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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir के साशाशासक शास् / 217 2. राज्य करना, शासन करना,-अनन्यशासना- सम-पत्रम् 1. वह ताम्रपत्र जिस पर भूदान की मुर्वी शशासैकपुरीमिव-रघु० 1130, 10 / 1, 14 / 85, राजाज्ञा खोदी गई हो 2. वह कागज जिस पर कोई 19457, श०१।१४, भट्रि० 3153 3. आज्ञा देना, राजाज्ञा अंकित हो, - हारिन् (पुं०) राजदूत, संदेशसमादिष्ट करना, निदेश देना, हुक्म देना - रघु० वाहक - रघु० 3 / 68 / 12 // 34, कु. 624, भट्टि० 9 / 68 4. कहना, | शासित (भू० क० कृ०) [ शास्+क्त ] 1. राज्य किया सम्वाद देना, सूचित करना, (संप्र० के साथ) गया, शासन किया गया 2. दण्डित।। ---तस्मिन्नायोधनं वृत्तं लक्ष्मणायाशिषन्महत्--भट्टि शासित (पुं०) [ शास्+तृच ] 1. राज्य करने वाला, 6 / 27, मनु० 1982 5. उपदेश देना–स किसखा शासक 2. दण्ड देने वाला--श० श२५ / साधु न शास्ति योऽधिपम् -कि० 115 6. आदेश | शास्तु (पुं०) [ शास्+तृच, इडभावः ] 1. अध्यापक, देना, राजाज्ञा लागू करना 7. दण्ड देना, सज़ा देना, शिक्षक 2. शासक, राजा, प्रभु 3. पिता 4. बुद्ध या निर्दोष बनाना, मनु० 4 / 175, 8129 8. सधाना, जैन धर्म का गुरु, आचार्य / / वशीभूत करना, महावी०६।२०, अनु , 1. (क) शास्त्रम् [ शिष्यतेऽनेन-शास्+ष्ट्रन् ] 1. आज्ञा, समादेश, उपदेश देना, प्रेरित करना-कु० 5 / 5, (ख) अध्यापन नियम, विधि 2. वेदविधि, धर्मशास्त्र की आशा करना, शिक्षण प्रदान करना, आज्ञा देना, आदेश 3. धार्मिक ग्रन्थ, वेद, धर्मशास्त्र, दे० नी. समस्तपद करना-रघु० 6 / 59, 13 / 75, भट्टि० 2017 4. विद्याविभाग, विज्ञान - इति गृह्यतमं शास्त्रम् 2. राज्य करना, शासन करना 3. सजा देना, दण्ड --- भग० 15 / 20, शास्त्रेष्वकुण्ठिता बुद्धि:--रघु० देना-वेणी०२ 4. प्रशंसा करना, स्तुति करना, 1 / 19; प्रायः समास के अन्त में विषयद्योतक शब्द आ-, (बहुधा आ०) 1. आशीर्वाद देना, आशीर्वाद के पश्चात्, या उस विषय पर समष्टि-अध्ययन का उच्चारण करना, –ऋक्छन्दसा आशास्ते--श० 4, संचित भण्डार वेदान्त शास्त्र, न्यायशास्त्र, तर्कशास्त्र, उत्तर०१ 2. आज्ञा देना, आदेश देना, निदेश देना अलंकार शास्त्र आदि 5. पुस्तक, ग्रन्थ -तन्त्रः पंच(इस अर्थ में पर०) भट्रि० 6 / 4 3. इच्छा करना, भिरेतच्चकार सुमनोहरं शास्त्रम्--पंच०१6. सिद्धान्त खोजना, आशा करना, प्रत्याशा करना-सर्वमस्मि- (विप० प्रयोग या अभ्यास)-मालवि०१। सम० न्वयमाशास्महे -- श० 7, आशासतं ततः शान्तिमस्तु- --अतिक्रमः, अननुष्ठानम वैदिक विधियों का