थेष्ठ] 1. दृढ़, स्थिरमति, जमा हुआ-- भावस्थिराणि तंबू। जननान्तरसौहृदानि-श० 5 / 2, स स्थाणुः स्थिरभक्ति- | स्थूणा [स्था+मक, उदन्तादेशः, पृषो०] 1. घर का खंबा योगसूलमो निःश्रेयसायास्तु वः-विक्रम० 111, कु० सतून, स्तंभ 2. पोल या खंबा - स्थूणानिखननन्यायन 1130, रघु० 11319 2. अचल, शान्त, गतिहीन-कु० __ --शारी० 3. लोहमूर्ति या प्रतिमा 4. धन / सम. 2238 3. दृढ़तापूर्वक जमा . उत्तर० 240 -निखननन्याय 'न्याय' के नीचे देखो। 4. स्थायी, नित्य, शाश्वत -- मेघ० 55, मा० 1125, स्थमः (पुं०) 1. प्रकाश 2. चन्द्रमा / 5. शान्त, सचेत, स्वस्थचित्त धीर, गंभीर 6. मौन, स्थूरः [स्था+ऊरन्] 1. साँड 2. मनुष्य / अक्षध 7. आचरण में पक्का, दृढ़ 8. संतत, श्रद्धाल, | स्थूल (वि.) [स्थूल +अच् - म० अ० स्थवीयस, उ० अ० दढ़-संकल्प 9. निश्चित, विश्वास योग्य 10 कठोर, ठोस स्थविष्ठ] 1. विस्तृत, बड़ा, बृहत्, विशाल, महान् 11. मजबूत, अन्तर्दृढ़ 12. कड़ा, निष्करुण, कठोर- ---बहुस्पृशापि स्थूलेन स्थीयते बहिरएमवत् शि० हृदय-कु० ५।४७,-रः देव, सुर 2. वृक्ष, 3. पहाड़ 2178 (यहाँ छठा अर्थ भी घटता है), स्थूलहस्तावले4. सांड 5. शिव का नाम 6. कातिकेय का नाम पान् - मेघ०१४, 106, रघु० 6 / 28 2. मोटा, 7. मोक्ष या निर्वाण 8. शनिग्रह (स्थिरीकृ 1. पुष्ट मांसल, हृष्टपुष्ट 3. मजबूत, शक्तिशाली-स्थल करना, मजबूत करना, समर्थन करना 2. रुकना, दृढ़ / स्थूलं श्वसिति-का० 'कठिनाई से सांस लेता है For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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