________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -1 / चिा ( 1046 ) 4 / 26, 27 2. मन की एकाग्रता, योग की अंतिम दो तारिकाओं का मिलन 8. शिव का विशेषण / तीन अवस्थाओं को प्रकट करने वाला शब्द-धारणा- __ सम०-पृथक्त्वम् अनित्य संबंधों का पार्थक्य,-विरुवम् ध्यानसमाधित्रयमन्तरङ्ग संयमपदवाच्यम् - सर्व०, कु० साथ-साथ मिलाकर खाने से रोग उत्पन्न करने वाला 2159 3. धार्मिक व्रत 4. धार्मिक भक्ति, तपस्साधना, खाद्यपदार्थ। - श० 4 / 19 5. दयाभाव, करुणा की भावना। संयोगिन् (वि.) [संयोग+ इनि] 1. मिलाया हुआ, संयमनम् [सम्+यम् + ल्युट ] 1. प्रतिबन्ध, रोकथाम सम्मिलित 2. मिलने वाला। 2. अंतःकर्षण * श० 1 3. बांधना--उत्तर० 1, | संयोजनम् [सम्--युज् + ल्युट्] 1. मिलाप, एक साथ ... विक्रम० 3 / 6 4. कैद 5. आत्मोत्सर्ग, नियन्त्रण जोड़ना 2. मैथुन, संभोग / 6. धार्मिक व्रत या आभार 7. चार घरों का वर्ग, | संरक्त (भू० क० कृ०) [सम्+र+क्त] 1. रंगीन, -मः नियामक, शासक, नी यम की नगरी का नाम / लाल 2. आवेशपूर्ण, प्रणयाग्नि में दग्ध 3. क्रुद्ध, संयमित (भू० क. कृ.) [संयम+णिच्+क्त ] चिड़चिड़ा, क्रोधाग्नि से जलता हआ 4. मोहित, 1. नियंत्रित 2. बद्ध, बेडी से जकड़ा हआ 3. निरुद्ध, मुग्ध 5. लावण्यमय, सुन्दर / रोका हुआ / संरक्षः[सम् + रक्षघा ] प्ररक्षण, देख-भाल, संधारण / संयमिन् (वि.) [सम् +यम् +णिनि ] दमन करने संरक्षणम् [सम्+र+ल्युट्] 1. प्ररक्षण, संधारण वाला, रोकने वाला, नियंत्रित करने वाला-(पुं०)। 2. उत्तरदायित्व, निगरानी। जिसने अपने आवेगों को रोक लिया या नियंत्रण में संरब्य (भ० क. कृ०) [सम्+रम्भ+क्त] 1. उत्तेजित कर लिया, ऋषि, संन्यासी रघु० 8.11, भग० विक्षुब्ध 2. प्रज्वलित, संक्षुब्ध, क्रुद्ध, भीषण 3. वधित 2069 / 4. सूजा हुआ 5. अभिभूत। संयानः [सम्+या+ल्यूट ] साँचा,--नम् 1. साथ-साथ | संरंभः [सम्+र+घञ, मुम्] 1. आरंभ 2. हुल्लड़, जाना, मिलकर चलना 2. यात्रा करना, प्रगति करना खलबली, उग्रता, प्रचण्डता.. श० 7 3. विक्षोभ, 3. शव को उठा कर ले जाना। उत्तेजना, हड़बड़ी-कु. 348 4. ऊर्जा, उत्साह, संयामः [सम् +-यम्+घा / दे० 'संयम' / उत्कण्ठा-रघु०१२।९६ 5. क्रोध, रोष, कोप-प्रणिसंयावः [सम्--यु- घ ] गेहें के आटे का मिष्टान्न, पातप्रतीकारः संरंभो हि महात्मनाम् - रघु०४।६४, हलवा-मनु० 5/7 / 12 // 36, विक्रम रा२१, 4128 6. घमंड, अहंकार संयुक्त (भू० क० कृ.) [सम् + युज+क्त ] 1. मिला 7. शोथ और जलन (फोड़े फूसी की)। सम०-परुष हुआ, जुड़ा हुआ, सम्मिलित 2. सम्मिश्रित, मिला (वि०) जो गुस्से के कारण कठोर हो गया हो, हुआ, संपृक्त 3. सहित 4. संपन्न, से युक्त 5. अन्वित, --- रस (वि०) अत्यंत क्रुद्ध, वेगः क्रोध की उग्रता। बना हुआ। संरम्भिन (वि०) (स्त्री० ---णो) [संरम्भ+इनि] 1. उत्तेसंयुगः [सम्+युज---क, जस्य गः ] 1. संयोजन, मिलाप, जित, विक्षुब्ध, हड़बड़ी से युक्त शि० 2067 मिश्रण 2. लड़ाई, संग्राम, युद्ध, संघर्ष-संयगे सांय- 2. क्रुद्ध, प्रकुपित, रोषाविष्ट 3. घमंडी, अहंकारी। गीनं तमुद्यतं प्रसहेत कः - कु० 2 / 57, रघु० 9 / 19 / / संरागः [सम्+र +घञ्] 1. रंगत 2. प्रणयोन्माद, सम० गोष्पदम् भिड़न्त, नगण्य या तुच्छ झगड़ा, अनुरक्ति 3. रोष, क्रोध। मामूली बात पर कलह / संराधनम् सिम+राध-+ ल्यट] 1. प्रसन्न करना, मेलसंयुज् (वि०) [सम् +-युज्+ क्विन्] संबद्ध, संबंध रखने करना, पूजा आदि के द्वारा तुष्ट करना 2. सम्पन्न वाला शि०१४।५५ / करना 3. प्रकृष्ट या गहन मनन / संयुत (भू०० कृ०) [सम्+यक्त] 1. मिला हुआ, संरावः [सम्-रु+घञ] 1. गुलगपाड़ा, हल्लागुल्ला, एकत्र जोड़ा हुआ, संबद्ध 2. संपन्न, सहित, दे० सम् | / शोरगुल 2, कोलाहल / / पूर्वक 'यु। संरुग्ण (भू० क. कृ.) [सम्+रुज्+क्त जो टुकड़े संयोगः सम् + युज+घञ] 1. संयोजन, मिलाप, मिश्रण, टुकड़े हो गया हो, चूर-चूर, छिन्नभिन्न / संगम, मिलना-जुलना, घनिष्ठता संयोगो हि वियो- | संरुद्ध (भू० क० कृ०) [सम् +रुध् + क्त) 1. रोका गया, गस्य संसूचयति संभवम् - सुभा० 2. जोड़ना, बाधित, अवरुद्ध 2. रुका हुआ, भरा हुआ 3. घेरा (वैशेषिकों के चौबीस गणों में से एक) 3. जोड़, डाला हुआ, वेष्टित, उपरुद्ध 4. ढका हुआ, छिपाया मिलाना 4. संचय आभरणसंयोगा:--मा० 6 हुआ 5. अस्वीकृत, अटकाया हुआ, दे० सम् पूर्वक 5. दो राजाओं में किसी एक से समान उद्देश्य के लिए | रुध् / मित्रता 6. (व्या० में) संयुक्त व्यंजन 7. (ज्यो० में) | संरूढ (भू० क० कृ०) [सम् ---रुह -+ क्त] 1. साथ-साथ For Private and Personal Use Only