________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1042 ) ब. स, श्वन्+आप+अच, ] वर्बर, हिस्र, -वः १।१४,--त: 1. सफ़ेद रङ्ग 2. शङ्ख 3. कौड़ी 4. रति 1. शिकारी जानवर, जंगली जानवर 2. बाध / कूट पौधा 5. शुक्र ग्रह, शुक्र ग्रह को अधिष्ठात्री देवता श्वापुच्छ: ---च्छम् [शुनः पुच्छम् -10 त०, नि० दीर्घ ] 6. सफ़ेद बादल 7. जीरा 8. पर्वतश्रेणी दे० कुलाचले कुत्ते की पूंछ, दुम। या कुलपर्वत 9. ब्रह्माण्ड का एक प्रभाग, तम् दी। श्वाविष् (पुं०) [शुना आविध्यते-श्वन्+आ+व्यध् सम० - अम्बरः,-वासस् (पुं०) जैन सन्यासियों का +क्विप् ] साही, शल्यक। एक सम्प्रदाय, इक्षुः एक प्रकार का ईख, गन्ना,-उदरः श्वासः [ श्वस्-+घञ ] सांस लेना, साँस, श्वासप्रश्वास कुबेर का विशेषण, --- कमलम्, पम् सफ़ेद कमल क्रिया, ऊँचा साँस - अद्यापि स्तनवेपथु जनयति श्वासः -- कुञ्जरः इन्द्र के हाथी ऐरावत का विशेषण, कुष्ठम् प्रमाणाधिक: -श० 129, कु० 2 / 42 2. आह्, सफ़ेद कोढ़,-केतुः बौद्ध श्रमण या जैनसाधु, - कोल: हाँपना 3. हवा, वायु 4. दमा। सम० - कासः दमा, एक प्रकार की मछली, शफर, गजः द्विपः 1. सफ़ेद -रोधः साँस का रोकना, हिक्का एक प्रकार की हाथी 2. इन्द्र का हाथी, गरुत् (पुं०) गरुतः हंस, हिचकी,--हेतिः (स्त्री०) नींद। ... छवः 1. हंस 2. एक प्रकार की तुलसी, सफ़ेद श्वासिन् (वि.) [श्वास+इनि] साँस लेने वाला-(पुं०) तुलसी, द्वीपः इस महाद्वीप के अठारह लघु प्रभागों 1. हवा, वाय 2. श्वास लेने वाला जानवर, जीवित में से एक,-धातुः 1. सफ़ेद खनिज पदार्थ 2. खड़िया प्राणी 3. जो फुत्कार की ध्वनि के साथ (वर्ण) मिट्टी, 3. दूधिया पत्थर, धामन् (पुं०) 1, चाँद उच्चारण करता है। 2. कपूर 3. समुद्रफेन, --नीलः बादल,-पत्रः हंस, रथः शिव (भ्वा० पर० श्वयति, शून) 1. विकसित होना, ब्रह्मा का विशेषण, पाटला शृङ्गवल्ली का फूल बढ़ना (आलं० से भी) सूजना (जैसे आँख का) -पिङ्गः सिंह,-पिङ्गाल: 1. सिंह 2. शिव का विशेषण, -रुदतोऽशिश्वियच्चक्षुरास्यं हेतोस्तवाश्वयीत् --भट्टि -... मरिचम सफ़ेद मिर्च,—माल: 1. बादल 2. धूआँ, 6 / 19, 31, 14179, 15 / 30 2. फलना-फूलना, - रक्तः गुलाबी रङ्ग, रञ्जनम् सीसा, रथः शुक्रसमृद्ध होना 3. जाना, पहुँचना, अभिमुख चलना, ग्रह, रोचिस् (पुं०) चन्द्रमा,रोहितः गरुड़ का उद्-, सूजना, बढ़ना, विकसित होना..-प्रबलरुदितो विशेषण,--बल्कल: गूलर का पेड़, - वाजिन् (पुं०) च्छननेत्रं (मुखम् )-मेघ० 84 2. घमण्डी होना, 1. चन्द्रमा 2. अर्जुन का विशेषण,--वाह (पुं०) इन्द्र घमण्ड से फूल जाना। का विशेषण, वाहः 1. अर्जुन का विशेषण 2. इन्द्र का शिवत (भ्वा० आ० श्वेतते) श्वेत होना, सफ़ेद होना विशेषण, वाहनः 1. अर्जुन का विशेषण 2. चन्द्रमा -व्यतिकरितदिगन्ताः श्वेतमानैर्यशोभिः- मा० 2 / 9 / / 3. समुद्री दानव, मगरमच्छ, घड़ियाल, वाहिन (0) शिवत (वि.) [श्वित्+क] सफ़ेद। अर्जुन का विशेषण,-शुङ्गः,-शृङ्गः जौ, -हयः 1. इन्द्र शिवतिः (स्त्री०) [श्वित्+इन्] सफ़ेदी। का घोड़ा 2. अर्जुन का विशेषण, हस्तिन् (पुं०) इन्द्र शिवस्य (वि०) श्वित् +यत्] सफेद / का हाथी ऐरावत / वित्रम् [श्वित्+रक्] 1. सफ़ेद कोढ़ 2. फुलबहरी, कोढ, श्वेतकः / श्वेत-+कन्] कौड़ी, कम् चाँदी। का दाग (त्वचा पर)-तदल्पमपि नोपेक्ष्यं काव्ये दुष्टं | श्वेता शिवत+अच+-टाप] 1. कौड़ी 2. पूनर्नवा 3. सफ़ेद कथंचन / स्याद्वपुः सुन्दरमपि श्वित्रेणकेन दुर्भगम् दूब 4. स्फटिक 5. रवेदार चीनी 6. बंसलोचन ..काव्या० 17 / 7. अनेक पौधों के नाम (श्वेत कण्टकारी, श्वेत बृहती शिवत्रिन (वि०) (स्त्री०-णी) [श्वित्र--इनि ] कोढ़ के __ आदि)। रोग से ग्रस्त (पुं०) कोढ़ी।। श्वेतौही (स्त्री०) श्वेतवाह+डोष] इन्द्र की पत्नी, शची। शिवन्द (भ्वा० आश्विन्दते) सफ़ेद होना। श्वेत्रम् (नपुं०) सफ़ेद कोढ़ / श्वेत (वि०) (स्त्री०-ता,-ती) [श्वित्+घञ, अच् वा] श्वत्यम् [श्वेत-व्या] 1. सफ़ेदी 2. सफ़ेद कोढ़। सफ़ेद, ततः श्वेतैर्हयर्यक्ते महति स्यन्दने स्थितौ-भग० | श्वैत्रम, श्वंत्र्यम् श्वित्र+अण, व्या वा] सफ़ेद कोढ़ / वि०-बहुत सी धातुएँ जो स' से आरंभ होती हैं, धातु | कर 'ष' हो जाता है। इस प्रकार की धातुएँ 'स' के पाठ में '' पूर्वक लिखी जाती है जिससे कि यह अन्तर्गत ही अपने उचित स्थान पर मिलेंगी। प्रकट हो सके कि कुछ उपसर्गों के पश्चात् 'स्' बदल | ष (वि.) [सो+क, पृषो० षत्वम् ] सर्वोत्तम, सर्वो For Private and Personal Use Only