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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सम० आहका विशेषण र 1, 416. श० 3314, शि० 111 7. गुण, श्रेष्ठता / अङ्कः धारिन्, भृत्, लक्ष्मन्, लाञ्छन, (पुं०) 8. सजावट 9. बुद्धि, समझ 10. अतिमानव शक्ति विष्णु के विशेषण- कु. 743,- वत्सकिन् (पुं०) 11. मानवजीवन के तीन उद्देश्यों की समष्टि (धर्म, एक घोड़ा जिसकी छाती पर बालों का धूंधर होता अर्थ, और काम) 12. सरल वृक्ष 13. बेल का पेड़ है,- वरः, वल्लभः विष्णु के विशेषण,-बल्लभः 14. हींग 15. कमल ('श्री' शब्द सम्मान सूचक लक्ष्मी का प्रिय, सौभाग्यशाली या सुखी व्यक्ति, पद है जो पूज्य व्यक्तियों तथा देवों के नामों ... बासः 1. विष्णु का विशेषण 2. शिव का विशेषण के पूर्व लगाया जाता है- श्रीकृष्णः श्रीरामः, श्री 3. कमल 4. तारपीन,-वासस् (पुं० ) तारपीन, वाल्मीकिः, श्रीजयदेवः, कुछ प्रसिद्ध ग्रन्थों के पूर्व भी -- . वृक्षः 1. बेल का पेड़ 2. अश्वत्थवृक्ष 3. घोड़े के जिनका विषय धार्मिक है-श्रीभागवत, श्रीरामायण मस्तक और छाती पर बालों का घंधर,-बेष्टः आदि, किसी पाण्डुलिपि या पत्रादिक के आरम्भ में 1. तारपीन 2. राल, संशम् लौंग, सहोदरः चन्द्रमा, भी मंगलाचरण के रूप में प्रयुक्त होता है; माघ ने -सूक्तम् एक वैदिक सूक्त का नाम, - हरिः विष्णु अपने शिशुपालवध' काव्य के प्रत्येक सर्ग के अन्तिम का विशेषण, हस्तिनी सूर्यमुखी फूल का पौधा / श्लोक में इस शब्द का प्रयोग किया है, जिस प्रकार | श्रीमत (वि.) [श्री+मतुप] 1. दौलतमन्द, धनवान् भारवि ने 'लक्ष्मी' शब्द का प्रयोग किया है)। 2. सुखी, सौभाग्यशाली, समृद्धिशाली, फलता-फूलता सम० आहम् कमल,-ईशः विष्णु का विशेषण 3. सुन्दर, सुहावना, सुखद-कि० 118. विख्यात, -कण्ठः 1. शिव का विशेषण 2. भवभूति कवि का प्रसिद्ध, कीर्तिशाली, प्रतिष्ठित (प्रसिद्ध और सम्माविशेषण-.-श्रीकण्ठपदलाञ्छन:--उत्तर० 1, सखः नित पुरुष या वस्तुओं के नामों के पूर्व आदरसूचक कुबेर का विशेषण,-करः विष्णु का विशेषण (-रम) शब्द (पुं०) विष्णु का विशेषण 2. कुबेर का विशेलाल कमल, करणम् लेखनी,-कान्तः विष्णु का | षण 3. शिव का विशेषण. तिलक वृक्ष 5. अश्वत्थविशेषण,-कारिन (पुं०) एक प्रकार का बारहसिंगा, वृक्ष। - सपा-उम् चन्दन की लकड़ी - श्रीखण्डविलेपनं | श्रील (वि.) [श्रीः अस्ति अस्य लच्] 1. धनवान्, सुखयति-हि. 197, -गवितम् एक प्रकार का दौलतमन्द 2. सौभाग्यशाली, समृद्धिशाली 3. सुन्दर छोटा नाटक, -- गर्भः 1. विष्णु का विशेषण 2. तलवार, 4.