________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संस्कार योरुभयोडौहावासनपितथैवच // // तथा॥ ॥सदोपवीतिनाभाव्यसदाबद्दशिखेन भास्कर दराच॥विशिखोव्युपवीतश्चयत्करोतिनतत्कृतं॥॥अनेनहिदधिखदिरादिवत्उपवीति / हात्वस्यबद्धशिखत्वस्यचक्रतुपुरुषोभयार्थत्वमवगम्यते // // हेमाद्रौभरद्वाजः॥ // al दक्षिणंबाहुमुद्दत्यवामस्कंधेनिवेशितं // यज्ञोपवीतमित्युक्तंदेवकार्येषुशस्यते॥ 1 // कंठावलंबितंचैवब्रह्मसूत्रंयदाभवेत्॥ तन्निवीतमितिख्यातंशस्तंकर्मणिमानुषे॥२॥ उत्क्षिप्तेवामबाहौतुदक्षिणस्कंधमाश्रितं // प्राचीनावीतमित्युक्तंतत्पित्र्येष्वेवकर्मसु / इति // 3 // विष्णुधर्मोत्तरे // तिलकंकुंकुमेनैवसदामंगलकर्मणि // कारयित्वासुम / / तिमान्नश्वेतचंदनंमृदा // 1 // // मंत्रेणोंकारपूतनस्वाहांतेनविचक्षणः // स्वा हावसानेजुहुयात्ध्यायन्वैमंत्रदेवतां॥३॥ मंत्रांतेयावन्हिजायासातुमंत्रस्वरूपिणी॥३॥६॥ तदंतेन्यांप्रयुंजीतसाकर्मागतयास्मृता // 2 // आदौद्रव्यपरित्यागःपश्चाडोमोवि / / 0000000000000000000000 For Private and Personal Use Only