________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandit संस्कार पूजयाशुभदोगुरुः॥विवाहेथचतुर्थाष्टद्वादशस्थोमृतिप्रदः॥देवलः॥ नष्टात्मजाइनव / / भास्कर. ॥२३३ातीविधवाकुशीलापुत्रान्विताहतधामुभगाविपुत्रा॥स्वामिप्रियाविगतपुत्रधवाधना | व्यावंध्याभवेत्सुरगुरौक्रमशोभिजन्म // वृहस्पतिः॥ झपचापकुलीरस्थोजीवोप्य शुभगोचरः // अतिशोभनतांदद्याहिवाहोपने पदिषु // राजमार्तडः // तृतीयष शिष्ठगश्चैवदशमैकादशस्थितः // रविः शुद्धोनिगांदर. वरस्यैवकरग्रहे // जन्मस्थेच / द्वितीयस्थेपंचमेसप्तमपिवा // नवमेभास्करेपूजांकुर्यात्पाणिग्रहोत्सवे // चतुर्थेवा : अष्टमेचैववादशेभास्करेस्थिते // वरःपंचत्वमाप्नोतिकृतपाणिग्रहोत्सवे // लल्लः // शहादशदशमचतुर्थेजन्मनिषष्ठाष्टमेतृतीयेच // प्राप्तेपाणिग्रहणेजीववैधव्यमाप्नोति / साकन्या // मुहूर्तदीपिकायां // व्ययत्रिदिग्बंधुमृति 12 / 3 / 10 / 4 / 8 // स्थितोपिस्त्रियोधनास्तांकसुतायगैश्च // विद्योग्रहर्देवपुरोहितश्चशुभप्रदश्चतिदास / / 233 // AAROAAAAAAA. For Private and Personal Use Only