________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1127 ) वणित मिश्र जाति की स्त्री) 2. स्वतन्त्र स्त्री जो / 5.18 5. स्वीकार करना, दायित्व लेना कच्चिशिल्पकारिणी के रूप में दूसरे के घर जाकर काम सौम्य व्यवसितमिदं बन्धुकृत्यं त्वया मे मेघ 144 करे 3. द्रौपदी का विशेषण (अज्ञात वास में विराट 6. करना, सम्पन्न करना 7. विश्वास करना, विश्वस्त की पत्नी सुदेष्णा की सेवा करते समय द्रौपदी ने यह होना, प्रतीत होना 8..विचार-विमर्श करना, समय, नाम रख लिया था)। निर्णय करना, आदेश देना -मनु० 7 / 13 / सरिक (वि.) (स्त्री० की) [ सीर-+-ठक ] 1. हल- | सोट (भू० क० कृ०) [ सह+क्त ] सहन किया गया, सम्बन्धी 2. खूडों से युक्त,-क: 1. हल में चलने भुगता गया, बस्ति किया गया, झेला गया-आदि वाला वैल 2. हाली, हलवाहा। सरिभः [ सीरे हले तद्वहन इम इव शूरत्वात, शक० पर०, | सोद (वि०) (स्त्री०-डी) [ सह +तृचु ] 1. सहनषील, सीर+ इ + अण्] 1. भैसा-अवमानित इव कुलीनो बर्दाश्त करने वाला, सहिष्णु 2. शक्तिशाली, समर्ष। दोघं निःश्वसिति सैरिभ:-मृच्छ० 4 2. इन्द्र का 4 2 बन्द का | सोत्क, सोत्कण्ठ (वि.) [सह उत्केन, उत्कण्ठया वा--. स्वग। स०] 1. अत्यन्त उत्सुक, अतीव आतुर, आकुल, यथा सवाल दे० 'शेवाल'। -'सोत्कण्ठमालिंगनम्' 2. खिन्न 3. शोकाकूल, खिद्यमान, संसक (वि०) (स्त्री को) [ सीसक- अण् ] सीसे का -ठम् (अव्य०) 1. अत्यंत उत्सुकता के साथ, बड़ी बना हुआ, सीसा सम्बन्धी / उत्कंठा के साथ, ---प्रोड्डीयेव बलाकया सरमसं सो (दिवा. पर० स्यति, सित, प्रेर० साययति--ते, सोत्कण्ठमालिङ्गितः--मृच्छ० 5 / 23 2. खेदपूर्वक, इच्छा० सिषासति, कर्मवा० सीयते-इकारान्त उका दुःखपूर्वक। रान्त उपसगों के पश्चात् 'सो' के 'स' को मूर्धन्य '' सोत्पास (वि.) [सह उत्प्रासेन-ब०स०] 1, अत्यधिक हो जाता है) 1. वध करना, नष्ट करना 2. समाप्त | 2. अतिशयोक्तिपूर्ण 3. व्यंग्यात्मक, व्यंगपूर्ण,-सः करना, पूरा करना, अन्त तक पहुँचाना, अब-, अद्रहास,-सः,-सम्, व्यंग्यात्मक अतिशयोक्ति, व्यं1. समाप्त करना, पूरा करना---यूपयत्यवसिते क्रिया गोक्ति, व्यंगवाक्य, तु० व्याजस्तुति / विधौ ---रघु० 11137, अवसितमण्डनासि-श० 4 | सोत्सव (वि.) [उत्सवेन सह-ब०स०] उत्सवयुक्त, 2. नष्ट करना 3. जानना, भट्रि० 19029 | उछाहभरा, हर्षपूर्ण / 4. विफल होना, किनारे पर होना (अक०)-शक्ति- | सोत्साह (वि.) [सह उत्साहेन-ब०स०] प्रबल, सक्रिय, मंमावस्यति हीनयुद्धे-कि० 16 / 17, अध्यव, उत्साही, धीर,-हम् (अव्य०) फुर्ती से, उत्साह पूर्वक, 1. संकल्प करना, निर्धारित करना, मन पक्का करना सावधानी से। --कथमिदानी दुर्जनवचनादध्यवसितं देवेन --उत्तर. | सोत्सुक (वि.) 1. खिन्न, झल्लाने वाला, आतुर, शोका१, अभिधातुमध्यवससौ न गिरा--शि० 9 / 76, न्वित 2. उत्कण्ठित, लालायित। 2. प्रयास करना, दायित्व लेना, सम्पन्न करना--मा सोत्सेष (वि.) [सह उत्सेधेन ब०स०] उन्नीत, उन्नत, साहसमध्यवस्यः-दश०, वक्तुं सुकरमध्यवसातुं दुष्क / ऊँचा, उत्तुंग- सोत्सेधः स्कन्धदेश:- मुद्रा० 4 / 7 / रम् वेणी० 3, 'करने की अपेक्षा कहना आसान है' | सोबर (वि०) [समानमुदरं यस्य, समानस्य सः] एकही 3. दबोच लेना 4. सोचना, विचार करना, पर्यव -, पेट से उत्पन्न, सहोदर,... सगा भाई,- रासगी 1. पूरा करना, समाप्त करना 2. निर्धारित करना, बहन / संकल्प करना 3. परिणाम होना, घट जाना, समाप्त | सोवर्यः [सोदर+यत सहोदर भाई, सगा भाई (आलं. से हो जाना-एप एव समुच्चयः सद्योगेऽसद्योगे सदस- भी)-भ्रातुः सोदर्यमात्मानमिन्द्रजिदूधशोभिनः-रषु० द्योगे च पर्यवस्यतीति न पृथक् लक्ष्यते - काव्य०१० 15 / 26, अवज्ञासोदयं दारिद्रपम् - दश। 4. नष्ट होना, खो जाना, क्षीण होना 5. प्रयत्न करना, सोयोग (वि.) [सह उद्योगेन ब०स०] प्रबल उद्योग व्यव-1. ज़ोर लगाना, हाथ-पांव मारना, कोशिश करने वाला, परिश्रमी, सक्रिय, धीर, मेहनती। करना, चेष्टा करना, प्रयत्न करना, आरम्भ करना सोग (वि.) [सह उद्वेगेन-ब०स०] 1. आतुर, आशं--ध्रवं स नीलोत्पलपत्रधारया शमीलतां छत्तमषि- काल 2. शोकान्वित,--गम् (अव्य०) घातुरता के व्यवस्यति-श० 1118 2. चिन्तन करना, कामना साथ, उतावलेपन से, उत्सुकतापूर्वक / करना, चाहना-पातुं न प्रथमं व्यवस्यति जलं युष्मा- सोनहः [सु+विच्+सो, नह+क-नह) लहसुन / स्वपीतेषु या-श० 419 3. लगातार चेष्टा करना, | सोन्माद (वि.) [सह उन्मादेन-ब०स०] पागल, वीवाना, परिश्रमी या उद्योगी होना 4. संकल्प करना, निर्धा- आपे से बाहर, मदविक्षिप्त / रित करना, निश्चित करना, फैसला करना-श० सोपकरण (वि०) [सह उपकरणेन-०स०] सब प्रकार n | A For Private and Personal Use Only