________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Keilassagarsuri Gyanmandit अषुप्रवृत्तस्याशौचाभावः // कन्यायाःवरपितरंप्रतिदानमेवविवाहः // वरप्रतितुहोम | पाणिग्रहणादि // प्रारब्धपाकेश्राद्धकर्तुः // कृतनिमंत्रणेश्रादेतुश्राहभोक्तुरितिव्यव स्येतिकालविवेचनकारादयः॥शंकरभट्टकृतधर्मप्रकाशेतुतत्तत्स्मृतिषुपाकनिष्पत्ति : कृतसंकल्पितनिमंत्राणांत्रयाणामपिआशौचाभावनिमित्तत्वोक्तेनिमित्तत्रयसमुच्च / / यएवश्राद्धेनाशौचंतथैवशिष्टसमाचारादित्युक्तं // मुहूर्तांतरालाभेसामग्र्यांकृतायां सूतकिनोप्यधिकारोपायमाहपारिजातेविष्णुः // अनारब्धविशुद्ध्यर्थकुष्मांडैर्जुहु / याघृतं // गांदद्यात्पंचगव्याशीततःशुध्यतिसूतकीति // ततःशुध्यतीतिपुनरुक्ति / विवाहाद्युपयोगिपाकपरिवेषणादावपिशुविज्ञापनार्थी // गांपयस्विनींदद्यात् // संकटेसमनुप्राप्तेस्तकेसमुपस्थिते // कूष्मांडीभिघृतंहुत्यागांचदद्यात्पयस्विनीं // al चूडोपनयनोद्वाहप्रतिष्ठादिकमाचरेत् // यदैवसूतकप्राप्तिस्तदैवाभ्युदयक्रियेतिसं / For Private and Personal Use Only