________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विष्णु भगवशी आप हम शासम ( 1004 ) शम् i (भ्वा० पर० शम्बति) जाना, हिलना-जुलना / / शयय (वि.) [सी+अथच् ] निद्राल, सोया हुआ,पः ii (चुरा० पर० शम्बयति) संचय करना, ढेर | 1. मृत्यु 2. एक प्रकार का सांप, अजगर 3. मछली / लगाना। शयनम् [शी+ल्युट् ] 1. सोना, निद्रा, लेटना 2. बिस्तरा, शम्ब (व) [ शम्ब्+अच् ] 1. प्रसन्न, भाग्यशाली शय्या-शयनस्थो न भुजीत . मनु० 4 / 74, रखु. 2.बेचारा, अभागा,-:1. इन्द्र का वध 2. मूसली रघु० 1195 विक्रम० 3 / 10 3. मैथुन, संभोग / सम. का लोहे का बना सिर 3. लोहे की जजीर जो कमर --अ (आ) गार:-रम्,-गहम् शयनकक्ष, सोने के चारों ओर पहनी जाय 4. नियमित रूप से हल का कमरा,-एकादशी आषाढ़ शुक्ला एकादशी (इस चलाना 5. जुते हुए खेत में हल चलाना (शंबाकू दिन विष्णु भगवान् चार मास तक विश्राम के लिए दोबारा हल चलाना)। .. लेट जाते हैं), सखी एक शय्या पर साथ सोने वाली शम्बरः [ शम्ब्+अरच् ] - 1. एक राक्षस का नाम जिसे सहेली- स्थानम् सोने का कमरा, शयनकक्ष। / प्रद्युम्न ने मार गिराया था 2. पहाड़ 3. एक प्रकार | शयनीयम् [शी+अनीयर 1 बिस्तरा, शय्या,-परिशून्यं का हरिण 4. एक प्रकार की मछली 5. युद्ध,--रम् शयनीयमद्य मे-रघु० 8166 कान्तासखस्य शयनीय 1. जल 2. बादल 3. दौलत 4. संस्कार या कोई शिलातलं ते-उत्तर० 3 / 21 (इसी अर्थ में शयनीयधार्मिक अनुष्ठान / सम०-अरिः, सूदनः प्रद्युम्न या कामदेव के विशेषण, * असुरः शंबर नामक राक्षस / शयानकः [शी+शानच्+कन् ] 1. गिरगिट 2. एक शम्बरी [ शम्बर+हीष् ] 1. माया, जादू 2. स्त्री जादू- सांप, अजगर / गरनी। शयाल (वि.) [शी+आलच ] निद्रालु, तन्द्रालु, शम्बलः,-लम् | शम्+कलच ] 1. तट, किनारा आलसी - शि० २८०,-लुः 1. एक प्रकार का 2. पाथेय, मांर्गव्यय, राहखर्च 3. स्पर्धा, ईा। साँप, अजगर 2. कुत्ता 3. गीदड़ / शम्बली [ शम्बल+कीष् ] कुटनी।। | शयित (भू० क० कृ०) [शी कर्तरि क्त ] 1. सोने वाला, शम्बु, शम्बुकः, शम्बुक्क: [शम्+उण, शम्बु+कन् ]] विश्रान्त, सुप्त 2. लेटा हुआ। द्विकोषीय घोंपा। शयः [शी+उ] बड़ा साँप, अजगर / शम्बकः [शम्बू+ऊकः] 1. द्विकोषीय घोंघा 2. शंख | शय्या [शी आधारे क्यप्+टाप् ] 1. बिस्तरा, बिछौना "3. घोंघा 4. हाथी की सुंड की नोक 5. एक शुद्र (इसे ----शय्या भूमितलम-शान्ति० 4 / 9, मही रम्या राम ने उसकी जाति के लिए वर्जित साधना का अभ्यास शम्या ... भर्तृ० 3179, रघु० 5 / 66 2. बाँधना, नत्थी करने के कारण मार डाला था, दे० उत्तर०२, तथा करना। सम० --- अध्यक्षः, पालः राजा के शयनरघु० 15 / कक्ष का अधीक्षक,-उत्सङ्गः पलंग का एक पार्श्व, शम्भः [शम्+भ] 1. प्रसन्न मनुष्य 2. इन्द्र का वज। / -गत (वि.) 1. पलंग पर लेटा हुमा 2. रोगी, शम्भली [शम्भल+ङीष् ] दूती, कुटनी।। -- गृहम् शयन-कक्ष,- रघु०१६।४। / शम्भु (वि.) [शम्+भू+] आनन्द देने वाला, | शरः [श+अच्] 1. बाण, तीर-क्व च निशितनिपाता समृद्धि प्रदान करने वाला-भुः 1. शिव 2. ब्रह्मा वज्रसाराः शरास्ते - श०१।१० 2. एक प्रकार का 3. ऋषि, श्रद्धेय पुरुष 4. एक प्रकार का सिद्ध / सफेद सरकंडा या घास-शरकाण्डपाण्डुगण्डस्थला सम० -तनयः - नन्दनः,--सुतः कार्तिकेय या गणेश --मालवि० 38, मुखेन सीता शरपाण्डरेण - रघु० के विशेषण, - प्रिया 1. दुर्गा 2. आमल की,-वल्लभम् 14126, शि० 1230 3. कुछ जमे हुए दूध की श्वेत कमल। मलाई, मलाई 4. चोट, क्षति, घाव 5. पाँच की शम्या [शम् +यत्+टाप् ] 1. लकड़ी की छड़ी या थणी संख्या,-रम् पानी। सम० - अपचः बढ़िया तीर, 2. डंडा 3. जूए की कील, सिलम 4. एक प्रकार की .-... अभ्यासः तीरंदाजी,---असनम्,--आस्यम् धनुष, झाँझ 5. यज्ञोय पात्र / कमान --रघु० 3.52, कु० 3164, आक्षेपः तीरों शय (वि.) (स्त्री०-या, यी) [शी-+-अच् ] लेटने की वर्षा,-आरोप,- आवापः धनुष,-आश्रयः तरकस, वाला, सोने वाला, (प्रायः समास के अन्त में) --आहत (वि.)जिसके तीर लगा हो,- ईषिका बाण, -रात्रिजागरपरो दिवाशयः-रघु० 19 / 34, इसी प्रकार इष्टः आम का वृक्ष, .. ओघः बाणों का समूह, उत्तानशय, पावशय, वृक्षेशय, विलेशय आदि,-य: बाणवर्षा-काण्डः 1. नरकूल की डंडी 2. बाण की 1. नींद 2. बिस्तरा, शय्या 3. हाथ 4. साँप विशेषतः / लकड़ी, - घात: बाण से लक्ष्यवेध करना, तीरंदाजी, अजगर 5. दुर्वचन, कोसना, अभिशाप / जम् ताजा मक्खन,---जन्मन् (पुं०) कार्तिकेय का. शयण्ड (वि.) [शी+अण्डन् ] निद्रालु, सोने वाला। / विशेषण-रघु० ३१२८,-जालम् बाणों का समूह या ढेर सुतः का वेषण,-प्रिया For Private and Personal Use Only