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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करना, आदर करना 2. अनादर करना, अपमान / (इसी प्रकार सूर्याचन्द्रमसौ) (पुं०, द्वि० व०) सूर्य करना, तिरस्कार करना। और चाँद,--जः तनयः, पुत्रः 1. सुग्रीव के विशेषण सूर्फ (W) णम् [ सूर्भ, (य)+ल्युट् ] अनादर, 2. कर्ण के विशेषण 3. शनिग्रह के विशेषण 4. यम के अपमान / विशेषण,--जा, तनया यमुना नदी, -तेजस (नपुं०) सूर्यः [ सूक्ष्य -।-घन | माष, उड़द / सूर्य की चमक या गर्मी, नक्षत्रम् वह नक्षत्रपुंज सूर्प दे० शूर्प / जिसमें सूर्य हो,-पर्वन् (नपुं०) (सूर्य के नई राशि सूमिः,-र्मी (स्त्री०) [ = शूमि, पृषो० शस्य सः, पक्षे में प्रवेश या सूर्यग्रहण आदि का) पुण्यकाल, सूर्यपर्व, ङीष् ] 1. लोहे या अन्य किसी धातु की बनी मूर्ति ----प्रभव (वि.) सूर्य से उत्पन्न-रघु० ११२,-फणि--मनु० 1123 2. घर का स्तंभ 3. आभा, क्रान्ति चक्रम् - सूर्यकालानलचक्रम् , दे० ऊ०, भक्त (वि.) 4. ज्वाला। सूर्य का उपासक, (क्तः) वन्धुकवृक्ष या गुलदुपहरिया सूर्यः [ सरति आकाशे सूर्यः, यद्वा सुवति कर्मणि लोकं या इसका फूल,...-मणिः सूर्यकांतमणि, मण्डलम् सूर्य प्रेरयति---सू-+-क्यप्, नि.] 1. सूरज सूर्ये तपत्या का घेरा, परिवेश, यन्त्रम् 1. (सूर्योपासना में व्यवहत) वरणाय दृष्टे: कल्पेत लोकस्य कथं तमिस्रा- रघु० सूर्य का चित्र या प्रतिमा 2. सूर्य के वैध में काम आने 5 / 13, (पुराणों के अनुसार सूर्य को कश्यप और वाला एक उपकरण,- रश्मिः सूर्य की किरण, सूर्यअदिति का पुत्र माना जाता है.-तु० श०.७; उसका मयख या सविता,-लोकः सूर्य का लोक, - वंशः वर्णन किया जाता है कि वह अपने सात घोड़ों के राजाओं का सूर्यवंश (जो अजोध्या में राज्य करते रथ में बैठ कर घूमता है, अरुण इस रथ का सारथि थे) इक्ष्वाकुवंश,-वर्चस् (बि०) सूर्य के समान तेजोहै। सूर्य भगवान् रथ में बैठा हुआ सब लोकों को, मंडित,-विलोकनम् बच्चे को चार महीने का होने तथा उनके मुभाशुभ कर्मों को देखता है। त्रा पर, बाहर ले जाकर सूर्यदर्शन कराने का संस्कार-तु० (छाया या अश्विनी) उसकी प्रधान पत्नी का नाम उपनिष्क्रमणम्,–सङ्क्रमः, सक्रान्तिः (स्त्री०) सूर्य है, इससे यम और यमुना पैदा हुए दो अश्विनीकुमारों का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश, संज्ञम् केसर, तथा शनि का जन्म भी इसी से हुआ। राजाओं जाफ़रान, सारथिः अषण का विशेषण, स्तुतिः के सूर्यवंश का प्रवर्तक विवस्वान् मन भी सूर्य का ही (स्त्री०)-स्तोत्रम् सूर्य के प्रति की गई स्तुति,-हृवयम् पुत्र था) 2. मदार का पौधा 3, बारह की संख्या सूर्य का एक स्तोत्र / (सर्य के बारह रूपों से व्यत्पन्न)। सम० अपायः | सूर्या सूर्य+टाप्] सूर्य को पत्नी / सूर्य का छिपना मेघ० ८०,---अर्घ्यम सूर्य की सेवा | सूष (भ्वा० पर० सूषति) फल प्रस्तुत करना, उत्पन्न, में उपहार प्रस्तुत करना,-अश्मन (पं०) सूर्यकान्तमणि, | करना, पैदा करना, जन्म देना। अश्वः सूर्य का घोड़ा,-अस्तम् सूर्य का छिपना, | सूषणा [सूष+ युच्+टाप्] माता। ---आतपः सूर्य की गरमी या चमक, धूप,-आलोक: | सूष्यतो (स्त्री०) प्रसवोन्मुखी, आसन्न प्रसवा / धूप, आवर्तः एक प्रकार का सूरजमुखी फूल, हुलहुल, | स (भ्वा० जहो० पर० सरति, सिसति, धावति भी, - आह्व (वि०) सूर्य के नाम पर जिसका नाम है, सूत) 1 जाना हिलना-जुलना, प्रगति करना / मृगाः (ह्वः) मदार का भारी पौधा, आक, (-हम) तांबा, प्रदक्षिणं ससुः--भट्टि० 14 / 14 2. पास जाना, - इन्दुसङ्गमः (सूर्यचन्द्रमा का मिलन) अमावस्या पहुँचना-निष्पाद्य हरयः सेतं प्रतीता: सनरर्णवम -दर्शः सूर्येन्दुसङ्गमः अमर०, उत्थानम्, उदयः -राम० 3. धावा बोलना, चढ़ाई करना / (तं) सूर्य का निकलना, ऊढ: 1. सूर्य, द्वारा लाया गया, ससाराभिमुखः शूरः शार्दूल इव कुञ्जरम् महा० --सायंकाल के समय आने वाला अतिथि-पंच०१, 4. दौड़ना, तेज चलना, खिसक जाना.... सरति सहसा सूर्य छिपने का समय,--कांतः आतशीशीशा, एक बाह्वोर्मध्यं गताप्यबला सती-- मालवि० 4111 स्फटिक मणि-२० 217, क्रान्तिः (स्त्री०) 1. सूर्य 5. (हवा की भांति) तेज़ चलना,-तं चेद्वायौ सरति की दीप्ति 2. एक पुष्प विशेष 3. तिल का फूल, सरलस्कन्धसङ्घट्टजन्मा-मेघ० 53 6. बहना-प्रेर० -- काल: दिन का समय, दिन, अनलचक्रम् ज्योतिष- (सारयति ते) 1. चलना या घूमना 2. विस्तार शास्त्र में शुभाशुभ फल जानने का एक चक्र, ग्रहः करना 3. मलना, (अंगुलियों से) शनैः शनैः छूना 1. सूर्य 2. सूर्यग्रहण 3. राह और केतु का विशेषण --तन्त्रीमार्दा नयनसलिलैः सारयित्वा कथंचित-- मेघ० 4. घड़े का पेंदा, - ग्रहणम सूर्यग्रहण (चन्द्रमा की 86 4. पीछे धकेलना, हटाना सारयन्ती गण्डाभोगा छापा पड़ने से सूर्यबिंब का छिप जाना - पौराणिक कठिनविषमामेकवेणी करेण मेघ० 92, इच्छा० मत से राह या केतु द्वारा सूर्य का ग्रास), चन्द्रौ / (सिसोर्षति) जाने की इच्छा करना, अनु- 1. अनु 141 For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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