________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संस्कार- सर्वत्रसमानं // ॐ इन्द्रोज्येष्ठानामधिपतिः समावसस्मिन्ब्रह्मण्यस्मिन्क्षत्रेस्यामा | भास्कर. // 26 // शिष्यस्याम्पुरोधायामस्मिन्कर्मण्यस्यांदेवहूत्याठस्वाहा ॥इदमिन्द्रायज्यष्ठानाम: शधिपतयेनमम॥२॥ ॐ यमःटथिव्याअधिपतिःसमावखस्मिन्ब्रह्मण्य स्वाहा // इदंयमायटथिव्याअधिपतयेन० // 3 // दक्षिणस्यांअन्यपात्रंनिधायतन्मध्येत्या | गः // // प्रणीतोदकोपस्पर्शः // ॐ वायुरंतरिक्षस्याधिपतिःस स्वाहा॥इ. दवायवेन्तरिक्षस्याधिपतयेन० // 4 // सूर्योदिवोधिपतिःस. स्वाहा॥इ दंसूर्यायदिवोधिपतयेन // 5 // ॐ चन्द्रमानक्षत्राणामधिपतिःसमा० स्वाहा // इ 1 पूर्वेत्यागःपरंमृत्योयमत्यागंतुदक्षिणे // पश्चिमेपितृत्यागंचरुदत्यागंतथोत्तरे // एपउदकस्पर्शःइ / हतिकारिकाकारः // एकेप्राशनांतेएकेआचार्याःसंत्रवप्राशनांतेएतामाहुतिमिच्छंति // तत्पक्षेपरंमृत्यु | // 260 // रितिहोमांतेपुनरेतस्यसंस्रवप्राशनमितिगदाधरः // AAAACARooooooooA 000-0000A For Private and Personal Use Only