________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir A000000ROASAdda वमनुमन्यतेताभिरनुमतःसूयतेयुस्मैवैराजानोराज्यमनुमन्यतेसराजाभवति // 4 // कां० 9 प्र० 3 ब्रा० 5 मं० 12 // अथराजानमभिषुत्यानौजुहोति // ए. षवैसुसवाएतद्वैतत्सूयतेयमस्मैतुमेतादेवताःसवमनुमन्यतेयाभिरनुमतःसूयतेयस्मै है। वैराजानोराज्यमनुमन्यतेसराजाभवति // 5 // कां० 9 प्र. 4 ब्रा० 1 मं० 8 // शतमानभवति // शतायुर्वैपुरुषःशतेंद्रिय आयुरेवेन्द्रियम्बीर्यमात्मन्धते // 6 // दंपत्योरविच्छिन्नाप्रीतिरस्तु // वंशाभिवृद्धिरस्तु // इत्याशीर्वादः // यथाशक्तिबा शह्मणभोजनसंकल्पः॥ विवाहाग्निंमहानसेप्रक्षिप्य // कर्मेश्वरार्पणंकुर्यात् // कारि कायां ॥लाजहोमत्रयेमंत्रानश्मनोरोहणेतथा॥भगायचैकमंत्रंचकन्यापठतिपंचकं / // ध्रुवदर्शनकालेचषष्ठश्चैवउदाहृतइति // कन्यावस्त्रपरीधानेतथैवचोत्तरीयके // POROROOOOOOOOOG For Private and Personal Use Only