________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir याशैल्याशिवरूपशिलापतिः॥ उभौअंगुष्ठसंस्पर्शात्साकन्याविधवाभवेत् // 7 // कामस्वघोषबाणैःस्वैःप्रहरेदतिदारुणैः // तस्मादग्रेभवेत्कन्यातस्यबाणस्यशांत ये // 8 // कन्यकाग्रेवरंकृत्वाब्राह्मणोज्ञानदुर्वलः // विधवाजायतेनारीनिषिद्धस्त त्रकारणात् // 9 // अग्रेतुशुभदापनीमांगल्येसर्वकर्मणि॥ पदेपदेश्वमेधंचधनायुः। पुत्रवर्धनं // 1 // लाजानाज्यस्रुवकुंभंब्रह्माणमृत्विजंगुरूं // एतेषांबाह्यतःकृत्वाशेषा तुप्रदक्षिणा॥११॥वध्वादक्षिणपादानिसप्तानिप्रक्रमेत्तुसायाम्यादुददिक्संस्था प्यप्रक्रमेदुत्तरोत्तरम् // 12 // गणयेद्दक्षिणपदान्पदवामानिरर्थकान् // 12 // पुति Vol पुत्रान्विताभव्याश्चतस्रःसुभगाःस्त्रियः // सौभाग्यमस्यैदास्तामंगलाचारपूर्वक मिति // 13 // पतिपुत्रवतीनारीसुरूपगुणशालिनी // अविच्छिन्नप्रजासाध्वीसद यासासुमंगली // 14 // इतिकारिकावचनानि // // अथकश्चिद्यदिअभ्रातृकांक CARRORGAOOR POORAO For Private and Personal Use Only