________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (( 1019 ) कला, (इस प्रकार की कलाएँ चौंसठ गिनाई गई हैं) विष्णु का चक्र,- दार (नपुं०) देवदारु का पेड़ 2. (किसी भी कला में) कुशलबा, कारीगरी / -- द्रुमः बल का पेड़,-द्विष्टा केतकी का पेड़,---धातुः --मालवि० 116, मृच्छ० 3.15 3. विदग्धता, पारा,-पुरम्,-पुरी बनारस, वाराणसी,--पुराणम पटुता 4. कार्य, शारीरिक श्रम या कार्य 5. कृत्य, अठारह पुराणों में से एक,--प्रियः 1: स्फटिक 2. बक अनुष्ठान 6. यज्ञीय चमचा, सवा। सम० -- कर्मन नाम का पेड़ 3. धतूरा,- मल्लक: अर्जुनवृक्ष,-राज(नपुं०)-क्रिया कोई भी शारीरिक श्रम, दस्तकारी, धानी वाराणसी,-रात्रिः (स्त्री०) फाल्गुनकृष्ण -कारः,-कारकः,-कारिन् दस्तकार, कारीगर, चतुर्दशी जब शिव के सम्मान में कठोरव्रत का पालन -शालम्,-शाला कारखाना, निर्माणी, शिल्पविद्यालय, किया जाता है,-लिङ्गम् शिव जिसकी पिंडी या लिंग शिल्पगृह, -शास्त्रम् 1. कला विषय पर (चाहे ललित के रूप में पूजा होती है,-लोकः शिव का संसार हो या यान्त्रिक) लिखा गया ग्रंथ 2. शिल्पविज्ञान / -बल्लभः आम का वृक्ष,(-भा) पार्वती,- बाहनः शिल्पिन (वि.)[ शिल्प-+इनि ] 1. ललित या यांत्रिक- सौड़,-वीजम् पारा,-शेखरः 1. चाँद 2. धतूरा, कला संबंधी 2. यांत्रिक, यंत्रवत् (पुं०) 1. दस्तकार, - सुन्दरी दुर्गा का विशेषण / कलाकार, कारीगर 2. जो किसी भी कला में शिवकः [शिव+कन] 1. वह खंटा जिसके साथ प्रायः गौ प्रवीण हो। आदि पशु बाधे जाते हैं 2. वह खंबा जिससे पशु शिव (वि.) [ श्यति पापम्-शो+वन, पृषो०] 1. शुभ, / अपना शरीर रगड़ता है, पशुओं के शरीर को खुज मांगलिक, सौभाग्यशाली-इयं शिवाया नियतेरिवायतिः लाने के लिए खूटा। -कि० 4 / 21, 1138, रघु० -11 / 33 2. स्वस्थ, | शिवा [शिव+टाप्] 1. पार्वती 2. गीदड़ी-जहासि निद्राप्रसन्न, समृद्ध, सौभाग्यशाली शिवानि वस्तीर्थजलानि मशिवः शिवारुतैः-- कि० 138, हरेरद्य द्वारे शिवकच्चित् - रघु० 5 / 8, (=अनुपप्लवानि 'शान्त') शिव शिवानां कलकल:--भामि०२३२, रघु०७१५०, शिवास्ते सन्तु पन्थान: 'भगवान् आपकी यात्रा सफल 161, 12,39 3. मोक्ष 4. शमी (जैडी) का वृक्ष करे',-वः हिन्दुओं के तीन प्रधान देवताओं (त्रिमूर्ति) 5. आंवला 6. दूर्वाघास, दूब 7. पीला रंग 8. हल्दी, में से तीसरा देव जिसका कार्य सृष्टि का संहार करना सम..