________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हार्वेषुसंस्कारकर्मस्वाधानादिविवाहांतेषुपितैवकर्ता // तदभावेअन्यः // यथाशा शक्तिब्राह्मणान्भोजयिष्ये // यांतुमातृइतिमातृणांविसर्जनं // // संवत्सरंब्रह्मचर्य मवपनंचइतिकेशांतकानंतरंब्रह्मचारीब्रह्मचर्यव्रतंचरत् // अवपनंचकशांतोत्त ? रंसंस्कृतःसंवत्सरंवपनंवर्जयेत् // द्वादशरात्रंषड्रात्रंत्रिरात्रमंततःइतिविकल्पः // इतिसंस्कारभास्करेकेशांतप्रयोगः // // अथसमावर्तनकर्मोच्यते . // समावर्त नंउदगयनेकार्यतथापिकर्मवशात्मार्गशीर्षेविवाहप्रसक्तौदाक्षिणायनेपिकार्यं // इ। तिधर्मसिंधौ // समावर्तनकालाः // सावित्रीग्रहणादूर्ध्वतद्दिनेवाचतुर्थके // तृती? येहादशेवर्षेवत्सरेव्रतमुत्सृजेत् // पूर्वार्धाक्तकालौ अन्यथागौणेतिकारिकाकारः // वेदमधीत्यगुरुणानुज्ञातःस्नायात् // ब्रह्मचर्यवाष्टाचत्वारिंशद्वर्षाणिसमाप्यस्ना हायात् // द्वादशवार्षिकंवाव्रतंसमाप्यगुर्वनुज्ञातःस्नायात् // उभयवासमाप्यस्ना / AGAOOSoA306 For Private and Personal Use Only