________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संस्कार-तिदत्तकस्यगोत्रप्रवरनिर्णयः॥अथप्रत्युद्वाहादिनिषेधोनारदेन। प्रत्युदाहोनैवकार्यो | भास्कर. // 206 // नकस्मैदुहितृवयं // नचैकजन्ययोःपुंसोरेकजन्येतुकन्यके // नैवंकदाचिदुद्दाहोनै / कदामुंडनद्वयमिति // यत्कुटुंबोत्पन्नाकन्यकाखकुलआनीयतेतत्कुटुंबेएवखकुटुं। बोत्पन्नकन्यकाप्रदानंप्रत्युद्दाहइत्युच्यते॥ प्रायस्तत्रविरुद्धसंबंधसद्भावात् // तथाच / गृह्यपरिशिष्टे // कन्यायवीयसीमसपिंडामसगोत्रामविरुद्धसंबंधामुपयच्छेदिति // आविरुद्धोलौकिकसंबंधोयस्याःसातथा॥ भार्यास्त्रमुर्दुहितापितृव्यपत्नीस्वसाभ्रातृदुई हितकन्यादेवरकन्याचेत्यादयः // प्रकृतेतुभ्रातृदुहितकन्यादेवरकन्याचकन्यैव / व्यवव्हियतइतिकृत्वानस्त्रीपरिणयनं // लोकविरुद्धसंबंधएवमादौविरुद्धसंबंधेसत्ये / / शवप्रत्युद्दाहनिषेधोनान्यत्रेतिवेदितव्यं // आसांप्रत्युद्दाहोनकार्यएव // तथैकस्मै | // 206 // वरायदुहितद्वयंनदद्यात् // ज्येष्ठायांनीवत्यांसत्यांकनिष्ठांनदद्यात् // मृतौत AGAGA 000000000000000000000000000 For Private and Personal Use Only