- अरातिः कुत्ता,-प्रियः बकरा,--फला शमी है, जिस प्रकार ब्रह्मा का कार्य उत्पादन तथा विष्णु का (जैडी) का वृक्ष,-रुतम् गीदड़ का रोना--कि. सृष्टि-पालन है--एको देवः केशवो वा शिवो वा 1138 / -भर्तृ० 2 / 115 2. पुरुष की जननेन्द्रिय, शिश्न , शिवानी [शिव+जीप, आनुक] शिव की पत्नी पार्वती / 3. शुभ ग्रहों का योग 4. वेद 5. मोक्ष 6. पशुओं का शिवालुः [शिव+आलुच्] गीदड़। बाँधने का खूटा 7. सुर, देवता 8. पारा 9. गुग्गुल | शिशिर (वि०) [शश्+किरच्-नि] ठंडा, शीतल, सर्द 10. काला धतूरा, वो (पुं०, द्वि व०) शिव और जमा हुआ---कुरु यदुनन्दनचन्दनशिशिरतरेण करेण पार्वती ---कि० ५।४०,-वम् 1. समृद्धि, कल्याण, पयोधरे—गीत० 12, रघु 9 / 59, 14 // 3, 16:49, मंगल, आनन्द-तव वर्मनि वर्तता शिवम - नै० -रः, रम् 1. ओस, तुषार या पाला-पद्यानां शिशिरा२१६२, रत्न० 1 / 2, रघु० 1160 2. परमानन्द, द्वयम्, जातां मन्ये शिशिरमथितां पपिनी वान्यरूपाम् मांगलिकता 3. मोक्ष 4. जल 5. समुद्री नमक 6. सेंधा ---मेघ 83 2. जाड़े का मौसम, (माघ और फाल्गुन नमक 7. शुद्ध सोहागा। सम०-अक्षम् =रुद्राक्ष, की) सर्दी-कण्ठेषु स्खलितं गतेऽपि शिशिर पुस्कोकिदे०,-आत्मकम् सेंधा नमक,-आदेशक: 1.शुभ समाचार लानां रुतम् -- श०६।३ 3. ठंडक, शीतलता। सम० लाने वाला 2. भविष्यववता, --- आलयः 1. शिव का - अंशुः, करः,--किरणः,-दीधितिः,-रश्मिः चन्द्रमा आवास 2. लाल तुलसी (यम्) 1. शिव मन्दिर -बुध इव शिशिरांशो:-विक्रम० 5 / 21, शिशिकिरण2. श्मशान, इतर (वि.) अशुभ, दुर्भाग्यपूर्ण-शिवेतर- कान्तं वासरान्तेऽभिसार्य-शि०११।२१, शिशिरदीधिक्षतये-काव्य०१, --कर ('शिवकर' भी) (वि.) तिना रजन्यः - ऋतु० 3 / 2, अत्ययः, -- अपगमः, आनन्दप्रदायक, मंगलप्रद,-कीर्तनः भंगी का नाम, जाड़े का अन्त, वसन्त ऋतु - स्वहस्तलूनः शिशिरात्य-.--गति (वि०) समृद्ध, आनन्दित,-धर्मजः मंगलग्रह, यस्य (पुष्पोच्चयः)-कुः 3 / 61, उपहितं शिशिराप---- ताति (वि) जिसका अन्त कल्याणकारी हो, गमश्रिया-रघु० ९।३१,-कालः, -- समयः जाड़े की आनन्ददायक, मंगलप्रद --प्रयत्नः कृत्स्नोऽयं, फलत ऋतु,-घ्नः अग्नि का विशेषण / शिवतातिश्च भवतु मा० 67 2. मदु, जो शिशुः [शो+कु, सन्वद्भावः, द्वित्वम] 1. बालक, बच्चा, राक्षसी न हो--मा पूतनात्वमपगा: शिवतातिरेधि शिशु शिष्या वा-उत्तर० 4 / 11 2. किसी भी ---9 / 49, (तिः) मांगलिकता, . आनन्द, -- दत्तम् / जानवर का बच्चा (बछड़ा, पिल्ला, छोना आदि) For Private and Personal Use Only