रग्नीनहावयत्-भट्टि० 1711, 5 / 16, मनु० 3.80 उल्लंघन, धार्मिक प्रामाणिकता की अवहेलना,-अनु4. प्रशंसा करना, प्र, 1. अध्यापन करना, शिक्षण ष्ठानम् वेदविधि का पालन या तदनुरूपता, - अभिन देना, उपदेश करना,-भट्रि० 19 / 19 2. आदेश (वि०) शास्त्रों में निष्णात, अर्थः 1. वेदविधि का देना, समादिष्ट करना-प्रशाधि यन्मया कार्यम् अर्थ 2. वैदिक विधि या शास्त्रीय वक्तव्य, आचरणम् ----मार्कण्डेय० 3. राज्य करना, शासन करना, प्रभु वेदविधि का पालन,-उक्त (वि०) शास्त्रविधि से बनना-द्यां प्रशाधि गलितावधिकालम.. नै०५।२४, विहित, शास्त्रों की आज्ञा, वैध, कानूनी,-कारः,---कृत् रघु०६७६, 9 / 14. दण्ड देना, सजा देना 5. प्रार्थना (पुं०) 1. किसी धर्मशास्त्र का रचयिता 2. ग्रन्थ करना, याचना करना, तलाश करना, (आ.)-इदं प्रणेता,-कोविद (वि.) शास्त्रों में निष्णात,-गण्डः कविम्यः पूर्वेभ्यो नमोवाकं प्रशास्महे उत्तर० 111 दिखाऊ पाठक, हलका अध्ययन करने वाला विद्यार्थी, (आपूर्वक शास् के अर्थ में प्रयुक्त) / पल्लवग्राही, चक्षुस् (नपुं०) व्याकरण (शास्त्रों को शासनम् [शास्+ल्यट] 1. शिक्षण, अध्यापन, अनु- समझने के लिए 'आँख'), ज्ञ, -विद् (वि०) शास्त्रों शासन 2. राज्य, प्रभुत्व, सरकार अनन्यशासना- का जानकार, ज्ञानम् धर्मशास्त्र का ज्ञान, वेद की मुर्वीम-रघु० 1130, इसी प्रकार 'अप्रतिशासनम्' जानकारी,-तत्त्वम् शास्त्रों में वर्णित सचाई, वैदिक 3. आज्ञा, आदेश, निदेश-तरुभिरपि देवस्य शासनं तत्त्व, - दशिन् (वि.) धर्मशास्त्रों का ज्ञाता,-दृष्ट प्रमाणीकृतम्-- श०६, रघु० 3 / 69, 14 / 83, 181 (वि.) धर्मशास्त्रों में विहित या उक्त,-दृष्टि: 18. राजविज्ञप्ति, अधिनियम, राजाज्ञा 5. विधि, (स्त्री०) शास्त्रीय दृष्टिकोण, --योनिः शास्त्रों का नियम 6. अग्रहार, राजा द्वारा दान की हुई भूमि, स्रोत या उदगमस्थान,-विधानम्,--विधिः शास्त्रीय अधिकार-पत्र, अहं त्वां शासनशतेन योजयिष्यामि विधि, वेदाज्ञा, --विप्रतिषेधः, --विरोधः 1. शास्त्रीय --पंच०१, याज्ञ० 2 / 240, 29 7. पट्टा, दस्तावेज़, विधियों का पारस्परिक विरोध, विधि-विधान की लिखित समझौता 8. आवेशों का नियन्त्रण (समास के असंगति 2. वेद विधि के विरुद्ध आचरण,- विमुख अन्त में प्रयुक्त 'शासन' का अर्थ है, दण्ड देने वाला, (वि.) अध्ययन से पराङ्मुख ---पंच. 1, विरुद्ध विनाशक, या मारक यथा स्मरशासनः, पाकशासनः)।। (वि०) शास्त्रों के विपरीत, अवैध, गैरकानूनी, For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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