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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir र यथाशक्ति क्षमा | शक्न, बायोग्य, यथाशक्त तसिला (सम्ब०, अधि० या तुमुन्नन्त के साथ)-बहवोऽस्य / 2. कार्तिकेय का विशेषण,-पाणिः, भत् (पुं०) कर्मणः शक्ताः वेणी०३, तस्योपकारे शक्तस्त्वं कि 1.बीधारी 2. कार्तिकेय का विशेषण, पातः शक्ति जीवन् किमुतान्यथा--त. 2. मजबूत, ताकतवर, क्षय, पराजय, --पूजकः शाक्त, --पूजा शक्ति की पूजा, शक्तिशाली 3. धनाढ्य, समृद्धिशाली-मनु० 1129 -वैकल्यम् शक्तिक्षय, दुर्बलता, अक्षमता,-हीन वि०) 4. सार्थक, अभिव्यञ्जक (शब्द) 5. चतुर, प्रज्ञावान् शक्तिहीन, निर्बल, बलरहित; नपुंसक,-हेतिकः भाला 6. प्रियवादी। धारी, बीधारी। शक्तिः (स्त्री०) [शक+क्तिन् ] 1. बल, योग्यता, शक्तितः (अव्य०) शक्ति+तसिल्] शक्ति के अनुसार, घारिता, सामर्थ्य, ऊर्जा, पराक्रम दैवं निहत्य कुरु पौरुषमात्मशक्त्या --पंच० 11361, ज्ञाने मौन क्षमा | शक्न, शक्ल (वि.) [ शक् +न, क्ल वा मिष्टभाषी. शक्तौ रचु० 1122, इसी प्रकार यथाशक्ति, स्व प्रियवादा / शक्ति आदि, राज्यशक्ति (इस के तीन तत्त्व है | शक्य (सं० कृ०) [शक-यत्] 1. संभव, क्रियात्मक, 1. प्रभुशक्ति या प्रभावशक्ति 'राजा की अपनी प्रमुख किये जाने के योग्य, (प्रायः तुमुन्नत के साथ) शक्यो पदवी' 2. मन्त्रशक्ति 'सत्परामर्श की शक्ति' तथा बारयितुं जलेन हुतभुक भर्तृ० 2 / 11, रघु० 2149, 3. उत्साह शक्ति 'प्रेरकशक्ति') ... राज्यं नाम शक्ति- 54 2. कार्यान्वयन के योग्य 3. कार्यान्वयन में सरल त्रयायत्तम् दश०, त्रिसाधना शक्तिरिवार्थसञ्चयम् 4. प्रत्यक्ष कहा गया, अभिहित (शब्दार्थ आदि) --रघु० 3 / 13, 6633, 17163, शि० 2 / 26 -शक्योऽर्थोऽभिधया ज्ञेयः सा० द०११ 5. संभाव्य 2. रचनाशक्ति, काव्य शक्ति या प्रतिभा--शक्तिनि- (कभी-कभी शक्यम्' शब्द कर्मवा० में तुमुन्नन्त के साथ पुणता लोकशास्त्रकाव्याद्यवेक्षणात् काव्य० 1, दे० विधेय के रूप में प्रयुक्त किया जाता है, उस समय तत्स्थानीय व्याख्या 3. देव की सक्रिय शक्ति, यह तमन्नत का वास्तविक अभिप्राय कर्त में होता है शक्ति देवपत्नी मानी जाती है, देवी, दिव्यता (इनकी एवं हि प्रणयवती सा शक्यमुपेक्षितं कुपिता गिनती विविध प्रकार से की जाती हैं कहीं आठ, कहीं .-मालवि० 3 / 22, शक्यं...अविरलमालिङ्गितं पवनः नौ और कहीं पचास तक)–स जयति परिणतः -.श.० 3 / 6, विभूतयः शक्यमवाप्तमूजिताः-सुभा०, शक्तिभिः शक्तिनाथ:-मा० 5 / 1, श० 7 / 35 4. एक भग०१८।११ / सम० अर्थः प्रत्यक्ष अभिहितार्थ / प्रकार का अस्त्र-शाक्तखण्डामाषतन गाण्डाावनाक्तम् शक्रः [शक्+रक्] 1. इन्द्र-एकः कृती शकुन्तेषु योऽन्यं वेणी०३, ततो विभेद पौलस्त्यः शक्त्या वक्षसि लक्ष्मणम् शक्रान्न याचते -- कुवल. 2. अर्जुन का वृक्ष 3. कुटज रघु० 12177 5. बर्डी, नेजा, शूल, भाला का पेड़ 4. उल्लू 5. ज्येष्ठा नक्षत्र 6. चौदह की 6. (न्या० में) किसी पदार्थ का उसके बोधक शब्द संख्या / सम-अशनः कुटज का वृक्ष, आख्यः उल्लू, से सम्बन्ध 7. कारण की अन्तहित शक्ति जिससे कार्य -आत्मजः 1. इन्द्र का पुत्र जयन्त 2. अर्जुन,--उत्थाकी उत्पत्ति होती है 8. (काव्य में) शब्दशक्ति या नम्,--उत्सवः भाद्रपदशक्ला द्वादशी को इन्द्र के शब्द को अर्थशक्ति (यह संख्या में तीन हैं . अभिधा, सम्मान में मनाया जाने वाला उत्सव, पर्व, गोपः लक्षणा, व्यञ्जना) सा० द० 11 9. अभिधाशक्ति, एक प्रकार का लाल कीड़ा, तु० इन्द्रगोप--जः, शब्दसङ्केत (विप० लक्षणा और व्यञ्जना), 10. स्त्री .-जातः कौवा,-जित, --भिद् (पं०) रावण के की जननेन्द्रिय, भग, शाक्तसंप्रदाय के अनुयाइयों द्वारा पुत्र मेघनाद के विशेषण,-- द्रुमः देवदारु का वृक्ष, पूजित शिवलिङ्ग की मूर्ति / सम० अर्धः उद्योग -धनुस्, शरासनम् इन्द्रधनुष, * ध्वजः इन्द्र के तथा श्रम के फलस्वरूप हांपना तथा शरीर का पसीने सम्मान में स्थापित झंडा,--- पर्यायः कुटज का वृक्ष, से तर होना, अपेक्ष, अपेक्षिन् (वि०) सामर्थ्य का ..---पाचपः 1. कुटज का पेड़ 2. देवदारु वृक्ष, प्रस्थ ध्यान रखने वाला,-कुण्ठनम् शक्ति को कुण्ठित करना, इन्द्रप्रस्थ, - भवनम्,-भुवनम्, बासः स्वर्ग, वैकुण्ठ, -ग्रह (वि०) 1. बल या अर्थ को धारण करने वाला .. मूर्धन् (नपुं०) शिरस् (नपुं०) बांबी, वल्मीक, 2. बीधारी, (-हः) बल या अर्थ का वोध अथवा ---लोकः इन्द्र का संसार,-वाहनम् बादल, शाखिन् शब्दशक्ति का ज्ञान 3. बर्डीधारी, भालाधारी 4. शिव (पुं०) कुटज का वृक्ष, - सारथिः इन्द्र का रथवान्, का विशेषण 5. कार्तिकेय का विशेषण,-ग्राहक (वि.) मातलि का विशेषण, सुतः 1. जयंत का विशेषण शब्द के अर्थ की स्थापना या निर्धारण करने वाला, 2. अर्जुन का विशेषण, 3. वालि का विशेषण / (-कः) कातिकेा का विशेषण, त्रयम् राज्यशक्ति शकाणी [शक+की, आनुक] इन्द्र की पत्नी, शची। के संघटक तीन तत्त्व -दे० शक्ति (2) ऊपर,--घर | शकिः [शक्-क्रिन्] 1. बादल 2. इन्द्र का वज्र 3. पहाड़ (वि.) मज़बूत, शक्तिशाली, (-रः) 1. बीधारी ! 4. हाथी / For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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