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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1135 ) 9. पहाड़ / सम०-करि (वि०) पुलियाँ बनाने / नम्----उत्तर० 4 4. दृढ़ या अटल करना, भग० वाला, भरोटा बनाने वाला, (रिः) अनाज, धान्य, 3143, समव , 1. सहारा देना, टेक लगाना .... करिता पूला या मुट्ठा बनना, प्रचुर या पुष्कल 2. सांत्वना देना, प्रोत्साहित करना। मात्रा में विकास--न शाले: स्तम्बकरिता वप्पूर्गणमपे स्तम्भः [स्तम्भ ---अच् ] 1. स्थिरता, कड़ापन, सख्ती, क्षते-मुद्रा० 113, घनः 1. खुर्पा (जिससे घास के अटलता रम्भा स्तम्भं भजति-विक्रम० 18 / 29, गुच्छे निराये जाय) 2. (धान्य काटने के लिए) गात्रस्तम्भः स्तनमकूलयोरुत्प्रबन्धःप्रकम्प:-- मा०२१५, दरांती 3. तिन्नी धान एकत्र करने की टोकरी, - हनः तत्संकल्पोपहितजडिमस्तम्भमभ्येति गात्रम् --1 / 35, दरांती, खुर्पा। 4 / 2 2. असंवेद्यता, जडता, जाड्य, अनम्यता, लकवा स्तम्बेरमः स्तम्बे वृक्षादीनां काण्डे गुल्मे गच्छे वा रमते रम् 3. रोक, अवरोध, रुकावट-सोऽपश्यत्प्रणिधानेन +अच्, अलक स०] हाथी -स्तम्बरमा मुखरशृङ्ख सन्ततेः स्तम्भकारणम्-रघु० 1179, वाकस्तम्भ लकर्षिणस्ते -रघु० 5 / 82, शि० 5 / 34 / नाटयति मा०८ 4. नियंत्रित करना, दमन करना, स्तम्भ (भ्वा० आ०, स्वा० ऋया० पर० स्तम्भते, दबाना---कृतश्चित्तस्तम्भः प्रतिहतधियामजलिरपि स्तम्भोति, स्तम्नाति, स्तम्भित, स्तब्ध; इकारान्त -भतृ० 3 / 6 5. टेक, सहारा, आलंब 6. स्थूण, खंभा, उकारान्त उपसर्गों के पश्चात् तथा अव के पश्चात् पोल 7. प्रकांड, (वृक्ष का) तना 8. मूढ़ता, जड़ता धातु के स् को ष हो जाता है ) 1. रोकना, बाधा 9. भावशून्यता, अनुत्तेजनीयता 10. किसी अलौकिक डालना, पकड़ना, दबाना—कण्ठः स्तम्भितबाष्पवत्ति- शक्ति या जादू से भावना या शक्ति का दमन करना / कलुषः--श० 4 / 5 2. दृढ़ करना, कड़ा करना, सम०--उत्कीर्ण किसी लकड़ी में खोद कर बनाई गई अचल बनाना 3. जड़ बनाना, शक्तिहीन करना, (मूर्ति), गर ( वि० ) 1. गतिहीन करने वाला, अनम्य बनाना . प्राणा दध्वंसिरे गात्रं तस्तम्भे च जड़ता लाने वाला 2. रोकने वाला, (रः) बाड़, हते प्रिये भट्रि० 14155 4.टेक लगाना, सहारा -- कारणम् अवरोध या रुकावट का कारण,--पूजा देना, थामना, संभाले रखना 5. कड़ा होना, सख्त विवाह आदि के अवसर पर बनाए गए अस्थायी मंडपों होना, अटल होना 6. घमंडी होना, उन्नत होना, के स्तम्भों की पूजा। सीधी गर्दन वाला होना, (निम्नांकित श्लोक में स्तम्भकिन् (पुं०) चर्ममंडित एक वाद्ययंत्र / धातु के विभिन्न रूप दर्शाये गए है - स्तम्भते पुरुषः स्तम्भनम् [स्तम्भ+ ल्युट्] 1. रोकना, अवरोध करना, रुकाप्रायो यौवनेन धनेन च / न स्तम्नाति क्षितीशोऽपि न वट डालना, गिरफ्तार करना, दबाना, नियंत्रित स्तम्नोति युवाप्यसौ ॥)-प्रेर० (स्तम्भयति ते) करना ... लोलोल्लोलक्षुभितकरणोज्जम्भणस्तम्भनार्थम् 1. रोकना, पकड़ना 2. दृढ़ या कड़ा करना 3. गति- -उत्तर० 3 / 36 2. गतिहीन होना, अकड़ाहट, जड़ता हीन करना 4.टेक लगाना, सहारा देना। सम० 3. शान्त होना, स्वस्थचित्तता' पंच० 11360 4. दृढ़ अव-, 1. झुकना, निर्भर होना प्रकृति स्वामव- या कड़ा करना, दृढ़ता पूर्वक जमाना 5. टेक देना, ष्टभ्य-भग० 918 2. अवरुद्ध करना 3. सहारा सहारा देना 6. रुधिर प्रवाह को रोकना 7. कोई भी देना, टेक लगाना 4. थामना, कोली भरना, आलिंगन चीज़ जो रक्तस्रावरोधक हो 8. (मंत्रादि के द्वारा) करना 5. लपेटना, लिफ़ाफ़े में रखना 6. बाधा किसी की शक्ति कुंठित करना-दे० स्तंभ (१०),-नः डालना, रोकना, पकड़ना, प्रतिबद्ध करना, उद्-., कामदेव के पाँच बाणों में से एक / 1. रोकना, रुकावट डालना, पकड़ना 2. सहारा देना, स्तर (वि.) [स्तृ (स्त)+घञ] फैलाने वाला, विस्तार टेक लगाना, थामे रखना, उप-, नि--, रोकना __ करने वाला, ढकने वाला, र: 1. कोई भी विछाई गिरफ्तार करना, पर्यव -, घेरना, पर्यबष्टभ्यतामेत- हुई चीज, रहा, तह, परत 2. शय्या, पलंग। करालायतनम् -मा० 5, वि .., 1. रोकना, | स्तरणम स्तुि (स्तु)+ल्यूट] फैलाने की क्रिया, बिखेरना, 2. जमाना, पौधा लगाना, आश्रित होना-अत्यच्छिते छितराना आदि। मन्त्रिणि पार्थिवे च विष्टभ्य पादावुपतिष्ठते श्रीः | स्तरि (री) मन् (0) [तृ+ इ (ई) मनिच्] शय्या, -मुद्रा० 4 / 13, सम् --, (प्रेर० भी) 1. रोकना, पलंग। प्रतिबद्ध करना, नियंत्रण करना-प्रयत्नसंस्तम्भित- | स्तरी [स्त कर्मणि ई] 1. धुआँ, बाष्प 2. बछिया 3. बांझ विक्रियाणां कथंचिदीशा मनसां बभूवुः कु० 3134 | | गाय / 2. गतिहीन करना, अनम्य करना कु० 3173 / स्तवः [स्तु+अप्] 1. प्रशंसा करना, विख्यात करना, स्तुति 3. हिम्मत बाँधना, साहस करना, प्रसन्न होना, करना 2. प्रशंसा, स्तुति, स्तोत्र / स्वस्थचित करना, सचेत होना-देवि संस्तम्भयात्मा- स्तबक (वि०) (स्त्री०--विका) [स्तु+वन्] प्रशंसक, For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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