SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1063
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सकरण (वि०) [ करुणया सह ब० स०] कोमल, / प्रदीयते / सकृदाह ददानीति त्रीण्येतानि सतां सकृत् दयाल / ___ मनु० 9 / 47 2. एक समय, एक अवसर पर, पहले, सकर्ण (वि.) (स्त्री० र्णा,-९) कर्णेन श्रवणेन एक दफा--सकृत्कृतप्रणयोऽयं जन:--श० 5 3. तुरन्त सह-ब० स०] 1. कान वाला, जिसके कान हों 4. साथ साथ -पुं०, स्त्री० मल, विष्ठा (प्रायः 2. सुनने बाला, श्रोता। 'शकृत्' लिखा जाता है। सम-गर्भा 1. खच्चर सकर्मक (वि०) [ कर्मणा सह कप् ब० स०] 1. कर्मशील 2. एक ही बार गर्भवती होने वाली स्त्री,-प्रजः या कर्मकर्ता 2. (व्या० में) कर्म रखने वाला, (क्रिया) कौवा,---प्रसूता, प्रसूतिका 1. वह स्त्री जिसके केवल कर्म से युक्त। एक ही सन्तान हुई हो 2. वह गाय जो केवल एक ही सकल (वि०) [ कलया कलेन सह वा-ब० स०] बार ब्याई हो,--फला केले का वृक्ष / / 1. भागों सहित 2. सब, समस्त, पूरा, पूर्ण 3. सब सकतव (वि.) [ कैतवेन सह-ब० स० / घोखा देने अंकों से युक्त, पूरा (जैसे कि चाँद) यथा 'सकलेन्दु- | वाला, जालसाज,-व: ठग, धूर्त। मुखी' में 4. मदु या मन्द स्वर वाला। सम० वर्ण सकोप ( वि०) [ कोपेन सह-ब० स०] क्रुद्ध, कुपित, (वि०) (अर्थात् पद या वाक्य) क और ल वर्गों से पम् ( अन्य ) क्रोधपूर्वक, गुस्से से / यक्त अर्थात् झगड़ालू, (अर्थात् / क+ल+ह) | सक्त (भ० क. कृ.) [ संज्क्त ] 1. चिपका हुआ, -नल० 2 / 14 / लगा हुआ, संपृक्त 2. व्यसनग्रस्त, भक्त, अनुरक्त, सकल्प (वि.) [ कल्पेन सह ब० स०] यज्ञ संबन्धी कृत्यों शौक़ीन सक्तासि कि कथय वैरिणि मौर्यपुत्रे-मुद्रा० से युक्त, वेद के कर्मकाण्ड का अनुष्ठाता,--मनु० 2 / 6 3. जमाया हुआ, जड़ा हुआ--रघु० 2 / 28 २११४०,-ल्पः शिव / 4. सम्बन्ध रखने वाला। सम०--वैर ( वि० ) सकाकोलः [काकोलेन सह-ब० स०] इक्कीस नरकों शत्रुता में प्रवृत्त, लगातार विरोध करने वाला--श० में से एक नरक दे० मनु० 4 / 89 / 2 / 14 / सकाम (वि.) कामेन सह-ब० स०] 1. प्रेमपूरित, सक्तिः (स्त्री० ) [ सङ्ग्+क्तिन् ] 1. संपर्क, स्पर्श प्रणयोन्मत्त, प्रिय 2. कामनायुक्त, कामी 3. लब्धकाम, 2. मेल, सनम, -सक्ति जबादपनयत्यनिलो लतातुष्ट, तृप्त,-काम इदानीं सकामो भवत्-श० 4, | नाम् ---कि० 5 / 46 3. अनुराग, आसक्ति, भक्ति --मम् (अव्य०) 1. प्रसन्नतापूर्वक 2. संतोष के ( किसी वस्तु के प्रति ) / साथ 3. विश्वासपूर्वक, निस्सन्देह / / सक्तु (पुं० ब० व.) [स --तुन-किच्च ] सत्तू, जौ सकाल (वि.) [ कालेन सह, ब० स०] ऋतु के अनुकूल, को भून कर फिर पीस कर बनाया हुआ आटा, जो से समयोचित, लम् (अव्य०) कालानुरूप, समय से तैयार किया गया भोजन भिक्षासक्तुभिरेव संप्रति पूर्व, ठीक समय पर, तड़के / वयं वृत्ति समीहामहे-भर्तृ० 3 / 64 / सकाश (वि०) [काशेन सह-ब० स०] दर्शन देने | सक्थि ( नपुं० ) [ सञ्+क्थिन् ] 1. जंघा ( समास में वाला, दृश्य, प्रस्तुत, निकटवर्ती, शः उपस्थिति, उत्तर, पूर्व तथा मृग शब्द के पश्चात् या जब समास पड़ौस; सामीप्य, (सकाशम्, सकाशात्--क्रि० वि० में तुलना अभिप्रेत हो तो 'सक्थि' को बदल कर की भांति प्रयुक्त, 1. निकट 2. निकट से, पास से) 'सक्थ' हो जाता है, दे० पा० 5 / 4 / 98) 2. हड्डी सकुक्षि (वि.) [सह समानः कुक्षिः यस्य-ब० स०] 3. गाड़ी का लट्ठा / एक ही कोख से उत्पन्न, एक ही माता से जन्म लेने सक्रिय (वि.) [क्रियया सह-ब० स०] फुर्तीला, गतिशील / वाला, सहोदर, (भाई आदि)। सक्षण (बि०) [क्षणेन सह-ब० स० ] जिसके पास सकुल (वि.) [कुलेन सह.ब. स.11. उच्चवंश से अवकाश हो। सम्बन्ध रखने वाला 2. एक ही कुल में उत्पन्न | | सखि (पुं०) [ सह समानं ख्यायते ख्या-डिन् नि०] 3. एक ही परिवार का 4. सपरिबार, ल: 1. रिश्ते- .. (कर्तृ० सखा, सखायो सखायः, कर्म० सखायं, सखायौ, दार 2. एक प्रकार की मछली सकुली। संबं०, ए० व० सख्य : अधि० ए० व० सख्यौ) मित्र, सकुल्यः [ समाने कुले भवः-सकूल+यत् ] 1. एक ही साथी, सहचर, - तस्मात्सखा त्वमसि यन्मम तत्तव परिवार का 2. एक ही गोत्र का परन्तु दूर का -उत्तर० 5 / 10, सखीनिव प्रीतियजोऽनजीविनः रिश्तेदार, जैसे कि चौथी, पांचवीं, छठी या सातवीं, -कि० 110, (समास के अन्त में 'सखि' शब्द आठवीं अथवा नवीं पीढ़ी का 3. दूरवर्ती रिश्तेदार / बदल कर 'सख' हो जाता है वनितासखानाम्-कु० सकृत् ( अव्य०) [ एक--सुच, सकृत् आदेश, सुचो / 1 / 10, सचिवसख:- रघु० 4187, 1148, 12 / 9, लोपः ] 1. एक बार सकृदंशो निपतति सकृत्कन्या भट्टि० 111) / For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy