________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भास्कर. // 31 // संस्कार-पतिःसांगःसपरिवार प्रीयतां // // इतिश्रीऋषिभट्टविरचितेसंस्कारभास्करेंगण पतिपूजनंसमाप्तम् ॥अथस्वस्तिपुण्याहवाचनं // पुण्याहवाचनविधिवक्ष्यामोऽथय : थाविधि // प्रयोक्तुःकर्मणामादापंतेचोदयसिद्धये // // तचप्रयोगांतर्गतमितिकेचित् / // अत्रच // बव्हल्पंवास्वगृह्योक्तंयस्यकर्मप्रकीर्तितं // तस्यतावतिशास्त्रार्थेकृतेसर्वक है। तंभवेदिति ॥पुण्याहवाचनंऋौपूर्तीच॥ कात्यायन ताःप्रकीर्तिताः॥प्रतिष्ठोद्यापनादीनिपूर्तकर्मयथोदितमिति॥तञ्चकारिकायां स्वस्ति वाचनमढेष्टंगृह्यकर्मादिकेषुच // आचार्येणापिशास्त्रेस्मिन्मंगलार्थमुदीर्यते // 1 // क्रमणकलशंस्थाप्यपूर्णपात्रांतसर्वशः॥ वरुणंतत्रसंपूज्यगंगाद्यावाहनादिकं // 2 // अर्चिताब्राह्मणाःसम्यग्गंधतांबूलदक्षिणाः // तिष्ठेयुर्ब्राह्मणायुग्मावक्तारोदर्भपाण| यः॥ 3 // तिष्ठेद्वाचयितातेषांदक्षिणस्थउदङ्मुखः // अवनीगतजानुभ्यांततोमुकुवा AMORRORRORRORGAORoor AGARABANADAORADAcacaomeसद For Private and Personal Use Only