विख्यात, प्रसिद्ध। --- प्रहः पक्षियों को पानी पिलाने की कुण्डी, धनम् | शुi (म्वा० पर० श्रवति) जाना, हिलना, जुलना-तु० 'सु'। खट्टी दही, (मः) बौद्ध महात्मा,-चक्रम् 1. भूवत्त, i (स्वा० पर० शृणोति, श्रुत) 1. सुनना, (ध्यानपूर्वक) भूमण्डल 2. इन्द्र के रथ का पहिया, जः काम का श्रवण करना, कान देना-शृण मे सांवशेषं वचः विशेषण,-दः कुबेर का विशेषण, दयितः,-धरः .... विक्रम० 2, रुतानि चाश्रोषत षट्पदानाम्-भट्टि० विष्णु के विशेषण, - नगरम् एक नगर का नाम 2 / 10, संदेशं मे तदनु जलद श्रोष्यसि, श्रोत्रपेयम्-मेघ. -सम्बनः राम का विशेषण,-निकेतनः,--निवासः 13 2. अधिगम करना, अध्ययन करना-द्वादशवर्षभिविष्णु के विशेषण,-पतिः 1. विष्णु का विशेषण याकरणं श्रयते-पंच० 1 3. सावधान होना, आज्ञाशि० 13369 2. राजा, प्रभु,-पथः मुख्य सड़क, मानना (इतिश्रूयते-(ऐसा सुना जाता है अर्थात् वेदों राजमार्ग, - पर्णम् कमल,---पर्वतः एक पहाड़ का नाम में इसका विधान है, ऐसा धर्मविधि), प्रेर० (श्राव---मा० १,--पिष्टः तारपीन, - पुष्पम् लौंग,... फल: यति-ते) सुनवाना, समाचार देना, कहना बयान करना बेल का पेड़ (लम्) बेल का फल,-फला,-फली -इच्छा० (शुश्रूषते) 1. सुनने की इच्छा करना 1. नील का पौधा 2. आमलकी, आंवला,-भ्रातृ 2. सावधान होना, आज्ञाकारी होना, हुक्म मानना. (पं०) 1. चांद 2. घोड़ा, मस्तकः लहसुन, मुद्रा -पंच. 478 3. सेवा करना, सेवा में उपस्थित वैष्णवों का विशेष तिलक जो मस्तक पर लगाया रहना--शुश्रूषस्व गुरुन्-श० 4 / 17, कु० 1159, जाता है, मुतिः (स्त्री०) 1. विष्णु या लक्ष्मी की मनु० 2144, अनु-, 1. सुनना --मनु० 9 / 100, प्रतिमा 2. कोई भी प्रतिमा, युक्त,यत,-, 1. सौभा- तद्यथानुश्रयते-पंच०१ 2. गुरुपरम्परा से प्राप्त, ग्यशाली, प्रसन्न 2. धनवान, समृद्धिशाली (प्रायः अभि- 1. सुनना 2. ध्यान देकर सुनना, आ-, 1. सुनना पुरुषों के नामों के पूर्व लगाया जाने वाला सम्मान 2. प्रतिज्ञा करना (व्यक्ति में संप्र.)-याज्ञ०२।१९६, सूचक पद,-रग विष्णु का विशेषण,-रस: 1. तार- तु. पा० 124140, उप-, 1. सुनना 2. जाना, पीन 2. राल, वत्सः 1. विष्णु का विशेषण, विष्णु निश्चय करना-केशिना हृतामुवंशी नारदादुपश्रुत्य की छाती पर बालों का धुंधर या चिह्नविशेष-प्रभा- गन्धर्वसेना समादिष्टा विक्रम०१, परि-, सुनना, नुलिप्तश्रीवत्सं लक्ष्मीविभ्रमदर्पणम् - रघु० 10 / 10, ' प्रति-, प्रतिज्ञा करना (उस व्यक्ति में संप्र. जिसके For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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